कानपुर। शहर की अतिव्यस्त कपड़े की थोक बाजार के नौघड़ा में बासमंडी जैसा अग्निकांड होते बचा। शार्ट सर्किट से लगी आग से तीन मंजिला इमारत में आग लग गयी। जिस इमारत में आग लगी उसके नीचे साड़ी सेंटर तो ऊपर गोदाम बना हुआ था। तंग गलियों के चलते फायर ब्रिगेड को आग बुझाने में नाकों चने चबाने पड़े। करीब पांच घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका। आग में करीब बीस लाख का नुकसान की आशंका है। पुलिस व फायर ब्रिगेड के अफसरों व जवानों ने समय रहते अगर आग पर काबू न पाया होता तो आसपास की पूरी मार्केट जलकर खाक हो जाती।
कलक्टरगंज के नौघड़ा कपड़ा मार्केट में विकास शुक्ला का कमान है। उसी मकान में गुलशन सागर की सागर गारमेंट एंड साडी सेंटर के नाम से दुकान है। उन्होंनें बताया कि ऊपर के फ्लोर में एक कमरा गोदाम के लिये तो नीचे साड़ी सेंटर की दुकान संचालित होती है। सोमवार की सुबह अचानक ऊपरी हिस्से में धूंआ उठता देख हड़कम्प मच गया। देखते ही देखते पूरा इमारत आग की लपटों से घिर गयी तो आसपास के लोगों में कोहराम मच गया।
फायर कर्मियों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी
तंग गलियों का इलाका होने के चलते आग का धूंआ घरों में भरने लगा जिससे सांस लेने में दिक्कत होनी लगी। सूचना मिलते ही एसीपी कलक्टरगंज टीबी सिंह समेत फायर अफसर दमकल के साथ पहुंचे। मुख्य रोड से दमकल अंदर नहीं जा सकी। तंग रास्ता होने के चलते दो दो पाइपों को जोड़ कर किसी तरह आग पर काबू पाने की मशक्कत शुरू की गयी। तब तक सागर साड़ी सेंटर में रखा लाखों का माल जल चुका था। आग आसपास की इमारतों तक न पहुंचे इसके लिये फायर अफसरों ने आसपास के मकानों पर पानी डालन शुरू कर दिया। करीब पांच धंटे तक अफरा तफरी का माहौल रहा। आसपास के लोगों ने अपने घरों से पानी की टंकी समेत सबमर्सिबल पंप से पानी डालकर आग बुझाने में दमकल विभाग की मदद की। करीब पांच घंटे बाद आग पर काबू पाया जा सका। फायर अफसरों ने मौके पर जांच पड़ताल शुरू कर दी है।
बांसमंडी में हमराज समेत पांच टॉवरों में लगी आग की घटना से पुलिस या दमकल विभाग ने सबक नहीं लिया। न ही शहर के जागरूक नागरिकों और व्यपारियों ने सबक लिया। नौघड़ा में सोमवार को लगी आग ने सभी को हिला कर दिया। गनीमत रही की आग की चपेट में और दुकानें, मकान नहीं आये नहीं तो हमराज कॉम्पलेक्स से बड़ा हादसा यहां हो सकता था। दरअसल आसपास घनी बस्ती के साथ कपड़ों की सबसे बड़ी मार्केट है जहां प्लास्टिक के थोक व फूटकर दुकानें भी है। घनी बस्ती होने के चलते आग पर काबू पाने में भी दिक्कतें सामने आयी। पर यहां के रहने वाले या व्यपारियों ने आग से बचाव के प्रर्याप्त पबंध नहीं किये है।