संसद भवन में मंगलवार अपरान्ह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कार्यकारी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा की मीटिंग में महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से इस्तीफा दिलाने का फैसला हुआ।
वजह यह रही कि पार्टी के शीर्ष नेताओं को किसी भी स्थिति में सरकार बचाने के लिए बहुमत की व्यवस्था होती नहीं दिख रही थी। उन्हें लगा कि अल्पमत में होने के बावजूद फ्लोर टेस्ट का सामना करने पर ज्यादा किरकिरी की गुंजाइश है। यह जानकारी पार्टी सूत्रों ने आईएएनएस को दी है।
26 नवंबर को संविधान दिवस पर राज्यसभा और लोकसभा के विशेष संयुक्त सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाग ले रहे थे। इस दौरान महाराष्ट्र मसले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार तक बहुमत परीक्षण कराने का आदेश दे दिया। विशेष संयुक्त सत्र खत्म होने के बाद तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कक्ष में अमित शाह और जेपी नड्डा महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम पर बात करने पहुंचे। करीब आधे घंटे तक तीनों नेताओं की यह मीटिंग चली।
सूत्र बता रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुमत की संभावनाओं के बारे में बात की। जब यह पता लगा कि अजित पवार वादे के मुताबिक समुचित विधायक लाने में फेल दिख रहे हैं तो तो तय हुआ कि फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा देकर पार्टी का सम्मान बचाया जाए। माना जा रहा है कि फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा देने से पार्टी को लगा कि इससे कुछ डैमेज कंट्रोल हो सकता है। अल्पमत में होने के बावजूद अगर भाजपा फ्लोर टेस्ट का इंतजार करती और फिर मुंह की खाती तो ज्यादा किरकिरी होती। यह मीटिंग खत्म होने तक अजित पवार के भी इस्तीफा देने की खबर आई।
सूत्र बताते हैं कि इस मीटिंग के बाद देवेंद्र फडणवीस को भी इस्तीफा देने का संदेश पार्टी नेतृत्व ने भेजा। जिसके बाद फडणवीस की ओर से साढ़े तीन बजे प्रेस कांफ्रेंस की सूचना जारी की गई। फिर इस प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने इस्तीफे का ऐलान किया।