नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश एल नागेश्वर राव ने कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के खिलाफ दायर अदालत की अवमानना मामले की सुनवाई से बुधवार को खुद को अलग कर लिया।
संबंधित मामला मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति राव और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के समक्ष सूचीबद्ध था, लेकिन न्यायमूर्ति राव ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। न्यायमूर्ति राव ने कहा कि वह एक मामले में राज्य सरकार की ओर से वकील के तौर पर पेश हुए थे, इसलिए वह इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग करते हैं।
इसके बाद न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि मामले की सुनवाई के लिए अब एक नयी बेंच गठित होगी जिसमें न्यायमूर्ति राव नहीं होंगे। इसके साथ ही न्यायालय ने अगली सुनवाई के लिए 27 फरवरी की तारीख मुकर्रर की।
सीबीआई ने दायर की थी अवमानना याचिका
पं. बंगाल के तीनों अफसरों के खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की थी। एजेंसी का तर्क था कि तीनों ने कोर्ट के फैसले में रुकावट डालने की कोशिश की। कोर्ट ने तीनों से जवाब-तलब किया था। पंश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मलय कुमार डे, डीजीपी वीरेंद्र कुमार और कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार ने 18 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करके कहा है कि उन्होंने शारदा मामले की जांच को प्रभावित नहीं किया। तीनों अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग हलफनामा दाखिल कर बिना शर्त माफी भी मांगी है।
‘पुलिस अफसर धरना मंच पर नहीं गए’
तीनों अफसरों ने अपने हलफनामे में कहा कि ममता बनर्जी के धरना मंच पर कोई भी पुलिस अफसर नहीं गया था। उनका कहना है कि बताए गए समय पर पुलिस अफसर वर्दी में मौजूद नहीं रहे। उन्होंने कोर्ट से कहा कि तीन फरवरी को बगैर किसी दस्तावेज के सीबीआई के अफसर पुलिस कमिश्नर के घर में घुसने की कोशिश कर रहे थे।
राजीव कुमार ने कहा-तीन फरवरी को जांच का फैसला क्यों लिया
राजीव कुमार ने कहा कि आखिर तीन फरवरी को ही शारदा मामले में जांच का फैसला क्यों लिया गया। उनका कहना था कि तीन फरवरी सीबीआई के अंतरिम निदेशक के तौर पर एल नागेश्वर राव का आखिरी दिन था। चार फरवरी को नए निदेशक को सीबीआई का कार्यभार संभालना था। राजीव का सवाल था कि अहम मामले में जांच के लिए नए निदेशक का इंतजार क्यों नहीं किया गया। राजीव ने इसे साजिश करार देते हुए कहा कि एक साल के अंतराल के बाद उन्हें शारदा मामले में नोटिस दिया गया था। उनका कहना था कि सीबीआई ने इस मामले में कोलकाता हाईकोर्ट के निर्देशों की भी अवहेलना की। राजीव कुमार का कहना था कि शारदा मामले से जुड़ा कोई भी साक्ष्य सीधे तौर पर उनकी निगरानी में नहीं था। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में शिकायत की थी कि राजीव कुमार साक्ष्यों को नष्ट करने की कोशिश में थे।