कानपुर। आशा बहूओं से लेकर आंगनबाड़ी व कार्यकर्ताओं की उपेक्षा भी खूब की गयी। उन्हें एयरपोर्ट लाते वक्त ठंडा पानी , लंच के पैकेट दिये गये पर जैसे ही मुख्यमंत्री गये सभी को ऐसे छोड़ दिया गया मानों उनका कोई वारिस भी न हो। दूर दराज के गांव से लायी गयी कई महिलायें तो काफी गुस्से में दिख। मुख्यमंत्री के आने से पहले गांव में आशा कार्यकत्री समेत सुपरवाइजर जीते हुए चेयरमैन शहर में विधायक और पार्षदों को भीड़ लाने की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। मुख्यमंत्री को यूं तो सवा 12 बजे आ जाना था भीड़ भी उसी हिसाब से पहुंचने लगी ।
एक तरफ पंडाल में सिर्फ महिलायें ही महिलायें दिख रही थी तो वहीं बाहर भी आसपास के गांव से लोग बुलाये गये थे। करीब दो घंटे देरी से सीएम सभा में पहुंचे तब तक कई महिलाओं और बुजुर्ग के सब्र का बांध टूट चुका था। सीएम के जाते ही सब बसों को खोजने लगी जिससे वापस जाना था पर बसों को आधा किलोमीटर दूर पुलिस ने खड़ा कराया था जिससे काफी परेशानी हुई। वहीं कुछ महिलाओं ने मानदेय काटने की धमकी देकर जबरन बुलाये जाने की बात भी कही।