आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी को जेड सिक्योरटी मिल गई है। दरअसल, कल यानी 3 फरवरी को विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से ठीक 7 दिनों पहले उन पर हमला हुआ था। 5 गोलियां चलीं।
हमलावर गौतमबुद्धनगर के सचिन और सहारनपुर के शुभम को पकड़ भी लिया जाता है, लेकिन ये घटना.. सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। संवेदनशील माने जाने वाले पश्चिम UP के पिलखुआ के NH-9 स्थित छिजारसी टोल प्लाजा पर हुए इस हमले को चुनाव के दौरान मजहबी रंग देने की कोशिश से जोड़कर देखा जा रहा है। हमलावर के निशाने पर सिर्फ ओवैसी नहीं थे, बल्कि UP चुनाव था।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद हर टोल नाका पर VIP के लिए अलग से लेन बनाई गई है। आम तौर पर टोल नाके की सबसे लेफ्ट लेन VIP होती है, लेकिन यहां रोड थोड़ी घुमावदार है। इसलिए लेन-9 VIP थी। घटना के वक्त ओवैसी की गाड़ी इस लेन-9 पर नहीं थी। CCTV फुटेज के मुताबिक ओवैसी की गाड़ी लेन-14 से निकली। तब पास की लेन पर मौजूद लाल शर्ट पहने सचिन ने 2 गोलयां चलाईं।
ड्राइवर सूझबूझ दिखाता है और सचिन को गाड़ी से टक्कर मार देता है। सचिन के गिरते ही सफेद शर्ट पहने दूसरा शख्स लेन-15 से काफिले की दूसरी गाड़ी पर गोली चलाता है। इसके मायने हैं कि सिर्फ ओवैसी पर हमला करना मकसद नहीं था। काफिले पर हमला करके एक मैसेज देना था। गुरुवार को असदुद्दीन ओवैसी मेरठ के किठौर विधानसभा क्षेत्र में चुनावी प्रचार करने के बाद दिल्ली के लिए लौट रहे थे। जब ये वारदात हुई।
कार के विंडो ग्लास नहीं, गेट पर ही लगीं गोलियां
दिल्ली पहुंचने के बाद ओवैसी ने बयान दिया। उसके अनुसार ड्राइवर यामीन गाड़ी चला रहा था। वह खुद पिछली सीट पर किसी के साथ बैठे हुए थे। हमलावर की चलाई गोलियां कार के गेट पर निचले हिस्से पर लगी हैं। ये गोलियां विंडो ग्लास पर नहीं लगीं। अगर दूसरे हमलावर की बात करें तो 2 गोलियां उसने भी चलाईं, लेकिन वो फॉर्च्यूनर पर लगीं या नहीं, इसका खुलासा पुलिस नहीं कर रही है।
पिस्टल के हत्थे पर कलावा बंधा मिला.. ये भी संकेत है
इस वारदात में हमलावर ने सबूत भी छोड़ा। अवैध पिस्टल पर कलावा (रक्षा सूत्र) बंधा हुआ था। शस्त्र पर कलावा बांधकर दशहरे पर पूजा करने की परंपरा है, लेकिन वह शस्त्र लाइसेंसी हथियार होता है। UP के गैरकानूनी कारखानों में बनने वाले अवैध हथियारों की न कोई पूजा करता है और न ही उस पर कोई कलावा बांधता है। इस पिस्टल के हत्थे पर कलावा बंधा मिला है।
भाग सकता था सचिन, लेकिन पुलिस के हत्थे चढ़ गया
हमले के जो वीडियो सामने आए हैं, वे हैरत में डालने वाले हैं। सचिन गोली चलाने की शुरुआत करता है। तब सफेद रंग की गाड़ी दूसरी लाइन को क्रॉस करते हुए उसके सामने आ जाती है। यह जानते हुए कि सचिन के हाथ में पिस्टल है और वह सामने से सीधे सीने पर फायर कर सकता है। सचिन इस मौके का फायदा नहीं उठाता है।
वह न फायर करने की कोशिश करता है, न ही भागने का प्रयास करता है। फिर उसको कार की टक्कर लगती है। इसके बाद वो भागता है, लेकिन पुलिस उसको कुछ दूरी पर ही पकड़ लेती है। उसकी शिनाख्त भी आसानी से हो जाती है, वो एक हिंदू संगठन से जुड़ा हुआ युवक है। शुरुआती तफ्तीश में उसके कई भाजपा नेताओं के साथ फोटो सामने आए हैं।
दोनों हमलावर पश्चिमी UP के… पहले चुनाव भी यहीं पर
सचिन गौतम बुद्ध नगर और शुभम सहारनपुर का रहने वाला है। दोनों ही जिले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं। पहले दो चरणों के चुनाव यहीं होने हैं। हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण की साजिश की तरफ ये इशारा करती है।
इन दिनों टोल नाकों पर पैरा मिलिट्री तैनात है, जो गाड़ियों की चेकिंग कर रही है। हमला होने के बाद पैरा मिलिट्री के जवानों की तरफ से बदमाशों की घेराबंदी नहीं की गई। टक्कर मारने के बाद एक हमलावर नीचे गिरा, फिर उठकर भाग गया और किसी ने उसे पकड़ा तक नहीं? जबकि, उसका हथियार तो वहीं गिर गया था।
CCTV फुटेज से साफ है कि हमलावर अपनी पहचान छुपाने का प्रयास नहीं कर रहे हैं। सफेद शर्ट में शुभम हमला करता हुआ साफ नजर आ रहा है। सीधे शब्दों में हमलावर चाहते थे कि उनकी पहचान की जाए।
ओवैसी की दो टूक- मैं हिंदू संगठन के निशाने पर
ओवैसी ने कह दिया है कि उन्हें प्रयागराज धर्म संसद से गालियां दी गई हैं। वो हिंदू संगठन के निशाने पर रहे हैं। इस हमले को वे संसद में उठाएंगे। इधर तीन दिनों से जिस तरीके से अखिलेश-जयंत के विजय रथ के साथ चल रहे हरे रंग की टोपियों का हुजूम कहता है कि यह रंग मुस्लिम भी है और हरित क्रांतिकारी किसानों का भी। यानी, दोनों एकजुट हैं, बंटे हुए नहीं हैं।
इस बार मुस्लिम ओवैसी की पार्टी में बंटता दिखाई नहीं दे रहा है, भले ही उन्होंने अपने प्रत्याशी मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर उतार रखे हैं। इस हमले के बाद बहुत कम ही सही, लेकिन कुछ लोगों के ध्रुवीकृत होने की आशंका बन गई है।