अंतरराष्ट्रीय आरोग्य-2024″: पारम्परिक भारतीय चिकित्सा पद्धतियों पर विचार मंथन
“अंतरराष्ट्रीय आरोग्य 2024”, आज (22 फरवरी) से अवध शिल्पग्राम में
चार दिवसीय आयोजन में आयुष चिकित्सा पद्धतियों के प्रचार-प्रसार, क्षमता विकास तथा वैश्विक मान्यता पर चर्चा, सत्रों में होगा विमर्श
60 देशों के 250 से अधिक प्रतिनिधि करेंगे प्रतिभाग
लोगों को मिलेगा “आरोग्य” के मूलमंत्र को समझने का अवसर
लखनऊ,: “पहला सुख निरोगी काया…”, सुनने-पढ़ने में सरल सहज लगने वाली यह सूक्ति दरअसल किसी भी व्यक्ति के जीवन का मूल आधार है…और प्रत्येक व्यक्ति निरोगी काया के इस सुख का अनुभव कर सके, इसी उद्देश्य से आयुष मंत्रालय भारत सरकार और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के संयुक्त प्रयास से “अंतरराष्ट्रीय आरोग्य-2024” का आयोजन लखनऊ स्थित अवध शिल्पग्राम में किया जा रहा है।22 से 25 फरवरी 2024 तक चलने वाले इस अंतरराष्ट्रीय स्तर के आयोजन में 60 देशों के 250 से अधिक प्रतिनिधि प्रतिभाग करने आ रहे हैं। इस अंतरराष्ट्रीय मंच के माध्यम से लोगों को भारत ही नहीं, विदेशों में आयुष चिकित्सा पद्धतियों को लेकर हो रहे शोध, अनुसंधान की जानकारी से लेकर, इस क्षेत्र के विशेषज्ञों के अनुभवों से रूबरू होने का अवसर मिलेगा।
“अंतरराष्ट्रीय आरोग्य-2024” का आयोजन भारत की चिकित्सा पद्धतियों को अंतरराष्ट्रीय पटल पर प्रस्तुत करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा, जो कि सार्वजनिक आरोग्य क्षेत्र में एक मील का पत्थर की तरह होगा। 25 फरवरी तक चलने वाला यह चार दिवसीय आयोजन एक ऐसे मंच के रूप में प्रदर्शित होगा जो कि आयुष चिकित्सा पद्धतियों की वर्तमान सीमाओं से आगे जाकर, इनकी वास्तविक क्षमताओं पर मंथन करेगा, तथा वैश्विक स्तर पर लोगों के स्वास्थ्य को इन पद्धतियों के माध्यम से बेहतर बनाने के लिए परिवर्तनकारी भूमिका तैयार करेगा।
आरोग्य: 2024 में क्या होगा खास:
22 फरवरी 2022 को अवध शिल्पग्राम में आयुष मंत्रालय भारत सरकार के माननीय कैबिनेट मंत्री आयुष, श्री सर्बानंद सोनोवाल जी द्वारा “अंतरराष्ट्रीय आरोग्य 2024” का उद्घाटन किया जाएगा। इस अवसर पर माननीय राज्यमंत्री आयुष मंत्रालय, भारत सरकार डॉ. मुंजपरा महेन्द्रभाई, माननीय उप मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश श्री ब्रजेश पाठक व अन्य गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति रहेगी।
प्रदर्शनी में आने वालों को मिलेगा “आयुष” पद्धतियों का अनुभव: भारतीय चिकित्सा की प्राचीन प्रभावशाली पद्धतियां जैसे आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सोवा-रिग्पा, होम्योपैथी आदि से सम्बंधित एक प्रदर्शनी यहां लगाई जाएगी, जिसमें इन पद्धतियों की अद्वितीय और सशक्त विशेषताओं, स्वास्थ्य और उपचार के क्षेत्र में इनकी भूमिका को प्रदर्शित किया जाएगा। साथ ही यहां इन पद्धतियों के शिक्षार्थियों, वैज्ञानिकों, और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के बीच ज्ञान और अनुभव पर चर्चा सत्र भी होंगे।
परामर्श शिविर में जानिए अपना “मिजाज” और “प्रकृति”: “अंतरराष्ट्रीय आरोग्य 2024” में आयुष विशेषज्ञों द्वारा पारम्परिक चिकित्सा पद्धतियों के अंतर्गत रोगों की पहचान करने की विभिन्न विधियां बताई जाएंगी। जैसे यूनानी पद्धति में “मिजाज परीक्षण”, आयुर्वेद में “प्रकृति परीक्षण” व ऐसी ही अन्य पद्धतियों से लोग अवगत हो सकेंगे।
सार्वजनिक व्याख्यान में मिलेंगी रोचक जानकारियां: “अंतरराष्ट्रीय आरोग्य 2024” में आयोजित होने वाले सार्वजनिक व्याख्यान में, आयुष विशेषज्ञों द्वारा विभिन्न प्रकार की जानकारियां दी जाएंगी। ये व्याख्यान, आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सोवा-रिग्पा, होम्योपैथी और अन्य आयुष पद्धतियों के महत्वपूर्ण मुद्दों पर जागरूकता और शिक्षा प्रदान करेंगे।
सामान्य बीमारियों के उपचार के लिए लाइव योग प्रदर्शन: आरोग्य 2024 के अंतर्गत सामान्य बीमारियों के उपचार के लिए लाइव योग प्रदर्शन किया जाएगा। इसके अंतर्गत विभिन्न योग आसन, प्राणायाम, ध्यान और मानसिक स्थिति को सुधारने के लिए अभ्यास के महत्व को बताया जाएगा। इससे लोगों में स्वस्थ जीवनशैली और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।
अन्य आकर्षण-
