निर्माण और आर्किटेक्चर क्षेत्र में नई पीढ़ी के कुशल कर्मियों का वैश्विक केंद्र बन सकता है भारत

शुभंकर भट्टाचार्य (पार्टनर, फाउंडामेंटल जीएमबीएच ) से बातचीत — यह दुनिया की सबसे सफल वेंचर कैपिटल फर्मों में से एक है, जो आर्किटेक्चर, इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन टेक निवेशोंपरकेंद्रितहै।
1) आप क्यों मानते हैं कि भारत जैसे तेजी से विकसित हो रहे देश कंस्ट्रक्शन टेक में कैटेगरी डिसरप्टर्स बनने की दिशा में लक्ष्य हैं, जो निवेशकों के लिए अपार मूल्य पैदा करेंगे?

हमारे लिए भारत एक अद्वितीय ट्रिफेक्टा प्रस्तुत करता है, जो न केवल विकासशील देशों के बीच, बल्कि बाकी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भी अलग है:

  • एक विशाल अर्थव्यवस्था (अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी) जो कई ऐसे क्षेत्र प्रदान करती है जिनका वार्षिक एड्रेसेबल मार्केट 10 बिलियन डॉलर से लेकर 100 बिलियन डॉलर से भी अधिक हो सकता है।
  • सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था
  • इंफ्रास्ट्रक्चर, घरों और भवनों का निर्माण आर्थिक वृद्धि के प्रमुख कारक हैं, और यह समग्र अर्थव्यवस्था से भी तेज़ी से बढ़ने की संभावना रखते हैं।

यह यूनिक कॉम्बिनेशन कंस्ट्रक्शन टेक कंपनियों में पीढ़ीगत निवेश के अवसर देता है, जो आने वाले दशक के विजेता और मार्केट लीडर बनेंगे और शेयरहोल्डर्स व कर्मचारियों के लिए अपार मूल्य देंगे। हमें विश्वास है कि जैसे-जैसे ये कंपनियां उभरेंगी और विस्तार करेंगी, भारत का सबसे महत्वाकांक्षी और प्रतिभाशाली कार्यबल इस ग्रोथ स्टोरी का हिस्सा बनना चाहेगा, जिससे कंस्ट्रक्शन टेक इकोसिस्टम के लिए एक टिकाऊविकासशीलचक्रबनेगा।
2) दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश होने के साथ-साथ युवा जनसंख्या का लाभ पाने वाले भारत के लिए क्या निर्माण, आर्किटेक्चर या डिज़ाइन टेक वाकई प्रासंगिक है?
इसमें कोई शक नहीं कि भारत के पास युवा आबादी है, जो अपार संभावनाएँ प्रदान करती है। लेकिन सच यह है कि इतनी प्रचुरता के बावजूद भारत को वास्तव में कुशल कामगारों की भारी कमी है, खासकर निर्माण और इससे जुड़े ब्लू कॉलर क्षेत्रों में। इसके बावजूद, हम भारत और इसकी आबादी की संभावनाओं को लेकर बेहद आशावादी हैं।
निर्माण और इंफ्रास्ट्रक्चर बाजार के बड़े आकार को देखते हुए, हमें आश्चर्य नहीं होगा अगर भारत निर्माण और आर्किटेक्चर के क्षेत्र में नई पीढ़ी के कुशल कामगारों का पावरहाउस बन जाए—नई तकनीकों और प्रथाओं को अपनाकर, अपनी सेवाएँ भारत में और दुनिया भर में प्रदान करके—ठीक वैसे ही जैसे यह आईटी और इंजीनियरिंग सेवाओं के क्षेत्र में हुआ था।

3) जिन 22 देशों में आप निवेश करते हैं, उनमें आपके पोर्टफोलियो में भारत नवाचार और मूल्य सृजन में किस स्थान पर है?
भारत अब तक हमारे लिए वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ा वैल्यू-ड्राइवर रहा है। यही मुख्य कारण है कि हमने भारत में किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक पूंजी लगाई है।

हमने भारतीय कंपनियों, और विशेष रूप से भारतीय संस्थापकों को अत्यधिक इनोवेटिव पाया है, जो अपनी तरह का पहला बिज़नेस मॉडल विकसित करते हैं, पारंपरिक उद्योगों जैसे निर्माण के ढांचे को बदलने की क्षमता रखते हैं, और भविष्य की कंपनियों के लिए रोल मॉडल बन सकते हैं—Infra.Market (इंफ्रा.मार्केट) इसका प्रमुख उदाहरण है।

भारत ने लगातार सबसे लागत-प्रभावी तरीके से विकास प्रदान किया है। दूसरे शब्दों में, औसतन, भारतीय कंपनी द्वारा लगाया गया हर रुपया अन्य देशों की तुलना में कहीं अधिक वृद्धि देता है। इस तरह की पूंजी दक्षता का मतलब यह भी है कि अधिक संख्या में उच्च-गुणवत्ता वाली भारतीय कंपनियाँ जल्दी लाभदायक बन जाती हैं, जिससे उन्हें पूंजी आवंटन और निवेशकों के लिए एग्ज़िट्स और तरलता पैदा करने के अधिक विकल्प मिलते हैं। यही कारण है कि भारत की बेहतरीन कंपनियाँ अन्य देशों की कंपनियों की तुलना में निवेश पर बेहतर रिटर्न देती हैं।

4) जब विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक सार्वजनिक बाज़ारों से बड़े पैमाने पर निकल रहे हैं, तब आप भारत को सबसे अधिक संभावनाओं वाला लाभकारी निवेश बाज़ार क्यों मानते हैं?

चाहे हम मानें या न मानें, निवेशक भावना हमेशा लहरों और साइकल में चलती है। इसके अलावा, पब्लिक मार्केट्स की साइकल निजी वेंचर मार्केट्स से अलग होती है। हमारा ध्यान उन पीढ़ीगत कंपनियों पर है जो अगले दशक में स्थायी सफलता की कहानियाँ बनेंगी।

हम निवेशक भावनाओं की साइकिल को केवल अल्पकालिक शोर मानते हैं, और इसे अपनी दीर्घकालिक थीसिस से प्रासंगिक नहीं मानते। भारत की कहानी आज पहले से कहींअधिकरोमांचकहै

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