लखीमपुर : भ्रामक प्रचार करने वालों के खिलाफ डॉ. कौशल ने दी तहरीर

पूर्व में चमत्कारी सफल ऑपरेशन करने से बढ़ती प्रसिद्धि से परेशान थे डॉक्टर्स

लखीमपुर खीरी। गोला गोकर्णनाथ के सनशाइन हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर व डॉ कौशल वर्मा ने डीएम, एसपी, सीएमओ व इंस्पेक्टर गोला को तहरीर देकर कुछ कथित लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर भ्रामक झूठा प्रचार करने की जांच को लेकर तहरीर देकर विपक्षी गण के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। तहरीर में बताया कि 23 फरवरी 2023 को सरोज कुमार पुत्र विनोद कुमार अपनी पत्नी रिंकी यादव को लेकर सनशाइन हॉस्पिटल लेकर आया था।

सरोज ने डॉक्टर कौशल को बताया कि उसकी पत्नी रिंकी यादव के बाएं पैर की हड्डी फ्रैक्चर व दाएं पैर की हड्डी टूट कर अलग हो गई थी जिसके बाद डॉ कौशल ने संपूर्ण जांच करने के बाद मरीज के परिजनों की सहमति पर ऑपरेशन कर दिया व अस्पताल में 5 दिन रोककर इलाज भी किया तथा आवश्यक दवाएं देकर डिस्चार्ज कर नियमित समय पर दिखाने की परामर्श देते हुए घर भेज दिया। डॉ कौशल ने बताया कि मरीज 2 माह तक नियमित दिखाने आता रहा और तब तक मरीज की स्थिति सामान्य हो चुकी थी।

सनशाइन हॉस्पिटल के डॉ कौशल की छवि धूमिल करने को लेकर किया गया था भ्रामक प्रचार।

मरीज वॉकर से बिना दर्द के अस्पताल से अपने घर चल कर गई थी। लगभग 2 माह बाद रिंकी नियमित जांच के लिए अस्पताल आना बंद कर दिया और किसी के बहकावे में गोला स्थित एक और हड्डी के अस्पताल में चली गई जहां उसका गलत उपचार हुआ जिसके कारण मरीज की हालत बिगड़ती चली गई। डॉ कौशल का आरोप है कि गलत इलाज मिलने से रिंकी की हालत बिगड़ने पर संबंधित डॉक्टर ने मरीज से धन उगाही कर अपने आप को बचाने के लिए मरीज को डॉक्टर कौशल व उनके सनशाइन हॉस्पिटल के खिलाफ भड़का दिया। जिसको लेकर मरीज रिंकी के पति सरोज कुमार ने अस्पताल के रिसेप्शन पर फोन करके अभद्र भाषा का प्रयोग भी किया लेकिन फिर भी अस्पताल की तरफ से पति सरोज को सही सलाह देते हुए अस्पताल आकर मरीज को दिखाने के लिए बोला गया था साथ ही साथ अगर कोई समस्या है तो उसका इलाज करने के लिए कहा गया था।

डॉ कौशल ने बताया की विपक्षी डॉक्टर द्वारा इस कृत्य से डॉ कौशल व उनके अस्पताल सनशाइन हॉस्पिटल की छवि धूमिल हुई है और डॉक्टर कौशल को मानसिक आघात पहुंचा है जिसको लेकर डॉक्टर कौशल ने तमाम उच्च अधिकारियों को तहरीर देकर उच्च स्तरीय जांच करवाने व संबंधित विपक्षी गण के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है। इस संबंध मे डॉ कौशल से बात करने पर डॉ कौशल द्वारा बताया गया कि मेरे द्वारा एक मरीज के पैर की हड्डी मे रॉड डालकर सर्जरी की गई और वह मरीज ऑपरेशन के 5 दिन बाद सामान्य स्थिति में हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया गया था तथा उस को निर्देश दिया था कि नियमित रूप से दिखाते रहे।

