नयी दिल्ली. भारत ने दो-तीन साल में शुक्र पर मिशन भेजने और अगले एक दशक में अपना अंतरिक्ष केंद्र स्थापित करने की घोषणा की है जिससे अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में देश के लिए एक नये युग की शुरुआत होगी।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डॉ. के. शिवन ने यहाँ संवाददाताओं से कहा, “हम अपना खुद का अंतरिक्ष केंद्र स्थापित करने की योजना बना रहे हैं।” इस संबंध में आगे पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि यह बहुत बड़ा अंतरिक्ष केंद्र नहीं होगा। यह 20 टन वजन का छोटा अंतरिक्ष केंद्र होगा।
डॉ. शिवन ने कहा, “हमारा उद्देश्य वहाँ स्थायी रूप से वैज्ञानिकों को रखना नहीं है। हम प्रयोग को अंजाम देने के लिए अपना मॉड्यूल भेजेंगे। गगनयान मिशन के बाद हम सरकार को अपना प्रस्ताव भेजेंगे।” उन्होंने बताया कि अगले एक दशक में भारत का अपना अंतरिक्ष केंद्र स्थापित हो सकता है।
अंतरिक्ष केंद्र की लागत के बारे में पूछे जाने पर इसरो प्रमुख ने कहा कि अभी उसका आकलन नहीं किया गया है। अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अभी यह परिकल्पना बेहद शुरुआती दौर में है। दिसंबर 2020 में गगनयान मिशन के बाद इस पर फोकस किया जायेगा और इसलिए अभी इसके बारे में ज्यादा जानकारी देना संभव नहीं है। डॉ. शिवन ने बताया कि इसरो अगले दो-तीन साल में शुक्र पर भी एक मिशन भेजेगा।
तीसरा स्पेस स्टेशन लॉन्च करने की तैयारी कर रहा चीन
इसके अलावा चीन भी 2 स्पेस स्टेशन लॉन्च कर चुका है। चीन ने 2011 में अपना पहला स्पेस स्टेशन तियांगोंग-1 लॉन्च किया था। इसे दो साल के लिए तैयार किया गया था। यह 1 अप्रैल 2018 को धरती पर गिरकर नष्ट हो गया था। चीन ने 2016 में तियांगोंग-2 लॉन्च किया। यह अभी भी मौजूद है। चीन 2022 तक तियांगोंग-3 को लॉन्च करने की भी योजना बना रहा है।
मौजूदा समय में सिर्फ दो स्पेस स्टेशन
मौजूदा समय में सिर्फ दो स्पेस स्टेशन हैं। अमेरिका और रूस ने साझा प्रोजेक्ट के तौर पर 1998 में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) बनाया था। कई अन्य देश भी बाद में इसके निर्माण में जुड़ते गए। हालांकि, ज्यादातर कंट्रोल्स और मॉड्यूल्स का खर्च अमेरिका ही उठाता है। 18 देशों के 230 लोग आईएसएस में जा चुके हैं। यह धरती से लगभग 400 किमी ऊंचाई पर स्थित है। यह 28 हजार किमी की गति से घूमता है।