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भास्कर ब्यूरो
- एक ही घर के दो इस्टीमेट बनाकर फंसे अवर अभियंता
- आवेदन करने वाले से मांगे 20 हजार, अब होगी कार्रवाई
- खंभे से ज्यादा दूरी दिखाकर थमाया इस्टीमेट अकबरपुर
कानपुर देहात : बिजली कनेक्शन के लिए सरकार ने भले ही प्रक्रिया बेहद सरल कर दी है लेकिन जेई अगर ठान ले तो सारे नियमों को ताख पर रख कनेक्शन नहीं देगा। ऐसा ही सिंगरसीपुर सबस्टेशन का हैरान करने वाला मामला सामने आया है।
जेई ने घरेलू कनेक्शन के लिए आवेदन करने वाले से 20 हजार रुपये मांगे। जेब गरम नहीं हुई तो ऐसे भंवर में उलझाया कि पांच महीने से ग्रामीण को कनेक्शन नहीं मिल पाया। रुपये मांगने के जो आरोप लगाए गए वह इसलिए सच साबित हो रहे हैं कि जेई ने कनेक्शन देने के लिए ऑनलाइन रिपोर्ट लगाई। जिसमें एक ही घर से हुए आवेदन में पहले 35 हजार फिर 91 हजार कर इस्टीमेट बना दिया। सवाल ये है कि एक दूरी पर दो तरह के इस्टीमेट क्यों बनाए गए।
देवीपुर के मजरा विजईपुर के रहने वाले शिवसागर ने बताया कि दस अक्तूबर 2024 को एक किलोवाट घरेलू कनेक्शन के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। जेई ने बुलाया और बीस हजार रुपये मांगे। रुपये देने में असमर्थता जताने पर जेई ने 6 नवंबर को खंभे से 50 मीटर की अधिक दूरी दिखाकर 35741 रुपये का इस्टीमेट बना दिया। आवेदक ने ये रकम जमा करने में हाथ खड़े कर दिए। जेई के पास जाकर फिर गिड़गिड़ाया और
इस पर जेई ने कहा कि पहला आवेदन निरस्त कर चुके हैं अब दूसरे नाम से आवेदन करा दीजिए। इस बार कनेक्शन दे देंगे। इस पर शिवसागर ने अपने बेटे राघवेंद्र सिंह के नाम आवेदन करा दिया। जेई फिर वही 20 हजार रुपये की रट लगाने लगे। इस पर पीड़ित एसडीओ के पास गया। एसडीओ ने जेई को फोन किया। इस पर जेई साहब ने 17 फरवरी को बेटे के आवेदन पर 91634 रुपये का इस्टीमेट बनाकर थमा दिया। अब एक ही घर से हुए आवेदन में दो तरह के इस्टीमेट मामला संज्ञान में आया है।
अगर जेई ने दो तरह की रिपोर्ट लगाई है तो ये गलत है। पूरे प्रकरण की जांच कराई जा रही है। जांच रिपोर्ट मिलने पर नियमानुसार कार्रवाई होगी।
20 मीटर आगे के घर में बांट चुके कनेक्शन आवेदक शिवसागर ने बताया कि वह जिस घर के लिए कनेक्शन मांग रहे हैं उससे 20 मीटर और आगे बिजली विभाग पहले से कनेक्शन दिए है। इसके बाद भी जेई की मनमानी से उन्हें कनेक्शन नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि जेई के ऐसे तमाम कारनामें हैं जिनसे उपभोक्ता परेशान हो रहे हैं। बिल कम करने के नाम पर भी उपभोक्ताओं का शोषण किया जा रहा है।