जब कोरोना होता है
जब कोई भी व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित होता है तो 2 से 14 दिन के अंदर उस व्यक्ति में जो लक्षण सामने आते हैं वे इस प्रकार हैं…
-बुखार
-खांसी
-सांस कम आना
-लेकिन डरें नहीं, डॉक्टर को दिखाएं। यह फ्लू भी हो सकता है
आपातकालीन संकेत
अगर कोरोना वायरस के प्रारंभिक लक्षणों को अनदेखा किया जाए तो यह संक्रमण घातक स्थिति में पहुंच सकता है। इस दौरान संक्रमित व्यक्ति को पहले की तुलना में कहीं अधिक परेशानियां होने लगती हैं। जैसे…
– सांस लेने में अधिक दिक्कत होना
-सीने में लगातार दर्द या दबाव महसूस होना
-भ्रम होना या आक्रोशित होना (अन्य लक्षणों संग)
-असमर्थता (अन्य लक्षणों के साथ बेहद कमजोर और असहाय महसूस करना)
-होंठों में नीलापन बढ़ना या पूरे चेहरे की रंगत नीली होना
इन बातों का रखना है खास ध्यान
कोरोना से बचाव और इसके इलाज से जुड़ी लगातार नई जानकारियां सामने आ रही हैं। इस सबके बीच कुछ लोग भ्रामक बातें भी प्रचारित कर रहें, इनसे बचकर रहने की आवश्यकता है। साथ ही यह जरूर जानें कि अगर आपको या परिवार में किसी को संक्रमण हो जाता है तो क्या सावधानियां बरतनी हैं और क्या जानकारी जुटानी हैं…
-खुले में थूकने से बचें।
-किडनी और दमा के मरीज इस संक्रमण के जल्दी शिकार होते हैं। अधिक बचाव रखें।
-ब्लड ग्रुप ‘A’ के लोगों के लिए कोरोना अन्य ब्लड ग्रुप्स की तुलना में अधिक घातक है।
-शुरुआती लक्षण आने पर ही परिजनों और घर के बच्चों को खुद से दूर रहने के लिए कहें।
-कोरोना होने पर जान चली ही जाएगी, ऐसा नहीं है। बड़ी संख्या में लोग इस बीमारी से ठीक हो रहे हैं।
क्यों ‘A’ब्लड ग्रुप वालों को अधिक रिस्क?
चीन के वुहान और शेनझेन में कोरोना वायरस से ग्रसित 2 हजार 173 मरीजों पर की गई स्टडी के मुताबिक, इन मरीजों में ब्लड ग्रुप A के लोगों की संख्या अधिक पाई गई।
-रिसर्च से संबंधित अलग-अलग चरणों में सामने आया कि A, B और O ब्लड ग्रुप के लोगों में से कोरोना वायरस के संक्रमण का सबसे अधिक खतरा A ब्लड ग्रुप के लोगों को हो सकता है। इसलिए इन्हें सेनिटाइजेशन और फेस मास्क के उपयोग का अधिक से अधिक ध्यान रखना चाहिए।
-जबकि O ब्लड ग्रुप के लोगों में कोरोना के संक्रमण का खतरा A की तुलना में काफी कम देखा गया है। हालांकि इस दिशा में अभी और अधिक रिसर्च किए जाने की जरूरत है।
सबसे अधिक चिंता का विषय
कोरोना के बारे में हर बात से डरने और चिंतित होने की जरूरत नहीं है। लेकिन कुछ बातें ऐसी हैं, जिन्हें लेकर सजग रहना जरूरी है, नहीं तो स्थिति वाकई हाथ से निकल सकती है…
-कोरोना वायरस के परिवार में बहुत सारे वायरस हैं और ये लगातार घातक रूप लेकर आ रहे हैं। इसलिए बचाव को प्राथमिकता दें।
-साउथ कोरिया के डेटा के अनुसार, ज्यादातर युवा इस वायरस के संक्रमण में आ जाते हैं लेकिन उनमें लक्षण नहीं दिखते।
-कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के शरीर में 37 दिन तक रह सकता है।
-कोरोना वायरस लंबे समय तक हवा में जीवित रह सकता है। यह एक चिंता का विषय है और इस पर अधिक शोध किए जाने की जरूरत है।
कोरोना के इलाज से जुड़ी अच्छी खबरें
-जबसे इस वायरस का संक्रमण फैलना शुरू हुआ है दुनियाभर के हेल्थ एक्सपर्ट्स और सायंटिस्ट्स इस बीमारी को लेकर लगातार शोध कर रहे हैं। खास बात यह है कि इस बीमारी के इलाज से जुड़ी रिसर्च में सफलता मिल रही है।
-कई दवाएं ऐसी भी मिली हैं, जो इस बीमारी के इलाज में असरकारी दिख रही हैं। हालांकि इनके बारे में यह नहीं कहा जा सकता कि ये इसका इलाज हैं लेकिन बीमारी से लड़ने में संकेत अच्छे मिल रहे हैं।
ये दवाएं हो रही हैं कारगर साबित
-हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन, जो मलेरिया के इलाज में उपयोग की जाती है, भारतीय शोध संस्थान ने इसे कोरोना के इलाज में इसके उपयोग को हरी झंडी दी है।
– फ्रांस के हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन और एज़िथ्रोमाइसिन (जेट-पाक) का कॉम्बो कोरोना के इलाज में बहुत अधिक प्रभावी है।
-यानी हमारे हेल्थ एक्सपर्ट जल्द से जल्द इस वायरस के कारण होनेवाली बीमारी कोविड-19 (Covid-19) का इलाज खोजने में जुटे हैं और उन्हें इस दिशा में अच्छी सफलता मिल रही है।
मिलिए अपने एक्सपर्ट से
यह पोस्ट डॉक्टर जितेंद्र नारायण (https://bioinformaticsonline.com/profile/admin) द्वारा दी गई जानकारी पर आधारित है। डॉक्टर नारायण नामुर विश्वविद्यालय, बेल्जियम से पोस्टडॉक्टोरल सायंटिस्ट हैं । इस आर्टिकल से जुड़े किसी भी विषय पर अधिक जानकारी के लिए आप इन्हें info@bioinformaticsonline.com पर मेल कर सकते हैं।