रांची। करोड़ों रुपये के चारा घोटाले में सजायाफ्ता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका झारखंड उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी। गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह की अदालत में लालू की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। पिछले सप्ताह भी करीब दो घंटे चली सुनावाई के दौरान दिल्ली से आये वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने लालू प्रसाद यादव की उम्र और बीमारियों का हवाला देकर जमानत की मांग की थी, लेकिन सीबीआई के वकील ने इसका विरोध किया था। सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
ज्ञात हो कि झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह की अदालत में हस्तक्षेप याचिका दायर कर मेडिकल ग्राउंड पर जमानत मांगी गई थी। बीमारी का हवाला देते हुए इसमें कहा गया था कि चाईबासा, देवघर और दुमका कोषागार (ट्रेजरी) से अवैध निकासी मामले में पहले भी जमानत मिल चुकी है। इसलिए रांची से बाहर इलाज कराने के लिए इस बार भी जमानत दी जाए। लालू के वकील कपिल सिब्बल ने बीमारियों से संबंधित सर्टिफिकेट भी अदालत में पेश किया था। हस्तक्षेप याचिका में कहा गया है था कि लालू प्रसाद यादव गंभीर रूप से बीमार होने की वजह रिम्स (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) में भर्ती हैं। वे ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर, प्लेटलेट्स की कमी, किडनी, हार्ट और डिप्रेशन सहित कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं।
इसलिए जमानत की अवधि छह सप्ताह बढ़ाई जाए। पिछले दो तारीखों पर भी लालू प्रसाद यादव की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दिल्ली से आकर रांची में हाईकोर्ट में जमानत की पैरवी की थी। 23 दिसंबर 2017 से जेल में हैं राजद सुप्रीमो चारा घोटाले के देवघर कोषागार केस में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को 23 दिसम्बर 2017 को दोषी करार दिया गया था। तभी से वे जेल में हैं। पिछले साल 17 मार्च को तबीयत खराब होने पर उन्हें पहले रिम्स और फिर दिल्ली एम्स में भर्ती किया गया था। कोर्ट ने उन्हें 11 मई को इलाज के लिए छह हफ्ते की जमानत मंजूर की थी। इसे बढ़ाकर 14 और फिर 27 अगस्त तक किया। इसके बाद अदालत ने 30 अगस्त 2018 को लालू को कोर्ट में सरेंडर करने का निर्देश दिया था।