‘जजेज सिलेक्टिंग जजेज’ : अब जज का बेटा नहीं बनेगा जज

न्यायिक सेवा में जजों की नियुक्तियों को लेकर नैपोटिज्म की समस्या सदियों से चली आ रही है। मगर अब सुप्रीम कोर्ट इस पर ब्रेक लगाने की तैयारी कर रहा है। कहा जा रहा है कि जज का बेटा या कोई रिश्तेदार जज नहीं बन सकेगा।

एक न्यूज वेबसाइट की खबर के मुताबिक जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया हमेशा से सवालों के घेरे में रही है। ‘जजेज सिलेक्टिंग जजेज’ वाली कॉलेजियम व्यवस्था को लेकर हमेशा से इस बात की आलोचना होती रही है कि हाईकोर्ट में बड़े पैमाने पर जजों के सगे संबंधियों की नियुक्ति होती है और वही जज बाद में सुप्रीम कोर्ट आते हैं।

हाईकोर्ट में नियुक्त होने वाले जज और सुप्रीम कोर्ट आने वाले जजों की पृष्ठभूमि देखने पर यह आरोप सही भी लगता है, क्योंकि अधिकांश जजों के परिवार में पहले से कोई जज रहा होता है। किसी के पिता जज रहे होते हैं, किसी के चाचा-ताऊ जज रहे होते हैं या किसी के नजदीकी संबंधी जज होते हैं। राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में ये बात आई थी कि करीब 50 फीसदी हाईकोर्ट जज, सुप्रीम कोर्ट या हाइकोर्ट के किसी जज के संबंधी हैं।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम अब इस व्यवस्था पर विराम लगाने की तैयारी में है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है कि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड या वर्तमान जज के परिवार से किसी एडवोकेट के नाम की सिफारिश जज के लिए नहीं भेजी जाएगी।

सूत्रों के मुताबिक कॉलेजियम मीटिंग के दौरान कॉलेजियम के एक मेंबर ने विचार रखा कि लोगों में यह एक आम धारणा है कि फर्स्ट जेनरेशन एडवोकेट ( जिनके परिवार से कोई जज नहीं रहा है ) की अपेक्षा जजों के संबंधी एडवोकेट्स को वरीयता मिलती है और फर्स्ट जेनरेशन एडवोकेट कम ही जज नहीं बन पाते हैं। इसलिए जजों के फैमिली मेंबर्स के नाम की सिफारिश पर रोक होनी चाहिए। कॉलेजियम के बाक़ी कुछ जजों ने भी इसपर अपनी सहमति जताई है। जबकि कुछ ने यह माना कि ऐसा होने से कुछ योग्य एडवोकेट जो जज नियुक्त होने की योग्यता रखते हैं, किसी जज का सगा होने से जज नहीं बन पाएंगे।

कॉलेजियम में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सहित सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर जज होते हैं। यही पांच लोग मिलकर तय करते हैं कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कौन जज बनेगा। जिन्हें जज बनाना होता है कॉलेजियम उन नामों को सरकार के पास भेजती है। कॉलेजियम द्वारा भेजी गई सिफारिश को सरकार एक बार ही लौटा सकती है। सरकार कॉलेजियम के द्वारा दूसरी बार भेजी गई सिफारिश को मानने के लिए बाध्य है। मौजूदा कॉलेजियम में सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस बी आर गवई, सूर्यकांत, हृषिकेश रॉय और ए एस ओका शामिल हैं।

‘जजेज सिलेक्टिंग जजेज’ वाली कॉलेजियम व्यवस्था की कमियों को दूर करने के राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग बना था, जिसे अक्टूबर 2015 में, सुप्रीम कोर्ट की पांच-जजों की संवैधानिक पीठ ने रद्द कर दिया था। NJAC में चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट के दो सीनियर मोस्ट जज, केन्द्रीय कानून मंत्री के अलावा सिविल सोसाइटी के दो लोगों को भी शामिल करने का प्रावधान था।

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