कुशीनगर : आरपीएन-नन्दकिशोर के पोलिटिकल गेम प्लान से स्वामी व लल्लू हुए धड़ाम

पडरौना, कुशीनगर। भारत सरकार के पूर्व गृहराज्य मंत्री कांग्रेस के दिग्गज कुंवर आरपीएन सिंह के भाजपा परिवार में शामिल होने तथा कुशीनगर भाजपा के दिग्गज संगठन शिल्पीकर रहे नन्दकिशोर मिश्र की भाजपा में वापसी के साइड इफैक्ट काफी असरदार साबित हुआ है। अव्वल तो यह कि तमकुहीराज में 29 वर्ष बाद तमकुहीराज में न सिर्फ कमल खिल गया वरन हैट्रिक लगाने का मंसूबा पाल बैठे बड़बोले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को शर्मनाक पराजय मिली। इतना ही नहीं ये तीसरे स्थान पर भी खिसक गए। दूसरी ओर जिले की दूसरी हाट सीट फाजिलनगर सीट से सपा प्रत्याशी पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य भी अपने बड़बोलेपन से जनता की जुबान पर चढ़ गए।

तमकुहीराज में हैट्रिक लगाने का लल्लू मंसूबा धराशायी

स्वामी व लल्लू के गरमागरम बयानों और अगडों को औकात बताने वाले संदेशों ने भाजपा खेमे की चिंता बढ़ा दी थी। फिर इन दोनों को नकेल लगाने के लिए आरपीएन सिंह व नन्दकिशोर मिश्र ने ऐसा पोलिटिकल गेम प्लान बनाया कि स्वामी और लल्लू धड़ाम हो गए। इस करारी हार से इनके राजनीतिक भविष्य पर भी ग्रहण लगने के संकेत मिलने लगे हैं। बता दें कि भाजपा सरकार में दबंग मंत्रियों में शुमार स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में शामिल होने के बाद इनकी काट के रूप भाजपा ने आरपीएन सिंह को भाजपा में शामिल कराकर स्वामी को औकात बताने के लिए गेम प्लान तैयार किया।

बारह साल बाद फाजिलनगर में टूटा स्वामी का तिलिस्म

दूसरी ओर आरपीएन के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस के अजय कुमार लल्लू ने आरपीएन पर व्यक्तिगत हमला भी बोला। लल्लू का यह हमला सबको खल गया। जबकि जगजाहिर है कि लल्लू के किंगमेकर आरपीएन ही रहे हैं। नंदकिशोर मिश्र व आरपीएन ने अपने प्रभाव के बलबूते अगडों व पिछड़ों को एक साथ खड़ा किया। इस बार के चुनाव में एकमात्र राष्ट्रीय नेता के रूप में सिर्फ राजनाथ सिंह की ही सभा हुई। दूसरी ओर हैट्रिक लगाने की दहलीज पर खड़े अजय लल्लू को रोकना टेढ़ी खीर साबित भाजपा के लिए चिंता का सबब बना हुआ था। क्योंकि लल्लू ने वोट हासिल करने का हर हथकंडा अपना लिया था।

अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए न सिर्फ अमीरी-गरीबी को खाई खोदा बल्कि कांग्रेस को राष्ट्रीय महासचिव फायर ब्रांड नेता प्रियंका गाँधी को बाइक से भी घुमाया। पर यह तमाशा करिश्मा में तब्दील न कर सका। यहां वर्ष 1993 के बाद से जीत के लिए तरस रही भाजपा के लिए यह सीट प्रतिष्ठा की सीट बन गयी थी। पूर्व विधायक नन्दकिशोर मिश्र के भाजपा में वापसी के बाद न सिर्फ भाजपा प्रत्याशी डॉ असीम कुमार राय न सिर्फ मुख्य संघर्ष में शामिल होते गैर वरन बिखरे भाजपाई एकजुट हो गए। इन्हें साथ मिल गया आरपीएन और नन्दकिशोर का। फिर एक-एक कड़ी जुड़ती गयी और 29 साल बाद भाजपा का कमल खिला और अमीरी-गरीबी और अगडों और पिछड़ों की खाई खोदने वाले अजय लल्लू बुरी तरह धड़ाम हो गए।

बड़बोलेपन ने डुबो दी स्वामी व लल्लू की कश्ती

फाजिलनगर को पिछड़ों के लिए सुरक्षित सीट मानकर प्रतापगढ़ निवासी बड़बोले मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी दावेदारी ठोंककर सीएम योगी को सत्ता से बेदखल करने का एलान कर दिया। सपा में शामिल होने के बाद स्वामी ने भाजपा व बसपा को साँपनाथ व नागनाथ बोलकर खुद को नेवला करार दिया था। जो इन्हें निगल जाएगा। सपा मुखिया अखिलेश यादव का स्वागत करते हुए स्वामी ने फाजिलनगर में चुनावी सभा में योगी को सत्ता से बेदखल करने के महाभारत के युद्ध का अखिलेश को कृष्ण और खुद को अर्जुन घोषित किया था। स्वामी को यहां से पटखनी देने में आरपीएन व नन्दकिशोर का एक साथ आना कारगर साबित हुआ।  इन दोनों ने रूठों को मनाने में ही नहीं भाजपा के धुर विरोधी रहे लोगों को भी साथ साथ जोड़ा।

इस गंठजोड़ ने एक ऐसा वातावरण तैयार किया कि भाजपा प्रत्याशी विजय रथ पर सबको सवार दिखे। हालांकि कोरोनावाधि में नमक, तेल राशन व दाल की मदद गरीबों के लिए कुरामिन का काम कर गयी। किन्तु इन गरीबों की एकजुटता तभी कारगर हुई जब भाजपा हाईकमान ने बिखरे-बिखरे तिनको को जोड़ कर मजबूत आधारस्तम्भ तैयार कर दिया। कुशीनगर को अपने लिए उपजाऊ राजनीतिक जमीन मानकर पिछले 12 वर्ष से सत्ता का स्वाद लेने और अपनों को समृद्ध करने वाले स्वामी का पहली बार फाजिलनगर में तिलिस्म टूटा। इनके लिए यह कहावत चरितार्थ हो गयी … न खुदा ही मिला, ना ….इधर के हुए न उधर के हुए। वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू का हैट्रिक लगाने का मंसूबा भी धरा का धरा ही रह गया।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

हिमाचल में तबाही, लापता मजदूरों की तलाश जारी न हम डरे हैं और न यहां से जाएंगे एयर इंडिया विमान हादसे पर पीएम मोदी की समीक्षा बैठक क्या बेहतर – नौकरी या फिर बिजनेस पेट्स के साथ डेजी का डे आउट