बिजुआ खीरी : आस्था का महापर्व छठ हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है। छठ पूजा की विशेष धार्मिक मान्यता होती है। इस कठिन व्रत को महिलाएं घर की खुशहाली और संतान की सलामती के लिए रखती हैं। इसे सूर्य षष्ठी, छठ, छठी और डाला छठ जैसे नामों से भी जाना जाता है। छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है।
हर साल छठ पूजा दिवाली से 6 दिन बाद की जाती है। लेकिन इस वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 7 नवंबर की देर रात 12 बजकर 41 मिनट पर शुरू हुई और इसका समापन 8 नवंबर की देर रात 12 बजकर 34 मिनट पर हुआ। ऐसे में 7 नवंबर, गुरुवार के दिन ही वृतियों ने संध्याकाल का अर्घ्य दिया और शुक्रवार को सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठी मैया से घर परिवार गांव की सलामती के लिए प्रार्थना की और पारायण किया।
ब्लॉक बिजुआ क्षेत्र के छठ घाटों पर पुलिस द्वारा सुरक्षा व्यवस्था के भी इतंजाम किए गए।सुंदर नगर टांगिया, मालपुर, बेल्हा सीकटिया, पडरिया तुला, रूरा सुल्तान पुर सहित अन्य सभी स्थानों पर छठ पूजा सकुशल सम्पन्न हुई।
इस वर्ष नहाय-खाय 5 नवंबर, मंगलवार के दिन हुआ। नहाय खाय कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थ तिथि पर किया गया। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाओ ने नदी व पवित्र तीर्थ में स्नान ध्यान के बाद सूर्य देव की पूजा अर्चना की।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर खरना मनाया गया। खरना के दिन महिलाओ ने निर्जला उपवास रखा और छठी मैया की पूजा में लीन रही इस साल खरना 6 नवंबर, बुधवार के दिन मनाया गया। 7 नवंबर के दिन छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया और अगली सुबह 8 नवंबर, शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य दे कर संतानों की सलामती की दुआ मांग कर व्रत का पारायण किया।
अमीरनगर में धूमधाम से मनाया सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा, डूबते सूर्य को दिया अर्घ्य
क्षेत्र में गोमती नदी के पावन घाटों पर छठ पूजा पर्व धूमधाम से मनाया गया। बृहस्पतिवार की शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर श्रद्धालुओं ने अपने पति व संतान की मंगल कामना के साथ घर की सुख समृद्धि की कामना की। शुक्रवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की गई।छठ पूजा पर्व दीपावली से छह दिन बाद शुरू होता है।
मान्यता है कि सूर्य पुत्र अंगराज कर्ण प्रतिदिन सुबह जल में खड़े होकर सूर्य की उपासना करते थे और उपासना के बाद उनके पास आकर कोई भी याचक चाहे जो मांग ले, वह खाली हाथ नहीं लौटता था। इसी मान्यता के साथ कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को भगवान सूर्य की उपासना करने के लिए छठी उत्सव मनाया जाता है। बृहस्पतिवार की शाम को श्रद्धालुओं ने गोमती नदी के घाटों में छठी माता के दरबार मे धूमधाम से मनाया गया। श्रद्धालुओं ने फल, फूल, गन्ना, गुड़ व घी से बने ठेकुआ और चावल के आटे व गुड़ से बने भूसवा जैसे व्यंजनों के साथ पूजा-अर्चना की।इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था की दृष्टि से स्थानीय पुलिस चप्पे-चप्पे पर तैनात रही।