दैनिक भास्कर ब्यूरो ,
कानपुर। न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे (से0 नि0) अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट कमेटी ऑन रोड सेफ्टी द्वारा स्टेट गेस्ट के रूप में कानपुर में प्रवास / भ्रमण किया गया। अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट कमेटी ऑन रोड सेफ्टी द्वारा रोड सेफ्टी की संक्षिप्त बैठक केडीए के सभागार में आयोजित की गयी। बैठक में न्यायमूर्ति द्वारा सडक दुर्घटनाओं में हो रही मृत्यु के सम्बन्ध में अवगत कराया गया कि सड़क दुर्घटना में हो रही मृत्यु की संख्या में भारत विश्व में प्रथम स्थान पर व उत्तर प्रदेश राज्य भारत देश में प्रथम स्थान पर है।
सन् 2022 में जनपद में सड़क दुर्घटनाओं में प्रथम स्थान पर था, वर्तमान में सड़क दुर्घटनाओं में हो रही मृत्यु में कुछ कमी आयी है।उन्होंने बताया कि वैश्विक महामारी (कोविड-19) के विगत दो वर्षो में जितनी मृत्यु इस महामारी से नहीं हुई, उससे कहीं अधिक सड़क दुर्घटना में हुई हैं। हर घण्टे सड़क दुर्घटनाओं में 300 से 400 लोगों की मृत्यु हो रही है। भारत में प्रति वर्ष लगभग 1.5 लाख से अधिक मृत्यु सड़क दुर्घटनाओं से हो रही हैं। उत्तर प्रदेश में प्रति वर्ष लगभग 22 हजार लोगों की मृत्यु सड़क दुर्घटना में व जनपद में लगभग 1 हजार लोगों की मृत्यु हो रही है।
जिलाधिकारी द्वारा न्यायमूर्ति को अवगत कराया गया कि सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाये जाने हेतु जनपद स्तर पर प्रतिमाह जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक का आयोजन किया जाता है, जिसमें सड़क सुरक्षा से सम्बन्धित विभिन्न बिन्दुओं पर चर्चा कर सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में कमी लाने हेतु रणनीति तैयार की जाती है।
अपर परिवहन आयुक्त (स0सु0) द्वारा न्यायमूर्ति को सड़क सुरक्षा के दृष्टिगत अवगत कराया गया कि आने वाले समय में परिवहन विभाग में ड्राइविंग लाइसेंस आटोमेटिक टेस्टिंग व्यवस्था के तहत जारी होगा इसके लिए जनपदों में आटोमेटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक की स्थापना के साथ ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल भी स्थापित किये जा रहे हैं। उक्त के क्रम में जनपद रायबरेली में ड्राइविंग ट्रेनिंग इन्स्टीट्यूट की शुरूआत हो गयी है जिसमें 72 चालकों के रहने एवं उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था है।
उप परिवहन आयुक्त ने अध्यक्ष को परिवहन विभाग के अधिकारियों द्वारा जिन वाहनों को विभिन्न अभियोग में बन्द किया जाता है उनके लिए थानों में पर्याप्त जगह न होने से वाहन को बन्द करने में अत्यधिक कठिनाई होती है जिससे प्रवर्तन कार्यवाही प्रभावी नहीं हो पाती है।लाइसेंस धारक के लिए न्यूनतम योग्यता निर्धारण नहीं है।यातायात से सम्बन्धित कोई भी एसओपी जारी होती है तो उसमें फील्ड के अधिकारियों का मन्तव्य अवश्य लिया जाये।संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) द्वारा अवगत कराया गया कि आई0टी0एम0ए0 द्वारा प्राप्त डाटा के आधार पर भी परिवहन विभाग द्वारा नियमानुसार चालान की कार्यवाही संपादित की जा रही है।
न्यायमूर्ति/अध्यक्ष, कमेटी ऑन रोड सेफ्टी द्वारा बैठक में उपस्थित सभी स्टेक होल्डर्स व बैठक में उपस्थित अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि सड़क दुर्घटनाओं में हो रही मृत्यु को कम किये जाने संबंधी अपने सुझाव लिखित रूप से कमेटी ऑन रोड सेफ्टी को उपलब्ध करायें जाये ताकि कमेटी ऑन रोड सेफ्टी के विशेषज्ञों से इसका परीक्षण कराकर नियमानुसार अग्रिम कार्यवाही की जा सके।
न्यायमूर्ति द्वारा यातायात विभाग व परिवहन विभाग के अधिकारियों को सड़क दुर्घटना को कम किये जाने के दृष्टिगत कमेटी आन रोड सेफ्टी के सभी अभियोगों यथा-हेलमेट, सीटबेल्ट, ड्रंकन ड्राइविंग, ओवरस्पीड, वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का प्रयोग, ओवरलोड इत्यादि अभियोगों में प्रभावी प्रवर्तन कार्यवाही की जाये।वाहन चालकों के ड्राइविंग लाइसेंस की जाॅच सख्ती से की जाय। स्कूल व विद्यालय में आ रहे छात्रों/अध्यापकों इत्यादि लोगों द्वारा शत्-प्रतिशत वाहन चलाते समय हेलमेट व सीटबेल्ट का अनिवार्य रूप से प्रयोग कराया जाये। ज्यादा से ज्यादा लोगों को सड़क सुरक्षा से सम्बन्धित मानकों के प्रति जागरूक किया जाये।
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