कुंभनगर। दुनिया के विशाल धार्मिक आयोजनों में शुमार सनातन धर्मावलम्बियों के ‘कुंभ मेला’ के प्रभाव से पश्चिमी सभ्यता भी अछूती नहीं है। तीर्थराज प्रयाग में कुम्भ के अवसर पर सुदूर क्षेत्रों से विरक्त, गृहस्थ और विदेशी पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त: सलिला स्वरूप में प्रवाहित सरस्वती के त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाकर खुद को धन्य मान रहे हैं. वहीं विदेशी श्रद्धालु भी इस महापर्व में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। कुल मिलाकर पावन नदियों के संगम तीरे आस्था, भक्ति और आध्यात्म का अद्भुत संसार बसा है जहां दुनिया की अनेक भाषा और संस्कृतियों का भी संगम हो रहा है। वास्तव में कुंभ ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ को चरितार्थ कर रहा है।
तुलसीदास ने ‘रामचरित मानस’ में लिखा है ‘माघ मकरगत रितु जब होई तीरथपतिहिं आव सब कोई।” इसी भावना के अनुरूप करोड़ों श्रद्धालु अमृत स्नान की कामना से तीर्थराज प्रयाग आते हैं। यह पर्व वैश्विक पटल पर शांति, सामंजस्य और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है। कुंभ मेले में हालैंड, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, अायरलैंड, कनाडा, जापान समेत तमाम देशों के संत और श्रद्धालु आध्यात्मिक शांति की खोज में डेरा जमाये हुये हैं।
भारतीयता के रंग में सरोबार कनाडा की वेरोनी क्यून ने कहा “ मैं भारतीय नाम ‘तपस्विनी’ कहलाना पसंद करूंगी। भारतीय आध्यात्म के बारे में मैने बहुत पढ़ा है और उसी से प्रेरित होकर मेरी अब यहां बसने की तमन्ना है। दुनिया के कई देशों में घूमी हूं लेकिन भारत के बारे में जो पढ़ा, उससे ज्यादा यहां आकर मिला। इंडिया इज ग्रेट एन्ड पावरफुल आध्यात्म गुरू आफ वर्ल्ड, नो डाउट। ”
यूक्रेन की मारिया ने कहा ,‘मेरे लिए भारत आना एक सपने के सच होने जैसा है। मैं स्वयं को आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनाना चाहती हूं।” त्रिवेणी में करोड़ों लोगों के साथ आस्था की डुबकी लगाना एक सपना है। ” सरकार और प्रशासन की सराहना हुए उसने कहा ‘वैरी नाइस अरेंजमेंट’।
यह गंगा की महिमा है जो सात समुन्दर पार से भी प्रवासी भारतीय को ही नहीं अपितु पश्चिमी सभ्यता को बांधे हुए हैं। कुंभ नगरी के सेक्टर-14 में स्थित शक्तिधाम शिविर इन दिनों विदेशी भक्तों से गुलजार है। सनातन धर्म और कुंभ को जानने की जिज्ञासा उन्हें संगम तट तक खींच लाई है। पिछले दिनो इसी शिविर में 82 विदेशियों ने पारंपरिक भारतीय रीति-रिवाज से साईं मां से दीक्षा ली।
इन विदेशी श्रद्धालुओं में एक अमेरिकी, एक आयरलैंड, एक कनाडा और 79 जापानी स्त्री और पुरुष शामिल हैं। कनाडा की वेरोनी क्यू जीन और आयरलैंड के डेविड ओ ग्रेडी ने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत के पालन का संकल्प भी लिया है।
कुंभ के महत्व के दृष्टिगत संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा इसे “मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत” की विश्व धरोहर के रूप में मान्यता देकर इसको सम्मान दिया है।