अयोध्या में औंधे मुंह गिरती दिखाई दे रही ज्वार की खेती

अयोध्या। केंद्र सरकार व प्रदेश सरकार की प्राथमिकता में शामिल श्री अन्न की खेती के माध्यम से किसानों को समृद्धि करने की योजना अयोध्या जनपद में ओंधे मुंह गिरती दिखाई दे रही है। एक अक्टूबर से जिले में समर्थन मूल्य पर किसानों से श्रीअन्न के रूप में ज्वार की खरीद प्रारंभ हुई है। जिले में ज्वार की खरीद प्रारंभ हुए एक सप्ताह होने को है। अब तक जनपद में श्री अन्न के रूप में ज्वार की खेती करने वाला कोई भी किसान क्रय केंद्रों पर अपना ज्वार बिक्री करने के लिए नहीं पहुंचा है।

स्थिति तो इतनी खराब है कि अब तक समर्थन मूल्य पर ज्वार की बिक्री करने के लिए किसी भी किसान ने अपना पंजीकरण भी नहीं कराया है। इस स्थिति को देखते हुए जिला खाद्य विपणन अधिकारी अजित प्रताप सिंह ने उप कृषि निदेशक अयोध्या मंडल संजय कुमार त्रिपाठी व जिला कृषि अधिकारी ओपी मिश्रा को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि ज्वार की बिक्री के लिए किसानों का पंजीकरण कराएं।
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2763 हेक्टेयर में ज्वार की खेती का क़ृषि विभाग कर रहा दावा

अयोध्या जनपद में ज्वार की खेती करने के लिए शासन की ओर से 1.74 कुंतल ज्वार का बीज मिनी किट के रूप में उपलब्ध कराया गया था। उपनिदेशक कृषि डॉ संजय कुमार त्रिपाठी का दावा है कि जिले में 2763 हेक्टेयर में ज्वार की फसल बोई गई है। उन्होंने तो यहां तक अनुमान बताया है कि जिले में 5292 मीट्रिक टन ज्वार का उत्पादन होने का अनुमान है । लेकिन कितने किसानों ने ज्वार की खेती की इसे कृषि विभाग के अधिकारी बताने को तैयार नहीं । इस सम्बन्ध में उनके पास कोई आंकड़ा नहीं है। किंतु जिस प्रकार से अब तक जनपद में समर्थन मूल्य पर किसानों से ज्वार की खरीद करने के लिए स्थापित किए गए तीन क्रय केंद्र मसौधा, अमानीगंज व पटरंगा में अब तक खरीद प्रारंभ होने के एक सप्ताह होने को है और किसी भी केंद्र पर एक भी किसान अपना ज्वार बिक्री करने के लिए नहीं पहुंचा है।

सप्ताह भर बाद भी सूने पड़े हैं ज्वार के क्रय केंद्र

यही नहीं अयोध्या जनपद में अब तक किसी भी किसान ने ज्वार बचने के लिए पंजीकरण भी नहीं कराया है। जबकि खाद्य विपणन विभाग की ओर से लगभग एक महापूर्व से किसानों को पंजीकरण करने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो जनपद में ज्वार की खेती कागजों में ही होना प्रतीत हो रहा है । कृषि विभाग ने किसानों में ज्वार के 1.74 कुंतल बीज मिनी किट के रूप में वितरित कर दिए ।लेकिन यह नहीं सत्यापित किया कि किस-किस किसान ने ज्वार की फसल बोई है।

अब तक एक भी किसान ने नहीं कराया ज्वार बिक्री करने के लिए पंजीकरण

कृषि विभाग का आंकड़ा और उत्पादन दोनों ही अब फर्जी से साबित होते दिखाई दे रहे हैं। हालांकि कृषि विभाग के अधिकारीअपने दावे पर अभी भी अटल हैं । उनका कहना यह है कि जनपद में ज्वार की खेती की गई है और देर सबेर किसान पंजीकरण भी कराएं और क्रय केंद्रों पर ज्वार की बिक्री करने के लिए पहुंचेंगे। फिलहाल समय का इंतजार है की कृषि विभाग ने श्री अन्न का उत्पादन करने के लिए किसानों को कितना प्रेरित किया हैऔर उसका कितना प्रतिफल रहा सब सामने आ जाएगा।

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