
पिछले साल के मिशन चंद्रयान-2 के बाद अब चंद्रयान-3 को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि मिशन चंद्रयान-3 को अगले साल तक लॉन्च कर सकते है. इसमें ऑर्बिटर के बजाय ‘लैंडर’ और ‘रोवर’ होगा. उन्होंने बताया कि यह मिशन चंद्रयान-2 के रिपीट जैसा होगा.
पिछले साल सितम्बर में चंद्रयान 2 की हार्ड लैंडिंग के बाद संपर्क टूट गया था जिसकी वजह से हिन्दुस्तानियों का सपना भी टूटगया था. इसके बाद ही इसरो(ISRO) ने चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग का प्लान बनाया. बताया जा रहा है कि चंद्रयान-2 टूटने के बाद भी ऑर्बिटर अच्छा काम कर रहा है और जानकारी भी भेज रहा है. कोरोना वायरस महामारी की वजह से इसकी लैंडिंग में देरी हो गई. अब इसकी लॉन्चिंग 2021 की शुरुआत में होने की सम्भावना है.
नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन(NASA) के साइंटिस्ट्स ने एक बयान में कहा कि ऐसा हो सकता है कि धरती का अपना वातावरण इसमें सहायता कर रहा हो. दुसरे शब्दों में इसका मतलब है कि धरती का वातावरण चांद की भी रक्षा कर रहा हो. अंतरिक्ष में इंसान को भेजे जाने वाला भारत का पहला अभियान ‘गगनयान’ की भी तैयारियां जारी हैं. इस अभियान में कोविड-19 की वजह से आई अड़चनों के कारण, 2022 के आसपास इसकी समय सीमा को पूरा करने की कोशिश जारी है.
जितेंद्र सिंह ने बताया कि 2008 में लॉन्च किया गया चंद्रयान-1 इसरो का पहला अभियान था. इसने ही चांद पर पानी होने के प्रमाण दुनिया को दिए थे. इसके मिले डाटा में पता चला था की चाँद के ध्रुवों पर पानी है. पूरी दुनिया के साइंटिस्ट्स की आज तक इसपर रिसर्च जारी हैं. और अभी हाल फ़िलहाल में चंद्रयान 1 में कुछ चित्र भी भेजें हैं.
कोरोना वायरस के कारण हुई देरी
हालांकि, कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन ने इसरो की कई परियोजनाओं को प्रभावित किया और चंद्रयान-3 जैसे अभियान में देर हुई। सिंह के हवाले जारी एक बयान में कहा गया है, ‘जहां तक चंद्रयान-3 की बात है तो इसका प्रक्षेपण 2021 की शुरूआत में कभी भी होने की संभावना है। चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 का ही पुन: अभियान होगा और इसमें चंद्रयान-2 की तरह ही एक लैंडर और एक रोवर होगा।’ चंद्रयान-2 को पिछले साल 22 जुलाई को प्रक्षेपित किया गया था। इसके चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की योजना थी।
भारत का सपना फिर होगा साकार
लेकिन लैंडर विक्रम ने सात सितंबर को हार्ड लैंडिंग की और अपने प्रथम प्रयास में ही पृथ्वी के उपग्रह की सतह को छूने का भारत का सपना टूट गया था। अभियान के तहत भेजा गया आर्बिटर अच्छा काम कर रहा है और जानकारी भेज रहा है। चंद्रयान-1 को 2008 में प्रक्षेपित किया गया था। सिंह ने कहा, ‘इसरो के प्रथम चंद्र अभियान ने कुछ चित्र भेजे हैं जो प्रदर्शित करते हैं कि चंद्रमा के ध्रुवों पर जंग सा लगता दिख रहा है।’ बयान में कहा गया है कि नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रिेशन (नासा) के वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा हो सकता है कि पृथ्वी का अपना वातावरण इसमें सहायता कर रहा हो, दूसरे शब्दों में इसका अर्थ यह हुआ कि पृथ्वी का वातावरण चंद्रमा की भी रक्षा कर रहा हो।
चांद के ध्रुव में पानी
इस प्रकार, चंद्रयान-1 के डेटा से संकेत मिलता है कि चांद के ध्रुव पर पानी है, वैज्ञानिक इसी का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं। इस बीच, अंतरिक्ष में मानव को भेजने के भारत के प्रथम अभियान ‘गगनयान’ की तैयारियां जारी हैं। मंत्री ने कहा, ‘‘गगनयान की तैयारी में कोविड-19 से कुछ अड़चनें आई लेकिन 2022 के आसपास की समय सीमा को पूरा करने के लिये कोशिश जारी है।’’















