जौनपुर। नगर में चल रही इन दिनों सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन कथा व्यास डॉ रजनीकांत द्विवेदी ने विभिन्न प्रसंगों की बहुत ही रोचक व्याख्या किया। आज श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के सातवें दिन का आरम्भ वैदिक मंत्रोच्चारण और प्रभु के नाम के जयकारे से प्रारंभ हुआ। भागवत कथा के सातवें दिन कथा व्यास डॉ द्विवेदी जी ने सुदामा चरित्र का वर्णन किया। इसमें उन्होंने कृष्ण और सुदामा की मित्रता के बारे में गहनता से बताया।
आज की कथा में डॉ द्विवेदी ने सुदामा और नाविक के रूप में प्रभु के संवाद की जो व्याख्या किया श्रोता उसे सुन कर अभिभूत हो उठे। कथा व्यास जी ने बताया कि आज मित्रता मात्र स्वार्थ पर आकर टिक गई है, लेकिन मित्रता का संबंध एक ऐसा संबंध है, जिससे बड़ा संबंध ना तो कोई है और ना ही होगा। मित्रता अपने आप में एक परिपूर्ण रिश्ता है, इस रिश्ते में स्वार्थ और कपट का कोई भी स्थान नही होता है। भागवत में कृष्ण और सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए स्वयं कृष्ण ने इस संसार को सच्ची मित्रता का पाठ पढ़ाया है।
कृष्ण के राजा होने के बाद भी वर्षों बाद सुदामा को पहचानना और उन्हें अपने समान आदर दिलवाना और प्रेम में चावल खा दो लोकों का राजपाठ देना सच्ची मित्रता को इंगित करता है। सुदामा जी के द्वारिका पहुंचने पर प्रभु द्वारा उनको गए आदर सम्मान का वर्णन और इस कथा का मंचन देखकर भक्त जय श्री कृष्ण- जय श्री कृष्ण का उद्घोष करने लगे। डॉ द्विवेदी जी ने कहा संसार में सबसे पवित्र रिश्ता मित्रता का है। समय आने पर हमेशा अपने मित्रों की सहयोग करना चाहिए। मन में किसी प्रकार का लोभ एवं आशा लेकर मित्रता नहीं करनी चाहिए।
बता दे व्यास जी ने राधा जी और रुक्मिणी के संवाद का बहुत ही मनोहारी वर्णन किया और सच्चे प्रेम की व्याख्या इस कथा से किया। एक दिन रुक्मिणी ने भोजन के बाद, श्री कृष्ण को दूध पीने को दिया। दूध ज्यादा गरम होने के कारण श्री कृष्ण के हृदय में लगा और उनके श्रीमुख से निकला- “हे राधे” सुनते ही रुक्मिणी बोली- प्रभु! ऐसा क्या है राधा जी में जो आपकी हर सांस पर उनका ही नाम होता है। मैं भी तो आपसे अपार प्रेम करती हूं। फिर भी आप हमें नहीं पुकारते।श्री कृष्ण ने कहा -देवी! आप कभी राधा से मिली हैं और मंद मंद मुस्काने लगे।
अगले दिन रुक्मिणी राधा जी से मिलने उनके महल में पहुंची। राधा जी के कक्ष के बाहर अत्यंत खूबसूरत स्त्री को देखा और उनके मुख पर तेज होने कारण उसने सोचा कि- ये ही राधाजी है और उनके चरण छूने लगी। तभी वो बोली-आप कौन हैं। रुक्मिणी ने अपना परिचय दिया और आने का कारण बताया। तब वो बोली-मैं तो राधा की दासी हूं। राधाजी तो सात द्वार के बाद आपको मिलेंगी। रुक्मणी ने सातो द्वार पार किए और हर द्वार पर एक से एक सुंदर और तेजवान दासी को देख सोच रही थी कि अगर उनकी दासियां इतनी रूपवान हैं तो, राधारानी स्वयं कैसी होंगी, सोचते हुए राधाजी के कक्ष में पहुंची।
कक्ष में राधा को देखा- अत्यंत रूपवान तेजस्वी जिसका मुख सूर्य से भी तेज चमक रहा था। रुक्मिणी सहसा ही उनके चरणों में गिर पड़ी। पर, ये क्या राधा के पूरे शरीर पर तो छाले पड़े हुए है थे। रुक्मिणी ने पूछा-देवी आपके शरीर पे ये छाले कैसे? तब राधा जी ने कहा- देवी कल आपने कृष्णजी को जो दूध दिया। वो ज्यादा गरम था।जिससे उनके ह्रदय पर छाले पड गए। और, उनके ह्रदय में तो सदैव मेरा ही वास होता है। कथा विश्राम पर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के माननीय सदस्य व प्रख्यात समाजशास्त्री प्रो. आर. एन. त्रिपाठी ने कथा के यजमानों को स्मृति चिन्ह और पुष्प गुच्छ से सम्मानित किया और भविष्य में भी ऐसे आयोजनों के लिए निवेदन किया।
अंत में डॉ द्विवेदी ने आए हुए हजारों भक्तों से 07 मार्च को होने वाले चुनावी महापर्व में अपना महत्वपूर्ण वोट देने का संकल्प कराया। समिति के अध्यक्ष श्री शशांक सिंह ने बताया कि कल सोमवार 28 फरवरी को प्रातः 08:00 बजे से श्रीमद्भागवत पूर्णाहुति यज्ञ एवं भंडारे का आयोजन किया गया है जिसमें आप सभी की उपस्थिति प्रार्थनीय है। कथा विश्राम के पश्चात, समाजसेवी विवेक पाठक ‘सोनू’ , निखिलेश सिंह, मनोज चतुर्वेदी, शशांक सिंह , संजय पाठक सहित जनपद के कई गणमान्य लोगों ने आरती किया और पुष्पांजलि समर्पित किया।
मुख्य यजमान के रूप में श्रीमती किरनलता सोनी पत्नी श्री ललित सोनी और श्रीमती राजरानी गुप्ता पत्नी सुरेश चंद्र गुप्ता ने कथा का पूर्ण श्रद्धा एवं समर्पण के साथ सात दिनों तक कथा का रसपान किया। श्रोता के रूप मे विनोद साहू विनय सेठ आशीष यादव शंभू गुप्ता आलोक वैश्य , रत्नेश सिंह जी, आशा शुक्ला, रोली गुप्ता , दुर्गा गुप्ता नीलम गुप्ता सहित हजारों लोगों ने कथा का रसपान किया। व्यवस्था प्रमुख पंडित आनंद मिश्रा ने कोवीड प्रोटोकॉल के पालन का सार्थक प्रयास किया।
आरती के उपरांत कथा पंडाल में उपस्थित भक्तों ने प्रति वर्ष इस प्रकार के आयोजन के लिए कथा व्यास डॉ रजनीकांत द्विवेदी से आग्रह किया और क्षेत्र वासियों ने प्रतिवर्ष ऐसे आयोजन का संकल्प लिया।पूर्णाहुति हवन विशाल भंडारे के साथ संपन्न हुआ सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह।