दुनियाभर में चल रही है रिसर्च
हम सभी जानते हैं कि दुनियाभर में सार्स कोरोना वायरस-2 को लेकर लगातार रिसर्च हो रही हैं। लेकिन इस वक्त ज्यादातर रिसर्च इस वायरस के वैक्सीन को खोजने की दिशा में की जा रही हैं। ताकि लगातार बढ़ रहे इस वायरस की गति को रोका जा सके और लोगों को संक्रमित होने और मरने से बचाया जा सके।
यहां हुई गर्भवती महिलाओं पर स्टडी
चीन के Zhongnan Hospital Of Wuhan University में डॉक्टर्स कोरोना वायरस पर लगातार रिसर्च कर रहे हैं। यहां ताजा स्टडी इस दिशा में की गई है कि क्या अगर कोई गर्भवती महिला कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाती है तो क्या उसके गर्भ में पल रहे बच्चे में भी संक्रमण का खतरा होता है?
यहां भर्ती हुईं 6 गर्भवती महिलाएं
Zhongnan Hospital में 16 फरवरी से 6 मार्च के बीच कोरोना वारयरस से संक्रमित 6 गर्भवती महिलाओं को भर्ती किया गया। अलग-अलग स्थितियों में इन सभी महिलाओं की डिलिवरी सिजेरियन ऑपरेशन द्वारा कराई गई और डिलिवरी के बाद इन महिलाओं और इनके नवजात शिशुओं के ब्लड सेंपल्स कलेक्ट किए गए।
बच्चे को मां से अलग कर दिया गया
डिलिवरी के तुरंत बाद बच्चे को मां से अलग कर दिया गया। इन सभी 6 केसेज में जो चौंकानेवाली बात सामने आई वह यह है कि इन सभी गर्भवती महिलाओं और इनके नवजात शिशुओं में कोरोना वायरस से लड़नेवाली ऐंटिबॉडीज पाई गईं।
बच्चे के शरीर में मिली ऐंटिबॉडीज
ब्लड सैंपल्स की रिपोर्ट आने के बाद पता चला कि इन नवजात शिशुओं में कोरोना का संक्रमण नहीं था। जबकि इनके शरीर में कोरोना से लड़नेवाली ऐंटिबॉडीज ब्लड में सर्कुलेट हो रहीं थी। यानी ये ऐंटिबॉडीज इन्हें इनकी मां से विरासत में मिली हैं।
टैंप्ररी हो सकती है यह इम्युनिटी
इस बात से यह साबित होता है कि मां के द्वारा गर्भ में पल रहे बच्चे को कोरोना वायरस से लड़नेवाली ऐंटिबॉडीज तो ट्रांसफर हो गईं। लेकिन मां के शरीर में पनपी ऐंटिबॉडीज ने बच्चे के शरीर में कोरोना वायरस को नहीं जाने दिया। इस तरह की इम्युनिटी को पैसिव इम्युनिटी कहा जाता है। मतलब यह इम्युनिटी इन बच्चों को इनकी मां से मिली है, जो टैंप्ररी भी हो सकती है।
बच्चे के शरीर में ऐंटिबॉडीज बनना जरूरी
इस रिसर्च पेपर के अनुसार, अभी तक ये बच्चे अपनी मां से मिली हुई ऐंटिबॉडीज के जरिए कोरोना संक्रमण से बचे हुए हैं। अगर बच्चों का शरीर आनेवाले कुछ महीनों में खुद-ब-खुद इस तरह की ऐंटिबॉडीज बनाने लगेगा तो ये बच्चे कोरोना इम्यून हो जाएंगे।
अभी विस्तृत शोध की जरूरत
क्योंकि यह स्डटी सिर्फ 6 महिलाओं पर आधारित है, इस कारण सायंटिस्ट इस रिसर्च को लेकर कोई ठोस दावा नहीं कर पा रहे हैं। उनका कहना है कि इस दिशा में अधिक संख्या में गर्भवती महिलाओं और उनके नवजात शिशुओं पर रिसर्च किए जाने की जरूरत है।