-संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव नहीं हो सका पारित
-भारतीय उपमहाद्वीप में शांति के लिए खतरा है जैश सरगना
जिनेवा । जैश-ए-मोहम्मद के सरगना और खूंखार आतंकी मसूद अजहर को आखिरकार फिर चीन ने बचा लिया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में बुधवार को पाकिस्तान की सरजमीं से संचालित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव पास नहीं हो सका। मसूद अजहर के बचाव में उतरे चीन की चाल कामयाब हो गई।
अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति के तहत प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव फ्रांस, ब्रिटेन एवं अमेरिका की ओर से 27 फरवरी को रखा गया था। यह प्रस्ताव फिलहाल ‘कोई आपत्ति नहीं’ अवधि के तहत था और समिति के सदस्यों के पास प्रस्ताव पर आपत्ति उठाने के लिए 10 कार्यदिवस का समय था। यह अवधि बुधवार दोपहर तीन बजे खत्म हो गई।
समिति अपने सदस्यों की सर्वसम्मति से फैसले लेती है। सबकी निगाहें चीन पर रहीं। इससे पहले भी अजहर को संयुक्त राष्ट्र से वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के भारत के प्रयासों में चीन अड़ंगा डाल चुका है। अलकायदा प्रतिबंध समिति के सूचीबद्ध नियमों के तहत अगर किसी भी सदस्य की ओर से कोई आपत्ति नहीं उठाई जाती तो फैसले को स्वीकृत माना जाता है। मगर चीन ने आखिरी वक्त में पलटी मार ली। अजहर को वैश्विक आतंकवादी के तौर पर चिह्नित कराए जाने का यह पिछले 10 साल में किया गया चौथा प्रयास था।
चीन नहीं आया बाज
पुलवामा हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन लाए। इससे पहले भी तीन बार इस आशय का प्रस्ताव किया जा चुका है। हर बार इस पर चीन ने अपने वीटो पावर का प्रयोग कर इसमें अड़ंगा डाला।
मसूद अजहर भारतीय उपमहाद्वीप में शांति के लिए खतरा
जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करवाने की भारत की कोशिश में अमेरिका पूरी तरह साथ रहा। अमेरिका ने कहा, मसूद अजहर वैश्विक आतंकी घोषित होना चाहिए। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता रॉबर्ट ने कहा, अमेरिका-चीन इस बात पर सहमत हैं कि भारतीय उपमहाद्वीप में शांति स्थापित होनी चाहिए। अगर मसूद अजहर पर प्रतिबंध नहीं लगता है शांति प्रयासों को धक्का लगेगा। अमेरिका ने कहा, जैश-ए-मोहम्मद अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन है। मसूद उसका सरगना है। मसूद अजहर भारतीय उपमहाद्वीप में शांति के लिए खतरा है। भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले अभी अमेरिका में हैं। वह अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो से भेंट कर चुके हैं। मंगलवार को उन्होंने अमेरिका के पॉलिटिकल अफेयर्स सेक्रेटरी डेविड हेल से कई मुद्दों पर चर्चा की थी।
कौन है मसूद अजहर
भारत ने एकत्र किए सबूत पाकिस्तान, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अन्य प्रमुख देशों के साथ साझा किया है। यह साक्ष्य खुलासा करते हैं कि जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर का अल-कायदा और तालिबान समेत सुन्नी वैश्विक आतंकवादी समूहों के बीच संबंध है। जानकारी में कहा गया है कि अजहर के बड़े भाई इब्राहिम अजहर और छोटे भाई रऊफ असगर ने 1999 में भारतीय जेल से बंद हरकत-उल-अंसार के तत्कालीन महासचिव अजहर की रिहाई के लिए इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी-814 का अपहरण किया था। इसमें कम से कम 150 यात्री सवार थे। इस काम को अंजाम देने में अल कायदा, तालिबान और आईएसआई ने इन लोगों की मदद की थी। अलकायदा के तत्कालीन प्रमुख ओसामा बिन लादेन और तालिबान के मुल्ला उमर के साथ मसूद अजहर के संबंधों का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उसे कंधार हवाई अड्डे से बाहर निकालने खुद मुल्ला अख्तर मंसूर पहुंचा था। मुल्ला बाद में तालिबान का मुखिया बना। मुल्ला अख्तर मंसूर 21 मई 2016 को अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा जा चुका है। मसूद अजहर रिहाई के वक्त जम्मू में कोट बलवाल जेल में कैद था।