आयुष आहार का प्रदर्शन/नमूनाकरण/बिक्री
आईईसी डिस्प्ले (डिजिटल और भौतिक दोनों)
सभी प्रणालियों की निःशुल्क ओपीडी
योग प्रदर्शन जिसमें योग संलयन, योग चिकित्सा आदि शामिल हैं
आयुष से संबंधित खेल
एनएमपीबी द्वारा औषधीय पौधों का प्रदर्शन
मिज़ाज मूल्यांकन
प्रकृति आकलन
वर्चुअल रिएलिटी
बुनियादी जीवन समर्थन (सीपीआर)
आरोग्य के लिए “आयुष” का महत्व:
भारत की प्राचीन आयुर्वेद और अन्य चिकित्सा पद्धतियां, जिन्हें संयुक्त रूप से “आयुष” के नाम से जाना जाता है, विश्व की सबसे प्राचीन और समृद्ध चिकित्सा प्रणालियों में से एक हैं। भारत के लगभग 5000 वर्ष पूर्व के साहित्य अर्थात् वेदों में इनका वृहद उल्लेख मिलता है। आयुर्वेद का अर्थ है “आयुर” (जीवन) और “वेद” (ज्ञान)। यह प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति मनुष्य के शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य की समग्र देखभाल को संरक्षित करती है एवं इसमें जड़ी-बूटियों, औषधियों, आहार, योग, प्राणायाम और ध्यान की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके अलावा, भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में सिद्ध, योग, और होम्योपैथी जैसे अन्य तकनीकों का भी विकास हुआ। आज भी आयुर्वेदिक और अन्य प्राचीन चिकित्सा पद्धतियां विभिन्न प्रकार के रोगों के उपचार के लिए उपयोगी हैं और ये विश्वभर में मान्यता प्राप्त भी हैं।
प्रत्यक्ष हो रहे हैं बदलाव
माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में, “आयुष्मान भारत योजना” की शुरुआत भारत में विश्वव्यापी स्वास्थ्य सुरक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। देश ने कम लागत वाली जेनेरिक दवाओं और उचित लागत वाले टीकों के एक प्रमुख केंद्र के रूप में अपनी स्थिति काफी मजबूत कर ली है, जिससे ऐसे लोगों के औपचारिक स्वास्थ्य सेवाएं पहले के मुकाबले ज्यादा सरलता से उपलब्ध हो रहा हैं जो पहले हाशिए पर थे।
टेली-एजुकेशन और टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म ई-वीबीएबी की शुरुआत होने के बाद से ही भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच के दायरे को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का वृहद स्तर पर प्रयोग, एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है। भारत ने पिछले दो वर्षों (2021-2022 से 2022-23) में आयुष और हर्बल उत्पादों में 1,240.6 मिलियन डॉलर का निर्यात किया है। आयुष उत्पाद अब दवा या खाद्य पूरक के रूप में 100 से अधिक देशों में निर्यात किए जाते हैं। अपनी वैश्विक पहुंच के अंतर्गत आयुष मंत्रालय ने कई विदेशी भागीदारों के साथ एमओयू साइन किए हैं, जिनमें विभिन्न देशों, संस्थानों और अकादमियों के साथ किए गए समझौते शामिल हैं। इसके अतिरिक्त 34 देशों में 39 आयुष सूचना कक्ष स्थित हैं, जो पारंपरिक भारतीय औषधीय प्रणालियों के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देते हैं।
फिक्की के बारे में
1927 में स्थापित, फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) भारत का सबसे बड़ा और सबसे पुराना शीर्ष व्यापारिक संगठन है। महात्मा गांधी ने 1931 में फिक्की की चौथी एजीएम को संबोधित किया था। हमारी 96वीं एजीएम दिसंबर 2023 में आयोजित की गई थी। हमारी समृद्ध विरासत के साथ, फिक्की भारत के तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने में और भी बड़ी भूमिका निभाएगा। फिक्की अपने प्रमुख हितधारकों के साथ निर्णय निर्माताओं के साथ सक्रिय जुड़ाव और संवाद को बढ़ावा देने, वाणिज्य और उद्योग के लिए अच्छे कदमों का समर्थन करने के लिए काम करता है।
एक सदस्य-नेतृत्व और सदस्य-संचालित संगठन के रूप में, FICCI सार्वजनिक, निजी और बहुराष्ट्रीय कंपनियों सहित अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में 2,50,000 से अधिक कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है। सभी भारतीय राज्यों में फिक्की के 300 संबद्ध क्षेत्रीय और राज्य स्तरीय उद्योग संघों के माध्यम से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सदस्य शामिल हैं। FICCI की 100 से अधिक देशों में 250 राष्ट्रीय व्यापार संघों के साथ साझेदार समझौतों के माध्यम से एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति दर्ज है।