दैनिक भास्कर ब्यूरो ,
बिल्हौर, कानपुर। गुरुवार से सुप्रसिद्ध जिंदा शाह मदार की दरगाह पर शुरू हुए तीन दिवसीय 607वें सालाना उर्स आयोजन में शनिवार को जायरीन का तांता लगा रहा। दरगाह परिसर से लेकर कस्बे की सकरी गलियां तक लोगों से लबालब हैं। हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि वीजे के अभाव में अधिकांश विदेशी नागरिक उर्स में शामिल नहीं हो सके हैं। उन्हें वीडियो कॉलिंग के जरिए उर्स की रस्मों में शामिल किया गया।
आया उर्स ए मदार, लगा है दीवानों का मेला… जिन्दा शाह मदार की नगरी मकनपुर के रहने वाले मुफ्ती शजर अली मदारी की लिखी यह पंक्तियां उर्स के माहौल को शब्दों की माला में पिरोने जैसी हैं। रस्मों रिवाजों के साथ शुरू हुए उर्स में जर्मन से सूफी प्रशिक्षु मरियम, मारिशस से मौलाना जुनैद अहमद मदारी सहित देश विदेश के लाखों नागरिक शामिल हैं।
सदर सज्जादा मुजीबुल बाकी के सामने मलंगों ने रस्में धम्माल अदा की। इस दौरान दर्जनों मलंग ने अपने बालों को खोलकर दम मदार बेड़ा पार की सदा बुलंद की। उर्स आयोजक कमेटी के मौलाना फैजुल अनवार ने बताया कि उर्स में हमेशा से जायरीन की तादाद बेशुमार रहती है।
जलसे के नाजिम मौलाना नूरूल अराफात के मुताबिक उर्स का मुख्य उद्देश्य एकता को बढ़ावा देना है। उर्स में धर्म का बंधन टूट जाता है और अलग अलग मजहब के लोग एक साथ आयोजन में शरीक होकर इंसानियत और भाईचारे की मिसाल कायम करते हैं।
राजकोट से उर्स में शामिल हुए बाबा अंगार अली शाह और उनके एक सैकड़ा से अधिक साथियों के लंगर की चर्चा आम रही।इंस्पेक्टर प्रेमचन्द्र कनौजिया के मुताबिक उर्स के दौरान यातायात सुचारू रखने के लिहाज से रूट डायवर्जन किया गया। सुरक्षा के लिए चप्पे चप्पे पर पुलिस तैनात भी रही।
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