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जोशीमठ। जोशीमठ में निरंतर गहरा रहे भूमि कटाव के संकट को देख राज्य सरकार के आदेश के बाद जोशीमठ के प्रवेश द्वार पर स्थित होटल मलारी इन और माउंटव्यू को तोड़ने पहुंची प्रशासन की टीम और होटल मालिकों के बीच बहस हो गई। होटलों को तोड़ने के लिए पहुंची प्रशासन की टीम को देख प्रभावित लोग आक्रोशित हो गए। होटल मालिक ठाकुर सिंह राणा ने कहा कि यदि उनके होटल की वेल्यूएशन निकाले बिना होटल को हाथ लगाया गया तो वह वहीं पर आत्मदाह कर लेंगे। ठाकुर राणा ने कहा कि उनको किसी प्रकार का नोटिस नहीं मिला है, जिसमें यह कहा गया हो कि उनके होटल को तोड़ा जाना है। उन्होंने इस होटल को बनाने में अपनी पूरी कमाई लगा दी और सरकार के बिना किसी लिखित आश्वासन के वे होटल को नहीं तोड़ने देंगे।
तोड़ो मत, हमको बसा दो, या हम मर जाएं?
प्रभावित लालमणि सेमवाल ने कहा कि इस समय सरकार को प्रभावितों के साथ खड़ा होना चाहिए। सरकार प्रभावितों को बेघर करने में लगी है। उन्होंने कहा कि होटल तोड़ने से पहले उनको लिखित नोटिस दिया जाए या फिर वह भी उस होटल के मलबे के नीचे दबकर मर जाएंगे। स्थानीय निवासी नरेश नौटियाल और माधवी सती ने सरकार को दमनकारी बताते हुए कहा कि बिना किसी नोटिस के किसी की परिसंपत्ति को तोड़ना ठीक नहीं।
यदि प्रशासन प्रभावितों के साथ खड़ा नहीं हो सकता तो प्रभावितों को डराए धमकाए भी ना। बिना किसी लिखित नोटिस के और होटल की वेलिवेशन निकाले बिना होटल नहीं तोड़ने देंगे, चाहे तो प्रशासन उन्हें उठाकर जेल में डाल दें। वहीं देर शाम प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों को हटाने की कोशिश की, लेकिन वे टस से मस नहीं हुए। उनका कहना था कि यदि वे गए तो प्रशासन होटल को तोड़ देगा। यदि जकलाधिकारी को बात करनी है तो यहीं आए।
जब पलायन हो रहा था, तब आकर बसाया था शहर
होटल तोड़ने पहुंची प्रशासन की टीम को देख भावुक हुए प्रभावित लालमणि सेमवाल ने कहा कि जब जोशीमठ से निरंतर लोग पलायन कर रहे थे, जब यहां पर सुख सुविधाओं का घोर अभाव था तब उन्होंने आकर यहां अपने जीवन भर की पूंजी लगाई और यह होटल खड़ा किया। ताकि यहां के पर्यटन को बढ़ावा मिल सके और जब आज उन पर समय की गाज गिर रही है। तब सरकार उनको उनके हाल पर मरने के लिए छोड़ रही है। उन्होंने कहा कि जोशीमठ यदि जोन 5 में स्थित है तो यहां इतनी बड़ी बड़ी परियोजनाओं को स्वीकृति कैसे मिल गई। और जब 20 साल पहले यह होटल बनकर तैयार हुए थे तब यदि इन का नक्शा सही नहीं था तो इन पर अब तक कार्रवाई कर इन्हें पहले ध्वस्त क्यों नहीं किया गया?