कानपुर | महाशिवरात्रि पर्व पर घर में बाबा शिव का रूद्राभिषेक कराने से सुख, समृद्धि यश, वैभव कीर्ती ,धन धान्य की अनुभूति प्राप्त, होती हैं,यह बात आचार्य नितिन पाण्डेय ने कही। महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन मनाई जाती है। महाशिवरात्रि का व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, कष्ट एवं संकट दूर होते हैं, फाल्गुन में पड़ने वाले कृष्ण चतुर्दशी यानी इस दिन पड़ने वाले शिवरात्रि को ‘महाशिवरात्रि’ के रूप में मनाया जाता है। हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को ‘शिवरात्रि’ कहा जाता है। प्रत्येक वर्ष साल भर में लगभग 12 शिवरात्रि होती है, इन्हीं बारह शिवरात्रि में पड़ने वाली महाशिवरात्रि बेहद ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन माता पावर्ती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। भगवान शंकर माता पावर्ती के कठोर तप के बाद इसी दिन उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। वैदिक पंचाग के अनुसार साल 2022 में महाशिवरात्रि तिथि 1 मार्च, मंगलवार सुबह 3:16 मिनट से शुरू होकर और चतुर्दशी तिथि का समापन 2 मार्च, बुधवार सुबह 10 बजे होगा।
धर्मग्रंथों के अनुसार, फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ही भगवान शंकर ने अपने भक्तों को शिवलिंग के रूप में दर्शन दिए थे. पौराणिक कथाओं के अनुसार जब सृष्टि की शुरुआत हुई तब ब्रह्मा और विष्णु में श्रेष्ठता को लेकर विवाद छिड़ गया. अचानक करोड़ों सूर्य की चमक के साथ एक विशाल अग्नि स्तंभ प्रकट हुआ, जिसे देखकर दोनों चकित रह गए। इस अग्निस्तंभ से भगवान शंकर ने पहली बार शिवलिंग के रूप में दर्शन दिए. उस दिन फाल्गुन माह की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि थी।मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने वालों पर भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा होती है। महाशिवरात्रि के दिन जहां उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में दीपस्तंभ लगाया जाता हैं, वहीं कई जगहों पर शिव बारात भी निकाली जाती है। इस दिन भगवान शिव को बेलपत्र, बेर, चरणामृत आदि आर्पित किए जाते हैं।
इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा आराधना की जाती है।भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा के समक्ष अक्षत, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, लौंग, इलायची, दूध, दही, शहद, घी, धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा आदि से पूजन आरती करेंं।