‘खेला होबे’ vs ‘विकास होबे’, इस बार मुकाबला दिलचस्प होबे


-भाजपा की तिकड़ी के सामने तृमका सिकु ड़ी
-चुनाव क्षेत्रों में बढ़ी योगी की सभाओं की मांग
-$तृणमूल कांग्रेस में नहीं थम रही है भगदड़

योगेश श्रीवास्तव
लखनऊ। पांच राज्यों के हो रहे चुनावों में पश्चिम बंगाल में हो विधानसभा चुनाव इस बार तृणमूल कांग्रेस के साथ केन्द्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के लिए भी नाक की लड़ाई बन गयी है। चुनावी जीतने के लिए दोनों दलों में गलाकाट स्पर्धा देखते बन रही है। पश्चिमबंगाल में पिछले एक दशक से सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को इस बार भितरघात के साथ ही भारतीय जनता पार्टी से कांटे की टक्कर मिल रही है। पश्चिम बंगाल में चुनाव घोषित होने से लेकर अभी तक तृणमूल कांग्रेस में भगदड़ जारी है। तृमकां के कई कद्दवार नेता एक एक करके ममता दीदी से किनारा कर चुके है। अन्य राज्यों की तरह इस बार के चुनाव में भी विशेष रूप से पश्चिम बंगाल के चुनाव में भाजपा की तिकड़ी मोदी शाह और योगी की वहां हो रही धुवाधार रैलियों और जनसभाओं और इसमें मिल रहे जनसमर्थन ने तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी की पेशानी पर बल डाल दिया है।

भाजपा के इन तीनों स्टार प्रचारकों की वहां खासी मांग है। हर प्रत्याशी इन तीनों प्रचारकों की अपने निर्वाचन क्षेत्र में सभा या रैलियां आयोजित कर जीत की गारंटी मान रहा है। पांच राज्यों में हो रहे चुनाव प्रचार को देखकर साफ दिख रहा है कि लड़ाई हिन्दुत्व और कट्टïर हिन्दुत्व के बीच होने वाली है। इसलिए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पश्चिम बंगाल और केरल समेत अन्य तीन राज्यों में आगे किया गया हैं। इस साल हो रहे पांच राज्यों के चुनाव से पूर्व चार साल पहले हुए यूपी विधानसभा चुनाव के बाद कर्नाटक मेघालय, त्रिपुरा, नागालैड, मध्यप्रदेश, राजस्थान छतीसगढ़ महाराष्ट्र मिजोरम तेलांगाना बिहार में इस तिकड़ी ने स्टार कम्पेनर के तौर पर अपनी अलग छाप बनाई है।


वर्ष २०१७ में यूपी में रिकॉर्ड बहुमत से जीत दर्ज करने के बाद भाजपा ने आदित्यनाथ को कमान देकर हिंदुत्व कार्ड को चरमोत्कर्ष पर पहुंचाने का प्रयास किया है। अब भाजपा रणनीति के तहत जहां प्रधानमंत्री मोदी को विकास के चेहरे के तौर पर चुनाव में उतारती है। वहीं हिन्दुत्व कार्ड के रूप् में योगी आदित्यनाथ की लगातार चुनावी सभाएं कराकर यह बताने का प्रयास करती है कि पार्टी पिछली सरकारों की तुष्टीकरण नीति के विपरीत चलकर सबका साथ सबका विकास के नारे को लेकर चल रही है।

दरअसल संघ अपनी रणनीति के तहत यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भविष्य में राष्ट्रीय नेता के तौर पर लाकर दूसरी पीढ़ी का बड़ा नेता बनाने की तैयारी में है। यही कारण है कि योगी आदित्यनाथ को लगातार दूसरे राज्यों में भेजकर उनकी एक अलग तरह की छवि के रूप् में पेश किया जा रहा है।

अब इस सफ ल प्रयोग को भाजपा नेतृत्व अगले साल होने वाले यूपी में विधानसभा चुनाव में भी दोहराने के मूड में है क्योंकि जिन राज्यों में विधानसभा के चुनाव हुए उसमें पार्टी ने यही फ ार्मूला अपनाने का काम किया। इस तरह से योगी आदित्यनाथ को पूरे देश में घुमाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के युग में पार्टी का फुलफ्रू फ मेकओवर करने का प्रयास किया गया है।

प्रधानमंत्री मोदी के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाहए भाजपा के स्टार प्रचारक रहे हैं। लेकिन अब हालात अब ऐसे नहीं रह गए हैं। भाजपा में पीएम मोदी के साथ-साथ अब यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी स्टार प्रचारक की भूमिका में आ गए हैं। कहीं-कहीं तो योगी आदित्यनाथ,पीएम मोदी के मुकाबले बीस साबित होते हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में प्रचार के लिए एक बड़े नेता के तौर पर उभरे हैं। अब जहां विधानसभा चुनाव होते हैं योगी की मांग बढती है।

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