जानिए आखिर क्यों चढ़ाया जाता है शिवलिंग पर बेलपत्र, और क्या है सही तरीका

हिंदू धर्म में सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को समर्पित है. आज के दिन भगवान शिव शंकर की विधि-विधान से पूजा-आराधना और व्रत किया जाता है. आज के दिन भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए भक्त शिवलिंग पर उनकी प्रिय बेलपत्र अर्पित करते हैं. ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करने से उन्हें शीतलता मिलती है. बता दें कि महादेव की प्रिय बेल पत्र को संस्कृत में बिल्वपत्र भी कहा जाता है.

कहते हैं कि पूजा के समय शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शंकर जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देते हैं. क्‍या आपको मालूम है कि महादेव को बेलपत्र चढ़ाने का विधान क्‍या है? उन्हें बेल क्यों चढ़ाया जाता है, इसके अलावा बेलपत्र को चढ़ाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? आइए आज आपको बताते हैं इससे जुड़ी बातें.

बता दें कि बेलपत्र में तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होती हैं. बेलपत्र के बिना शिव की उपासना सम्पूर्ण नहीं मानी जाती. मान्यता है कि बेलपत्र और जल से भगवान शंकर का मस्तिष्क शीतल रहता है. सनातन धर्म में प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और स्नेह की भावना सर्वोपरि है, इसीलिए शास्त्रों में फूल पत्तियों को तोड़ने के कुछ नियम उल्लेखित हैं. ऐसे ही बेल पत्र को तोड़ने का भगवान शिव को अर्पित करने का क्या नियम है आइए जानते हैं.

बेल पत्र तोड़ने के नियम

  • मान्यता है कि चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथ‍ि, साथ ही सं‍क्रांति के समय व सोमवार को बेल पत्र नहीं तोड़ना चाहिए. इन तिथ‍ियों से पहले तोड़ा गया पत्र चढ़ाना चाहिए.
  • माना जाता है कि भगवान भोलेनाथ को बेल पत्र अत्यंत प्रिय है, इसलिए इन तिथ‍ियों या वार से पहले तोड़ी गई बेल पत्र चढ़ाना शुभ माना जाता है.
  • स्कंदपुराण के अनुसार, अगर नया बेलपत्र न मिल सके, तो किसी दूसरे के चढ़ाए गए बेलपत्र को भी धोकर कई बार उनका प्रयोग किया जा सकता है.
  • टहनी से चुन-चुनकर सिर्फ बेलपत्र ही तोड़ना चाहिए, कभी भी पूरी टहनी नहीं तोड़ना चाहिए. 
  • कहते हैं कि शाम होते ही बेल पत्र क्या किसी भी वृक्ष को हाथ नहीं लगाना चाहिए.
  • मानते हैं कि बेलपत्र तोड़ने से पहले और बाद में वृक्ष को मन ही मन प्रणाम करना चाहिए.

शिवलिंग पर इस तरह चढ़ाएं बेल पत्र

  • कहते हैं कि शिवलिंग पर हमेशा उल्टा बेलपत्र अर्पित करना चाहिए. बेल पत्र का चिकना भाग अंदर की तरफ यानी शिवलिंग की तरफ होना चाहिए. 
  • मान्यता है कि शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय उसे अनामिका उंगली और अंगूठे से पकड़कर चढ़ाना चाहिए. इसके अलावा भगवान कोई भी चीज हमेशा सीधे हाथ से ही अर्पित करें. 
  • बेलपत्र चढ़ाने से पहले उसे एक दिन पहले ही लाकर गंगाजल में डालकर रख देना चाहिए.
  • याद रखें कि जो भी बेल पत्र शिवलिंग पर चढ़ाने हैं, वो कटे-फटे नहीं होने चाहिए.
  • बेल पत्र में वज्र और चक्र नहीं होना चाहिए. ऐसा पत्तियों को खंडित माना गया है.
  • कालिका पुराण के अनुसार, शिवलिंग पर चढ़े हुए बिल्व पत्र को उतारने के लिए सीधे हाथ के अंगूठे और तर्जनी उंगली का इस्तेमाल करना चाहिए.
  • बता दें कि बेल पत्र 3 से 11 पत्ती वाले होते हैं. इसमें जितने अधिक पत्र होते हैं भगवान शिव को अर्पित करने से उतना ही अधिक लाभ प्राप्त होता है, ऐसा माना जाता है.
  • माना जाता है कि यदि बेलपत्र ना मिल पाएं को बेल के वृक्ष के दर्शन करना ही पाप-ताप को नष्ट कर देता है.
  • ध्यान रहे कि एक बेलपत्र में 3 पत्तियां होनी चाहिए। 3 पत्तियों को 1 ही माना जाता है.
  • शिवलिंग पर चढ़ाए दूसरे के बेल पत्र की उपेक्षा या अनादर नहीं करना चाहिए.

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