उसे 11 फरवरी 1994 को श्रीनगर के बाहरी इलाके में गिरफ्तार किया गया था। वह वली एडम इस्सा के नाम पर एक नकली पुर्तगाली पासपोर्ट पर बांग्लादेश के रास्ते भारत में घुसा था। इन साक्ष्य के मुताबिक मसूद अजहर ने कराची के जामिया बिनोरिया में पढ़ाई की। यह मुफ्ती निजामुद्दीन शमजई के संरक्षण में 1980 के दशक में वैश्विक जिहाद की नर्सरी था। अजहर बाद में मौलाना फजलुर रहमान खलील की अगुवाई वाले हरकत-उल-मुजाहिदीन में शामिल हो गया। उसे अफगानिस्तान में अल कायदा के आतंकी पैदा करने वाले कारखानों में प्रशिक्षण दिया गया। वह लादेन और मुल्ला उमर दोनों का बहुत करीबी था। मसूद अजहर और मुफ्ती शमजई ने संयुक्त रूप से 2000 में बिनोरिया मदरसा को ठिकाना बनाया। मुफ्ती शमजई की हत्या के बाद सभी जिहादी कैडर जैश-ए-मोहम्मद में भर्ती हो गए। रऊफ असगर के पास आतंकवादी समूह के रोजमर्रा के काम की जिम्मेदारी है। दूसरा भाई तलहा सैफ, जैश की छात्र इकाई, अल मुराबितून का प्रमुख है।
बालाकोट हवाई हमले में मारा गया अजहर का साला यूसुफ अजहर जैश के आतंकियों के प्रशिक्षण के लिए जिम्मेदार था। बड़ा भाई इब्राहिम अजहर जैश-ए-मोहम्मद का परिचालन प्रमुख है। उसका दूसरा साला अशफाक अहमद अल रहमत ट्रस्ट का मुख्य समन्वयक है। मसूद अजहर हरकत की सदा-ए-मुजाहिद पत्रिका का संपादक भी है। उसने ‘द वर्चुस ऑफ जिहाद’ किताब भी लिखी है। 1990 के दशक की शुरुआत में सोमालिया, सऊदी अरब, यूएई, जाम्बिया और ब्रिटेन में जिहाद का प्रचार करने के बाद अजहर ने 1999 में अपनी रिहाई के बाद भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य पर अपना ध्यान केंद्रित किया। उसने अक्टूबर 2001 के कश्मीर विधानसभा हमले और फिर दिसंबर 2001 के संसद हमले की साजिश रची। 2001 के हमलों के बाद दबाव पड़ने पर अजहर ने दिसंबर 2003 में दो आत्मघाती बम हमलों में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को निशाना बनाने का दुस्साहस किया था। उसने 2013 के संसद हमले के मुख्य आरोपी अफजल गुरु को फांसी की सजा के बाद भारत पर छह बड़े हमलों को अंजाम दिया। पुलवामा के आत्मघाती हमले का भी वह असल गुनहगार है।
क्या कहा विदेश मंत्रालय ने
विदेश मंत्रालय ने जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर चीन द्वारा वीटो लगाए जाने को लेकर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। विदेश मंत्रालय ने कहा, “हम निराश हैं, लेकिन मसूद अजहर के मामले में सभी उपलब्ध विकल्पों पर आगे भी काम करते रहेंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि भारतीय नागरिकों पर हुए हमलों में शामिल आतंकियों को न्याय के कठघरे में खड़ा किया जा सके।”
विदेश मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव रद्द होने के बाद कहा कि हमारी लड़ाई जारी रहेगी। मसूद अजहर भारत में हुए कई आतंकी हमलों में शामिल रहा है। उसे आतंकी घोषित करने तक हम हर संभव रास्ता अपनाएंगे।
मंत्रालय ने कहा कि हम उन सभी देशों के आभारी हैं जिन्होंने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने की कवायद में अपना पूरा समर्थन हमें दिया है।
उल्लेखनीय है कि अजहर को यूएनएससी की 1267 प्रतिबंध समिति के तहत प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका की ओर से 27 फरवरी को रखा गया था। यह प्रस्तवार चीन द्वारा वीटो का इस्तेमाल करने के कारण पारित नहीं हो सका। यूएनएससी के सदस्य देशों की संख्या 15 है। इसमें पांच देश- अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, रूस और चीन स्थायी सदस्य हैं। स्थायी सदस्यों को वीटो का अधिकार होता है। यह चौथी बार है जब चीन ने अड़ंगा लगाकर मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित होने से बचा लिया है।
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में सीआरपीएफ के काफिले पर 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। इसकी जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी, जिसका सरगना मसूद अजहर है।