गौरैया संरक्षण करना मेरे लिए सौभाग्य की बात, मिथिलेश जायसवाल

गौरैया संरक्षण करने में समाज के सभी लोग करें सहयोग, मिथिलेश जायसवाल

गौरैया संरक्षण में जुटे दिव्यांग मिथिलेश जायसवाल

दोनों पैरों से दिव्यांग मिथिलेश चला रहे गौरैया बचाओ मुहिम

गौरैया के खाने-पीने से लेकर रहने तक का इंतजाम कर रहे, मिथिलेश जायसवाल

प्राकृतिक गौरैया संरक्षण के लिए राज्य पुरस्कार से सम्मानित है मिथिलेश

राज्य पुरस्कार से सम्मानित मिथिलेश कर रहे गौरैया संरक्षण

परचून की दुकान से होने वाली आमदनी से गौरैया संरक्षण करते हैं मिथिलेश जायसवाल

बहराइच l पर्यावरण की संकेतक गौरैया जो आज विलुप्त होने की कगार पर है, जिसे समाज के सभी लोगों को मिलकर बचाने की आवश्यकता है,गौरैया का कम होना पर्यावरण के खराब होने का संकेत है,
ब्लॉक बलहा के ग्राम पंचायत गुलरा के मजरा भज्जापुरवा निवासी दोनों पैरों से दिव्यांग मिथिलेश कुमार जायसवाल अपने गाँव मे ही परचून की दुकान का संचलन करते हुए साहित्य सृजन, प्राकृतिक पर्यावरण संरक्षण,पौधरोपण तथा गौरैया संरक्षण का कार्य कर रहे हैं,दुकान में होने वाली मामूली कमाई से मिथिलेश गौरैया संरक्षण के लिए घोसले वितरित करते हैं,दोनों पैरों से दिव्यांगता के बावजूद मिथिलेश निरंतर सभी कार्यों को करते रहते हैं

,इनके कार्यों को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया है,मिथिलेश जायसवाल बताते हैं की प्राकृतिक ने हमें बहुत कुछ दिया है जिसको हम सब मिलकर संरक्षित करें, जिससे हमारा पर्यावरण मानव जीवन के लिए अनुकूल बना रहे,अधा धुंध हो रहे शहरीकरण और बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों के निर्माण से गौरैया विलुप्त होती जा रही हैं,पहले जहां छप्पर और खपरैल के मकान होते थे वहीं छोटे छोटे पेड़ पौधे भी आंगन और बगीचे में लगे होते थे, जिसमे गौरैया अपना आशियाना बनाती थी, गौरैया का विलुप्त होना पर्यावरण के लिए खतरनाक संकेत है,गौरैया को बचाने के लिए अपने घरों में व आसपास लकड़ी के वैकल्पिक घोसले लगाए उसके लिए पानी और खाने के लिए चावल नमकीन की व्यवस्था करें,उन्होंने बताया कि मुझे तो बचपन से ही चिड़ियों के प्रति प्रेम था और मैंने बचपन से ही चिड़ियों की सेवा की,मैं सन 2005 से गौरैया संरक्षण का कार्य कर रहा हूं,

पहले मैं दफ्ती के घोसले लगाता था लेकिन जब हमारी मुलाकात सन 2015 में कतर्नियाघाट फ्रेंड्स क्लब के अध्यक्ष भगवानदास लखमानी से हुई तो उन्होंने हमें लकड़ी के वैकल्पिक घोंसले के बारे में बताया और उपलब्ध करवाया तब से मैं लकड़ी के वैकल्पिक घोसले अपने घर के आस-पास लगाया हूं और लोगों को वितरित भी करता रहता हूं,जिससे गौरैया बचाई जा सके, इसके साथ ही में हर वर्ष अपने जन्मदिन पर पौधरोपण वितरण के साथ ही दोस्तों के जन्मदिन पर पौधे भेंट कर जन्मदिन की बधाई देता हूं, और लोगों को पौधरोपण के लिए प्रेरित करता हूं,मिथिलेश ने बताया कि मुझे इन सब कार्यों को करने से मन को बड़ा सुकून मिलता है और ईश्वर ने शायद मुझे इसीलिए बनाया है, मैं पूरे दिन अपने दुकान के सामने चावल नमकीन डालता रहता हूं,

गौरैया के साथ ही विभिन्न प्रजाति की चिड़िया आकर चावल नमकीन खाती रहती है,गौरैया संरक्षण के लिए 2019 में लखनऊ में आयोजित प्राकृतिक रत्न सम्मान में चैतन्य वेलफेयर फाउंडेशन द्वारा मुझे प्राकृतिक रत्न सम्मान 2019 पूर्व डीजीपी उत्तर प्रदेश श्री सुलखान सिंह जी व लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया के हाथों से से सम्मानित किया गया था, एक तरफ जहां लोग शारीरिक रूप से पूरी तरह सक्षम तथा आर्थिक रूप से मजबूत होते हुए भी कुछ नहीं कर पाते हैं,वही दोनों पैरों से दिव्यांग मिथिलेश एक छोटी सी दुकान का संचालन करते हुये,गौरैया संरक्षण पर्यावरण प्राकृतिक संरक्षण तथा साहित्य सृजन का कार्य कर रहे हैं जो सराहनीय है l

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