कारगिल विजय दिवस 2020 : भारतीय सेना के लिए पॉइंट 4875 था बहुत अहम, खास प्लान के साथ हासिल की थी जीत

लखनऊ
टाइगर हिल (Tiger Hill War) की जंग अभी पूरी तरह से खत्म भी नहीं हुई थी कि पॉइंट 4875 का (Point 4875 Story) मिशन सेट कर लिया गया था। यह मस्को वैली के नजदीक है। उन दिनों कैप्टन विक्रम बत्रा (Vikram Batra) की कुछ तबीयत खराब थी। कर्नल वाईके जोशी उन्हें इस मिशन पर नहीं भेजना चाहते थे। इसके बावजूद विक्रम का कहना था कि वही इस मिशन को पूरा करेंगे। कारगिल की जंग का खास किस्सा मीडिया  से लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) मोहिंदर पुरी ने साझा किया है।


लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) मोहिंदर पुरी कहते हैं, ‘पॉइंट 4875 महत्वपूर्ण था। हमने एक तरफ से 79 ब्रिगेड का इस्तेमाल किया था। इसका नेतृत्व ब्रिगेडियर कक्कड़ कर रहे थे। इस जंग में 17 जाट और एक ओर से 13 जम्मू ऐंड कश्मीर राइफल्स (13 जैक रिफ) का भी इस्तेमाल किया गया। हमने पिछले इलाके में हमले के लिए टू नागा को टास्क दिया था।’

…और अनुज नय्यर को मिली शहादत
मोहिंदर पुरी कहते हैं, ‘5-6 जुलाई को चढ़ाई शुरू की गई। अनुज नय्यर 17 जाट बटालियन में जूनियर कमांडर थे। अनुज नय्यर अपनी टीम के साथ आगे बढ़ रहे थे तभी उनकी टीम के कमांडर जख्मी हो गए। इसके बाद टीम ने दो ग्रुप्स बनाकर आगे की जंग की तैयारी की। चोटी की ओर बढ़ते वक्त अनुज नय्यर ने देखा कि नजदीक ही कुछ पाकिस्तानी सैनिकों ने बंकर्स बना रखे हैं। नय्यर की टीम ने सटीक हमले से पाकिस्तानी सैनिकों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। तीन बंकर्स खाली कराने के बाद नय्यर चौथे बंकर की ओर बढ़ रहे थे। इसी दौरान उन पर एक ग्रेनेड गिरा और अनुज बुरी तरह से जख्मी हो गए। बंकर खाली कराने के दौरान अनुज शहीद हो गए।’

फिर विक्रम बत्रा को भी लगी गोली’
पुरी बताते हैं, ‘अब मोर्चा 13 जैक रिफ के हवाले था। विक्रम बत्रा पत्थरों की ओट से दुश्मन पर हमला कर रहे थे। इसी दौरान उनके एक साथी को गोली लग गई, वह नजदीक ही गिर गया था। विक्रम और अपने एक साथी के साथ पत्थर के पीछे थे। विक्रम और उनकी टीम के साथी के बीच बातचीत के बाद कैप्टन बत्रा आगे गए। जख्मी साथी को उठाते वक्त विक्रम बत्रा को भी गोली लग गई। विक्रम वहीं गिर गए।’“जब पाकिस्तानी इस जंग में बुरी तरह से शिकस्त के बाद लौट रहे थे तो इन्होंने जमीन में माइंस लगा दी थीं। इस दौरान हमारी कुछ कैजुअलटी हुई। इसका माकूल जवाब दिया गया।”-लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) मोहिंदर पुरी 

मोहिंदर पुरी कहते हैं, ‘पॉइंट 4875 (Point 4875) पर हमला करने के बाद पाकिस्तान की काफी कैजुअलटी हुई थी। वह बुरी तरह से टूट चुका था।’ वह कहते हैं, ‘इस इलाके को साफ करने में दो-तीन दिन लगे थे। फिर दोनों देशों के डीजीएमओ (Director General of Military Operations) अटारी में मिले। इसके बाद सीजफायर की घोषणा की गई। हालांकि, पाकिस्तान पूरी तरह से इस बात को नहीं माना था।’“जुलू टॉप पर कब्जे के लिए 22 जुलाई को पूरा ऑपरेशन तैयार किया गया। यह अटैक थ्री बाई थ्री जीआर और 9 पैरा के दो ग्रुप्स साथ किया गया।”-लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) मोहिंदर पुरी 

इस तरह पूरा हुआ कारगिल मिशन
पुरी बताते हैं, ‘मस्को वगैरह से पैरा ब्रिगेड ने भी ऑपरेशन चला रखा था। इन छोटी-छोटी लड़ाइयों के बीच जुलू टॉप पर अभी दुश्मन बैठा हुआ था। 22 जुलाई को पूरा ऑपरेशन तैयार किया गया। यह अटैक थ्री बाई थ्री जीआर और 9 पैरा के दो ग्रुप्स साथ किया गया। इसमें भी कुछ कैजुअलटी हुई। हमने 25 जुलाई को पूरे इलाके को कब्जा कर लिया था। हमने जुलू टॉप से पाकिस्तानी सेना के जवानों के शव बरामद किए थे। इसके बाद उन लोगों ने हमसे मांग की कि इन शवों को वापस कर दिया जाए। हमने लाइन ऑफ कंट्रोल के पास पूरे मिलिटरी रूल के साथ शव वापस कर दिए। इस तरह से 26 जुलाई को हमने पूरी तरह से जीत हासिल कर ली थी। इसके बाद हमने सीजफायर की घोषणा को मना लिया।’

जांबाजों को किया गया सम्मानित
लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) मोहिंदर पुरी कहते हैं, ‘जब मुझे विक्रम बत्रा की शहादत की जानकारी मिली तो गहरा दुख पहुंचा।’ इस जंग में संजय कुमार, जो कि अभी सूबेदार मेजर हैं उन्हें परमवीर चक्र मिला था। अनुज नय्यर को महावीर चक्र और कैप्टन विक्रम बत्रा को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) मोहिंद पुरी से जानें, जंग की खास बातें:
1. इस जंग में बोफोर्स का इस्तेमाल किया गया था, जिससे दुश्मन हैरान रह गया।
2. यंग ऑफिसर्स के साथ अच्छी लीडरशिप का लोहा पूरी दुनिया ने माना था।
3. पाकिस्तान भी इस बात को मान चुका था कि यह हमला बहुत बड़ी भूल थी।
4. यही नहीं, पाकिस्तान की सेना ने यह भी स्वीकार किया था कि भारतीय सैनिकों में अदम्य पराक्रम है। उनकी ताकत का कोई मुकाबला नहीं।

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