जमीन, मकान, दुकान के दलाल पुलिस के रडार पर
जायदाद के लड़ाई – झगडों ने उड़ाई पुलिस की नींद
रसूखदारों की दखलंदाजी से और उलझ जाते हैं मामले
ऐसे रसूखदारों में पुलिस, नेता, वकील, पत्रकार भी शामिल
भास्कर ब्यूरो
कानपुर। जमीन, मकान, दुकान के झगड़े में आए दिन बवाल ने पुलिस को परेशान कर दिया है। ऐसे मामलों में सख्ती दिखाने पर बवाली के पक्ष में कोई रसूखदार ढाल बनकर खड़ा हो जाता है। जायदाद के झगड़ों में पैरवी करने वाले रसूखदारों में खाकी वर्दी वालों के साथ-साथ नेता, वकील, पत्रकार और सफेदपोश भूमाफिया की शामिल हैं। ऐसे लोगों की दखलंदाजी से मामले सुलझने के बजाय और पेचीदा हो जाते हैं। कमिश्नरेट पुलिस अब सीधे रसूखदारों पर शिकंजा कसने के मूड में हैं। फिलहाल पुलिस कार्रावाई में हस्तक्षेप करने वालों की सूची बनाने का काम तेजी से चल रहा है। इसके बाद पहले दौर में समझाइश, फिर सख्ती होगी।
माफिया के खिलाफ मुख्यमंत्री की जीरो टालरेंस नीति को पलीता लगाने वाले मठाधीश अब पुलिस के निशाने पर हैं। पुलिस आयुक्त ने ऐसे लोगों को चिन्हित करने के निर्देश दिये हैं। इनकी गतिविधियों पर भी नजर रखी जायेगी। दरअसल कानपुर नगर और ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर जमीनी विवाद में हत्या तक की घटनाएं हो चुकी हैं। इनमें चकेरी के किसान बाबू सिंह सुसाइड मामला सुर्खियों में है।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि जमीन, मकान, दुकान के ज्यादातर मामलों में अधिवक्ता, पत्रकार या पुलिस की संलिप्तता सामने आ चुकी है। ऐसे मामलों में देखा गया है रसूखदार विवादित जमीन के मामलों में हस्तक्षेप करके उसे और उलझा देते हैं। पुलिस अफसरों से मिलकर भी दबाव बनाया जाता है। कई मामलों में फर्जी खबरें बनाकर अफसरों को टारगेट किया जाता है जिससे पुलिस अफसर भी असहज हो जाते हैं। अभी हाल ही में पुलिस अफसरों की मीटिंग हुई थी। उसमें पुलिस अफसरों, एसीपी स्तर के अधिकारियों ने दर्द बयां किया कि जमीन के झगड़ों में वकीलों का हस्तक्षेप तो होता ही है, भूमाफिया के इशारे पर कथित पत्रकार पुलिस के दामन पर दाग लगाने वाली फर्जी खबरें पोस्ट करने लगते हैं।
कई मामलों में पुलिस के दामन पर जमीनों पर कब्जा या मकान खाली कराने के आरोप लगे हैं। अब ऐसे पुलिस कर्मियों को भी चिन्हित करके सबसे पहले इन्हे थाने से हटाया जायेगा। वकालत की आड़ में जमीनी मामलों में संलिप्त अधिवक्ताओं और पत्रकारों की पूरी जानकारी जुटा कर डेटा बनाया जायेगा। ऐसे में अगर कोई थाना स्तर पर पुलिस पर दबाव बनायेगा तो थानेदार सीधे अफसरों को मामले की जानकारी देंगे। इससे फायदा यह होगा कि अगर खबरनवीस या अधिवक्ता या कोई पुलिसकर्मी अफसरों को गुमराह करेगा तो अफसरों के पास उसकी पूरी जानकारी होगी कि कौन जमीनी विवादों को बढावा देता है या उसमें संलिप्त है। ऐसे में अफसरों के जरिये या फर्जी खबरों के जरिये दबाव नहीं बनाया जा सकेगा।
इंसेट-
कुछ चर्चित मामले
चकेरी में एक सप्ताह पहले मकान के विवाद में मारपीट और फायरिंग तक हुई थी जिसमें कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।
किसान बाबू सिंह का मामला सुर्खियों में है जिसमें काले कोट से लेकर सत्ताधारी तक की दखलंदाजी सामने आई थी।
गुजैनी में मकान के विवाद में बुजुर्ग को पीटा गया था, जिसमें कुछ कथित पत्रकारों के नाम आये थे।
हनुमंत विहार थाना क्षेत्र में जमीनी विवाद में युवक ने सुसाइड किया था। इस मामला में सामने आया था कि एक अधिवक्ता ने उसे जहर खाने के लिये विवश किया था।
कोट–
एसीपी स्तर के अफसरों से कहा गया है कि जमीन, मकान, दुकान के विवाद में कोर्ट के निर्देश का पालन करें। थाना स्तर पर कोई भी पुलिसकर्मी किसी का मकान, दुकान, जमीन पर कब्जा कराने या कब्जा हटाने में संलिप्त पाया गया तो सीधे कार्रवाई होगी। साथ ही वकील, ऐसे मामलों में कोर्ट स्तर से मामला निपटाते हैं तो पुलिस सहयोग करेगी लेकिन पुलिस पर दबाव बनाकर अधिवक्ता या खुद को पत्रकार बताने वाले ऐसे मामलों में संलिप्त होंगे तो पूरे मामले की गहन छानबीन के बाद ही पुलिस कोई एक्शन लेगी।
-अखिल कुमार, पुलिस आयुक्त कानपुर पुलिस कमिश्नरेट