
पीटीआर और अमरिया में वीडियो फिल्म के जरिए वन्य जीवन का संरक्षण
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ कि टीम ने जनपद में कराया निरीक्षण
इंसान और बाघ के बीच समझौता फिल्म का मुख भाग
पीलीभीत। जनपद पीलीभीत में बाघों की मौजूदगी भारत सहित दुनिया भर में प्रसिद्ध होती जा रही है जिसका मुख्य कारण जनपद में ईमानदार और अपने काम को ही धर्म मानने वाले कुछ वन अधिकारी और कर्मचारी रात दिन वन्य जीवन का सुरक्षा घेरा मजबूत रखे हुए हैं। जिसके चलते आए दिन कोई ना कोई वन प्रेमी एवं संस्थान पीलीभीत की ओर रुक करते रहते हैं।
पिछले एक सप्ताह से जनपद पीलीभीत में आसाम और कोलकाता के तीन सदस्य टीम डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के माध्यम से बिल्ली प्रजाति के बाघ और तेंदुए पर एक फिल्म बना रहे हैं जिसका मुख्य उद्देश्य मांसाहारी बिल्ली प्रजाति और इंसानों के बीच में समझौता कैसे मुमकिन हुआ है।
पहले तो पीलीभीत टाइगर रिजर्व के बराही रेंज में टीम ने पीटीआर के आसपास रहने वाले ग्रामीणों से मुलाकात कर बाघ की मौजूदगी से होने वाले नुकसान और फायदे को अपने कैमरे में किसानों के मुंह से सुनते हुए कैद किया जबकि दूसरी ओर माधोटांडा के स्वर्गीय कुंवर भरत सिंह के परिवार से भी टीम ने मुलाकात की क्यों की भारत सिंह के नाम सबसे ज्यादा बाघ मारने का एक अपना अलग इतिहास है जब बाघ संरक्षण भारत सहित पूरे विश्व में लागू कर दिया गया जिस के बाद स्वर्गीय भारत सिंह जब तक जीवित रहे तब तक और उनका परिवार वन्य जीवन की रक्षा में अभी तक लगे हुए हैं।इसी परिवार के कुंवर अतुल सिंह बाघ मित्र भी हैं और जनपद पीलीभीत सहित प्रदेश के काफी हिस्से में मानव वन जीव संघर्ष के दौरान वन विभाग को अच्छा योगदान देते हैं।
टीम ने उनके परिवार की वीडियो फिल्म बनाने के बाद अमरिया की ओर रुख किया क्योंकि अमरिया भी बाघ और तेंदुए के लिए एक अच्छी पनाहगाह थी।जहां उन्हें सामाजिक वानिकी प्रभाग के वन दरोगा शैलेंद्र कुमार यादव के साथ अपनी टीम के साथ बाघ बहुल क्षेत्र का पैदल गश्त कराई और कुछ किसानों से भी टीम को रूबरू कराया जिससे मानव वन्य जीव संघर्ष पर कैसे विराम लगा इसकी भी वीडियो फिल्म बनाई।
इस टीम में मौजूद रहे कोलकाता से अभ्रचार्य तानुमे घोष, आसाम से देवजानी सैकिया, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ से प्रेमचंद मौर्या एवं पीलीभीत रेंज की टीम सहित टाइगर निगरानी टीम मौजूद रही।