दैनिक भास्कर ब्यूरो ,
कानपुर। शहर के कई थानों में सिपाही, फिर दरोगा, और इंस्पेक्टर के बाद सीओ के पद पर तैनात रहे सुपर कॉप के नाम से प्रख्यात त्रिपुरारी पांडे उर्फ दबंग पांडे का लम्बी बीमारी के बाद जालौन में निधन हो गया। जैसे ही यह खबर शहर के पुलिस महकमे और आम लोगों को पहुंची सभी में शोक की लहर दौड़ गयी। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने उनके नाम और फोटो के साथ स्टेटस लगाया तो कई लोग उन्हें गरीबों का मसीहा कहते रहे।
त्रिपुरारी पांडे कानपुर में ही कई थानों में सिपाही थे, यहीं पर उन्हें दरोगा और फिर इंस्पेक्टर पद पर प्रमोश मिला था। ओझा गैंग समेत बावरिया गैंग के कई लोगों को मुठभेड़ में दबोचने वाले सुपर कॉप त्रिपुरारी पांडे का क्राइम नेटवर्क काफी मजबूत माना जाता था। जीआरपी में तैनाती के दौरान उन्हें एसीपी पद पर प्रमोशन मिला था।
कानपुर के कर्नलगंज में बतौर एसीपी उनकी आखरी पोस्टिंग थी। तीन जून को हुई हिंसा में उप्रदवियों की कमर तोड़ने से लेकर कई उपद्रवियों को पकड़ने में उनका योगदान रहा था। कोविड के दौरान गरीबों की मदद करने से लेकर कई बेटियों की शादी और बच्चों की पढ़ाई का खर्च उन्होंने उठाया था। बर्रा में संजीत अपहरण कांड में मारे गये संजीत की बहन की पढ़ाई का खर्च भी त्रिुपरारी उठा रहे थे।
शहर के कई डॉक्टरों, अफसरों, पत्रकारों के मददगार भी रहे। तीन जून की हिंसा में कुछ आरोपों को लेकर उन्हें जालौन ट्रेनिंग सेंटर में भेजा गया था। जहां किडनी और लीवर की बीमारी से ग्रस्त थे। जहां इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। परिवार में पत्नी के अलावा दो बेटे है एक बेटे की शादी कानपुर में ही हुई है।
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