कृष्ण जन्माष्टमी: जानिए क्यों नहीं हुआ राधा-श्याम का विवाह?

(कृष्ण जन्माष्टमी): कृष्ण और राधा का प्रेम अपने आप में एक मिसाल है। आज भी दो प्रेमियों को निस्वार्थ प्रेम करते देख लोग कह देते हैं कि ये दोनों बिल्कुल राधा कृष्ण जैसे हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है कि जब राधा और कृष्ण के प्रेम के बारे में राधा के घरवालों को पता चला तो उन्होंने राधा को घर से बाहर निकलने पर रोक लगा दी।

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कृष्ण के बांसुरी की धुन जब राधा के कानों में पड़ती तब वह खुद को कृष्ण से मिलने से रोक नहीं पातीं। इसलिए घरवालों ने राधा को खाट में बांध दिया। इस लेख में हम आपको वो पूरी घटना विस्तार से बता रहे हैं।

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कृष्ण को था राधा की पीड़ा का एहसास 
पूर्णिमा की एक शाम राधा कृष्ण की बांसुरी की धुन सुनकर बेचैन हो उठीं। उधर, कृष्ण को भी राधा की पीड़ा का एहसास हो गया था। कृष्ण अपने भाई बलराम के साथ राधा के छत पर पहुंचे और खाट में बंधी राधा को रस्सी खोलकर मुक्त किया। पूर्णिमा की यह अंतिम रासलीला थी।

राधा थीं कृष्‍ण से उम्र में पांच वर्ष बड़ी
कृष्ण घर लौटकर अपनी माता यशोदा से कहते हैं कि वे राधा से विवाह करना चाहते हैं। यशोदा कृष्ण को समझाते हुए कहती हैं कि, राधा तुमसे उम्र में पांच वर्ष बड़ी है और कंस की सेना में एक सैनिक से राधा का विवाह होने वाला है। इसलिए राधा से शादी करने की जिद छोड़ दो।

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मां के समझाने पर भी जब कृष्ण नहीं माने तब माता यशोदा ने पिता नंद से पुत्र की शिकायत की। नंद अपने पुत्र कृष्ण को लेकर गर्गाचार्य और संदीपनी ऋषि के आश्रम में गए। वहां सदीपनी ऋषि ने कृष्ण को समझाते हुए कहा कि हे कृष्ण धरती पर तुम्हारा जन्म धर्म की रक्षा के लिए हुआ है और तुम्हें अपने लक्ष्य से नहीं भटकना चाहिए।

क्‍यों किया कृष्‍ण ने शादी से इंकार 
गुरू की बात सुनकर कृष्ण ने विनम्रतापूर्वक कहा कि गुरुदेव मेरा मन गायों, पर्वत, जंगल और ग्वालबालों में लगता है, मैं इन्हीं के बीच रहना चाहता हूं। कृष्ण के मुख से यह सुनने के बाद गर्गाचार्य ने विचार किया कि कृष्ण को उनके जन्म की सच्चाई बताने का समय आ गया है। उन्होंने कृष्ण से कहा कि तुम मुक्तिदाता हो, धर्म की स्थापना करना ही तुम्हारा उद्देश्य होना चाहिए। तब जाकर कृष्ण को अपने जीवन का असली उद्देश्य समझ आया और उन्होंने शादी से इनकार कर दिया।

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राधा और कृष्ण का प्रेम था अलौकिक 
इसके अलावा भी श्री कृष्ण के राधा से विवाह ना करने के और कई कारण बताए जाते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि राधा और कृष्ण का प्रेम अलौकिक है, यह प्रेमी प्रेमिका वाला प्यार नहीं बल्कि भगवान और भक्त वाला प्यार है इसलिए इसमें शादी का सवाल नहीं उठता है। एक यह भी तर्क दिया जाता है कि श्रीकृष्ण मनुष्यों को ये संदेश देना चाहते थे कि प्रेम एक नि:स्वार्थ भावना है जबकि विवाह एक समझौता या अनुबंध है इसलिए अपनी प्रेमिका से विवाह करना कोई ज़रुरी नहीं।

कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि कृष्ण राधा से 10 साल की उम्र में मिले थे और तभी दोनों के बीच प्यार हो गया था लेकिन उसके बाद वो कभी वृन्दावन लौटे ही नहीं। किसी भी धर्म ग्रन्थ में उनके दोबारा द्वारका लौटने की बात का उल्लेख नहीं है। दोबारा ना मिल पाना भी शादी न होने का एक कारण हो सकता है।

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