होम लोन का आवेदन करते वक्त रखें इन बातों का ध्यान

भास्कर समाचार सेवा

नई दिल्ली I घर खरीदना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, क्योंकि इसमें गहन छानबीन और पैसे की व्यवस्था करने की जरूरत होती है। संपत्ति की तेजी से बढ़ रही कीमतों ने समस्या और बढ़ा दी है। होम लोन आपके लिए मददगार होते हैं और घर खरीदने के लिए कोष की किल्लत को दूर करते हैं। ये दीर्घावधि वित्तीय व्यवस्था होती है जिसके तहत डाउन पेमेंट के तौर पर बड़ी राशि चुकाई जाती है, और फिर पूंजी की मासिक निकासी निर्धारित की जाती है जिसे समान मासिक किस्त (ईएमआई) कहा जाता है।

बैंक अब प्रॉपर्टी वैल्यू का 90 प्रतिशत तक ऋण मुहैया कराते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप 50 लाख रुपये कीमत वाला घर खरीदना चाहते हैं तो आपको शुरू में सिर्फ 5 लाख रुपये चुकाने की जरूरत होगी, और बैंक ऋण के तौर पर आपकी बकाया राशि चुकाएगा। ऋण की अवधि भुगतान पात्रता के आधार पर 30 साल तक की हो सकती है। इसलिए, 47 लाख रुपये के 30 साल की अवधि वाले ऋण पर कर्जदार को 8.5 प्रतिशत की ब्याज दर पर हर महीने 40,760 रुपये की ईएमआई चुकाने की जरूरत होगी।

हालांकि ऋण लेकर घर खरीदना आकर्षक लग सकता है, लेकिन शुरू में ही इसके नुकसान और चुनौतियों का आकलन कर लेना जरूरी है। होम लोन लेने से पहले यह समझना जरूरी है कि आप कितनी ईएमआई चुका सकते हैं। यदि आप अपनी ईएमआई चुकाने में विफल रहते हैं तो आपके पर्सनल फाइनैंस पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। नीचे ऐसे कुछ बिंदुओं पर प्रकाश डाला जा रहा है जिन पर आवास ऋण लेने से पहले दिमाग में रखा जाना चाहिए।

  • कम अवधि में ज्यादा ऋणदाताओं के साथ लोन आवेदन करने से परहेज करें

आज जब भी ऋण आवेदन सौंपते हैं, ऋणदाताओं को आपकी ऋण चुकाने की क्षमता का आकलन करने के लिए क्रेडिट ब्यूरो से क्रेडिट रिपोर्ट मिल जाती है। ऋणदाताओं द्वारा ऐसी क्रेडिट रिपोर्ट को प्रमुख जांच के तौर पर देखा जाता है, और इनसे क्रेडिट ब्यूरो को आपका क्रेडिट स्कोर कुछ अंक तक घटाने में मदद मिल सकती है। इसलिए, बेहद कम अवधि में कई ऋणदाताओं के साथ प्रत्यक्ष रूप से ऋण आवेदन करने आपका क्रेडिट स्कोर काफी घट सकता है, जिससे आपको ऋण मिलने की संभावना कम हो सकती है।

इसके बजाय, विभिन्न ऋणदाताओं से ऋण संबंधित जानकारी पाने के लिए ऑनलाइन फाइनैंशियल मार्केटप्लेस का सहारा लें। हालांकि ये मार्केटप्लेस भी आपको ऋण मुहैया कराने के लिए आपकी क्रेडिट रिपोर्ट हासिल कर लेंगे, लेकिन उनके द्वारा की गई क्रेडिट रिपोर्ट रिक्वेस्ट को सॉफ्ट इनक्वायरी समझा जाता है और इससे आपका क्रेडिट स्कोर नहीं घटता है।

  • अपनी पुनर्भुगतान क्षमता की जांच करें

ऋण अवधि आपके ईएमआई भुगतान और कुल ऋण खर्च को तय करने में बेहद महत्वपूर्ण योगदान देती है। ऋण अवधि का चयन अपनी भुगतान क्षमता के हिसाब से करें। संक्षिप्त अवधि के ऋण में ईएमआई अधिक और कम ब्याज खर्च होता है। इसलिए, यदि आप अपने जरूरी वित्तीय लक्ष्यों को नजरअंदाज किए बगैर अपनी बड़ी ईएमआई चुका सकते हैं तो ऋण की संक्षिप्त अवधि का चयन करें। यदि आप ऐसा नही ंकर सकते हैं तो कम ईएमआई के साथ लंबी ऋण अवधि पर जोर दें।

  • अपना सिबिल स्कोर जरूरी चेक करें

होम लोन का आवेदन करने से पहले आपको हमेशा अपना सिबिल स्कोर ऑनलाइन चेक करना चाहिए। आप अपनी क्रेडिट रिपोर्ट तुरंत चेक कर सकते हैं और यह पैसाबाजार.कॉम जैसी वेबसाइटों पर फ्री है। इससे आपको आकर्षक होम लोन ऑफर हासिल करने में मदद मिल सकती है। हालांकि सभी बैंक और वित्तीय संस्थानों ने अपने होम लोन को क्रेडिट स्कोर से नहीं जोड़ा है, इसलिए इसकी जांच करना जरूरी है क्योंकि कमजोर क्रेडिट स्कोर से आपकी होम लोन पात्रता पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है।

  • लोन एग्रीमेंट को नजरअंदाज न करें

कई मामलों में, होम लोन देने वाला बैंक आपको होम लोन के लिए प्री-पेमेंट करने की अनुमति देता है। इससे मूल रकम घट जाती है और आप पर ब्याज बोझ कम हो जाता है। हालांकि ऋणदाता प्री-पेमेंट पेनाल्टी के तौर पर बकाया रकम के प्रतिशत के तौर पर वसूल सकता है, जो सामान्यतः 1 से 5 प्रतिशत के बीच हो सकता है।

इसलिए होम लोन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने से पहले अपने ऋणदाता के साथ प्री-पेमेंट क्लॉज को अच्छी तरह से जांच लेना जरूरी है। आपको अपने ऋणदाता से प्री-पेमेंट पेनाल्टी (यदि हो तो) कम करने का अनुरोध करना चाहिए।

  • गलत निर्णय न लें

अंत में, संपत्ति बाजार से ज्यादा लंबे समय तक दूरी बनाए न रखें, समय 100 प्रतिशत अच्छा कभी नहीं होगा, और आपको लाभ उठाने के लिए इसमें कूदना पड़ेगा ही।

ऐसी आगामी अनिश्चिताओं के लिए तैयार होने का श्रेष्ठ तरीका है आपात फंड के स्वरूप अच्छा बैकअप तैयार करना। यह फंड आपके अनिवार्य मासिक खर्चों का कम से कम 6 गुना होना चाहिए, जिसमें आपकी मौजूदा और नई ऋण ईएआई शामिल हो। इसलिए, जल्द से जल्द, आप नए लोन की योजना बनाना शुरू कर दें, साथ ही नए लोन की संभावित ईएमआई के 6 गुना तक आकार के आपात फंड बनाने की कोशिश करें।

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