
उत्तराखंड में मूसलाधार बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। केदारनाथ धाम की ओर जाने वाला राजमार्ग सोनप्रयाग और गौरीकुंड के बीच मलबे और पत्थरों के गिरने से पूरी तरह बाधित हो गया है। मंदाकिनी और अलकनंदा नदियां खतरे के निशान को पार कर उफान पर हैं, जिससे नदी किनारे के घाट और रास्ते जलमग्न हो गए हैं। रुद्रप्रयाग में भगवान शिव की 15 फीट ऊंची मूर्ति भी अलकनंदा के बढ़ते जलस्तर में डूब गई है, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।
यात्रा स्थगित, सुरक्षा पहली प्राथमिकता
रुद्रप्रयाग के एसपी अक्षय प्रह्लाद कोंडे ने बताया कि श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए केदारनाथ धाम यात्रा को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया है। पैदल मार्ग पर कई स्थानों पर पत्थर गिरने की आशंका और मार्ग के अवरुद्ध होने के कारण आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। यात्रा पर आए श्रद्धालुओं से अनुरोध है कि वे जहां हैं, वहीं सुरक्षित ठहरें। पुलिस और प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड में है, और नदी किनारे जाने पर सख्त पाबंदी लगाई गई है।
मौसम विभाग का रेड अलर्ट
मौसम विभाग ने अगले कुछ घंटों के लिए भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है। नदियों के बढ़ते जलस्तर और भूस्खलन की आशंका को देखते हुए लोगों से अनावश्यक यात्रा से बचने की अपील की गई है। रुद्रप्रयाग पुलिस ने नदी किनारे रहने वाले लोगों को सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने की सलाह दी है।
उत्तराखंड में बारिश की तबाही
भारी बारिश ने उत्तराखंड में व्यापक तबाही मचाई है। गढ़वाल मंडल के उत्तरकाशी में धराली क्षेत्र में हाल ही में आई भीषण आपदा ने पूरे देश को झकझोर दिया है। कई संपर्क मार्ग बाधित होने से लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। राहत और बचाव कार्य जोर-शोर से जारी हैं, लेकिन मौसम की मार ने चुनौतियों को और जटिल कर दिया है।
एकजुटता और सावधानी की जरूरत
यह कठिन समय उत्तराखंड के लोगों और केदारनाथ धाम के श्रद्धालुओं के लिए चुनौतीपूर्ण है। प्रशासन और राहत टीमें स्थिति को नियंत्रित करने के लिए दिन-रात काम कर रही हैं। हम सभी से धैर्य और सहयोग की अपेक्षा करते हैं। प्रकृति के इस प्रकोप के बीच एकजुटता और सावधानी ही हमें सुरक्षित रख सकती है।