महाकुंभ : सनातन धर्म से जुड़े 13 प्रमुख अखाड़े हैं। इसमें से एक अखाड़ा किन्नर अखाड़ा भी है जो सबसे नया अखाड़ा है। महाकुंभ में किन्नर अखाड़ा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यह अखाड़ा किन्नरों के धार्मिक और सामाजिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भी कार्य करता है। किन्नर अखाड़ा ने भारतीय समाज में अपनी पहचान बनाई है और यह अखाड़ा अपनी अनूठी पहचान के कारण ध्यान आकर्षित करता है। इस अखाड़े के इष्ट देव अर्धनारीश्वर और बउचरा हैं जिनके पूजा के उपरांत ही किन्नर संत कोई कार्य शुरू करते हैं।
बता दें, किन्नर अखाड़े की स्थापना 2016 के सिंहस्थ कुंभ से पहले अक्टूबर 2015 में हुई थी। तब से किन्नर अखाड़ा लगातार बढ़ रहा है। हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम अपनाने वाले दर्जनों किन्नरों को भी किन्नर अखाड़े ने फिर से अपने साथ जोड़ा है। किन्नर अखाड़े ने अब तक कई महामंडलेश्वर और मंडलेश्वर भी बनाए हैं। इसके अलावा, किन्नर अखाड़े ने 2019 के कुंभ से पहले संन्यासी परंपरा के सबसे बड़े अखाड़े श्री पंचदश नाम जूना अखाड़े के साथ लिखित समझौता किया था। जूना अखाड़े के संरक्षक महंत हरि गिरि के साथ किन्नर अखाड़ा भी इस बार महाकुम्भ में आया है।
भारतीय समाज में किन्नरों को माना जाता है शुभ भारतीय संस्कृति में किन्नरों को शुभ माना जाता है और उनकी उपस्थिति को शुभ माना जाता है। समाज में किन्नर समुदाय को एक विशेष स्थान प्राप्त है। इन्हें प्राचीन भारतीय संस्कृति में धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से एक अलग दर्जा दिया गया है। हिंदू धर्म में किन्नरों को भगवान शिव के उपासक और विशेष रूप से किन्नर समुदाय को शुभकामनाएं देने वाले और आशीर्वाद देने वाले के रूप में देखा जाता है।
अध्यात्म, समर्पण और परम्पराओं का प्रतीककुम्भ में किन्नरों की विशेष और ऐतिहासिक भूमिका होती है। किन्नर अखाड़ा अध्यात्म, समर्पण और परंपराओं का प्रतीक है। किन्नर अखाड़े की स्थापना का उद्देश्य किन्नर समुदाय को समाज में सम्मान और धार्मिक स्थान दिलाना है। कुंभ के दौरान किन्न्र अखाड़ा विभिन्न धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों में भाग लेता है, शाही स्नान में शामिल होता है, और अपने अखाड़े की विशेष परंपराओं का पालन करते हैं।
ट्रांसजेंडर राइट्स को लेकर सक्रियता किन्नर अखाड़े की संस्थापक और आचार्य महामण्डलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में कहा, ‘एक समय था, जब समाज में किन्नरों को हीन दृष्टि से देखा जाता था। लेकिन अब इसके लिए सरकार को जागरूक होना होगा। राइट ऑफ एजुकेशन पर काम करना होगा। भले ही दुनिया में हम वर्ल्ड लीडर हैं, लेकिन ट्रांसजेंडर राइट्स को लेकर और काम करना बाकी है। हमारे लीडर को और भी सेंसिटिव होने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा, ‘जो हमारे खिलाफ भ्रांतियां हैं, उन्हें दूर करना होगा। तभी समाज में बदलाव आएगा। जैसे ‘बेटी पढ़ाओ’ की मुहिम चलाई गई है। वैसे ही हमारे देश के लीडर्स को किन्नरों के लिए आगे आने की जरूरत है।
महामण्डलेश्वर ने बताया कि, उनका इरादा किन्नर अखाड़े को वैश्विक स्तर पर ले जाने का है। उन्होंने बताया कि, बैंकॉक, थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, सेंट फ्रांसिस्को, अमेरिका, हॉलैंड, फ्रांस और रूस सहित दुनिया भर के विभिन्न देशों से 200 से अधिक ट्रांसजेंडर लोगों को किन्नर अखाड़े में शामिल किया जाएगा। किन्नर अखाड़े से जुड़े ट्रांसजेंडर लोग विशेष रूप से विदेशों में किन्नर अखाड़ा स्थापित करना चाहते हैं।