मरीज हॉस्पिटल मे लगभग डेढ़ से 2 माह तक हर हफ्ते में एक बार आता रहा और तब तक मरीज सामान्य स्थिति में पैरों पर वाकर की सहायता से बिना दर्द के चलकर गया था उसके बाद मरीज दिखाने नहीं आया। अचानक 15 जून को मुझे सोशल मीडिया के माध्यम से पता चला कि उक्त मरीज मेरे हॉस्पिटल में न आकर गोला के एक दूसरे हॉस्पिटल में चला गया जहां उसको गलत इलाज के चलते उसकी हालत खराब होती चली गई। तो उस अस्पताल के डॉक्टर ने अपने आप को बचाने के लिए मरीज से धन उगाही के उद्देश्य से उसको मुझे व मेरे अस्पताल के खिलाफ भड़का दिया और मरीज से अनाप-शनाप आरोप लगवा कर मेरी व मेरे हॉस्पिटल की छवि धूमिल करने की मंशा से सोशल मीडिया पर कुछ भ्रामक पोस्ट वायरल करवा दिया। डॉ कौशल ने बताया कि इससे पूर्व भी इस तरह की तमाम शिकायतें मरीजों के द्वारा मुझे मिलती रही थी लेकिन मेरे द्वारा हर बार इग्नोर कर दिया गया था। मुझे लगता है कि इस प्रकार के डॉक्टर जो अपने हुनर से बेहतर इलाज द्वारा मरीजों को प्रभावित नहीं कर पाते और दूसरे डॉक्टर को बदनाम करके अपने अस्पताल को चलाने की मंशा रखते हैं। मेरे विचार से इस प्रकार बीमार मानसिकता वाले डॉक्टर जो डिग्री तो प्राप्त कर लेते हैं लेकिन अनुभव की कमी की वजह से हर तरह का गलत सही काम करते हैं।

हड्डी टूटने के मामले में डॉ कौशल की राय

डॉ कौशल ने सलाह देते हुए बताया कि मरीज की हड्डी टूटने के मामले में ऑपरेशन के बाद भी निम्न बिंदुओं को ध्यान में रखना चाहिए…

ऑपरेशन का मतलब हड्डी जुड़ना नहीं होता है ऑपरेशन के बाद भी मरीज को डॉक्टर से मिलते रहना चाहिए।

जिस तरह से फिजियोथेरेपी/ उपचार या चलने को बताया जाए वैसे ही करना चाहिए।

कई बार ओपन इंजरी में इंफेक्शन एवं हड्डी के ना जुड़ने का रिस्क रहता है। इसलिए डॉक्टर से बीच-बीच में मिलकर जांच एवं एक्स-रे करवाते रहना चाहिए।

कई बार कुछ अवस्थाओं में एक स्क्रू निकालकर हड्डी को जोड़ने के लिए प्रयास किया जाता है एवं कुछ दवा एवं इंजेक्शन भी दिए जाते हैं।

हड्डी जोड़ने की प्रक्रिया मरीज की उम्र एवं शारीरिक अवस्था पर भी निर्भर करता है और इस दौरान मरीज को धूम्रपान से बचना चाहिए तथा कैल्शियम युक्त आहार लेना चाहिए।

हड्डी जुड़ने मे 6 महीने से लेकर 1 साल तक का समय लग सकता है इसलिए जिस डॉक्टर से ऑपरेशन करवाएं पूर्णतः सही होने तक उसकी नियमित देखरेख में रहना चाहिए।

कभी कबार जब मरीज ऑपरेशन के बाद संपर्क में नहीं रहता है तो बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और जब कभी ऐसे मरीज दूसरे डॉक्टर्स के संपर्क में आते हैं तो इलाज की प्रक्रिया बदलने के कारण मरीज की समस्याएं और बढ़ जाती हैं।

डॉ कौशल ने बताया कि इसी प्रकार का मेरे अस्पताल के एक मरीज का एक केस सामने आया जिसका ऑपरेशन मेरे द्वारा किया गया और ऑपरेशन उपरांत तमाम प्रक्रियाओं को अमल में लाने के लिए कहा गया लेकिन मरीज एवं उसके परिजनों द्वारा अमल नहीं किया गया बल्कि कुछ महीने बाद दूसरे अस्पताल में जाकर दूसरे डॉक्टर से इलाज करवाया जिसके कारण उसकी हालत बिगड़ गई जिसको आसानी से सही किया जा सकता था।

डॉ कौशल द्वारा पूर्व में की गई जटिल सफल सर्जरी

पलिया निवासी 70 वर्षीय यूनुस का दो बार हिप रिप्लेसमेंट फेल हुई सर्जरी को डॉ कौशल द्वारा टोटल हिप रिप्लेसमेंट करके उसके जीवन को सफल बनाया गया।

भदूरी निवासी 45 वर्षीय रामबेटी को टीवी हिप की समस्या थी डॉ कौशल द्वारा टोटल हिप रिप्लेसमेंट किया गया जिसके बाद रामबेटी अपने पैरों पर खड़ी हो सकी।

सुभानपुर निवासी 25 वर्षीय संगीता की स्पाइन सर्जरी करके उसके जीवन को सफल किया गया।

गोला निवासी 12 वर्षीय लईक की कंधे की सर्जरी की गई जिसके बाद उसका हाथ पुनः सही हो गया।

गोला निवासी 22 वर्षीय आयुष जायसवाल की एसीएल सर्जरी की गई जिसके बाद उसको अपनी समस्या का सफल इलाज मिला।

इसी प्रकार डॉक्टर कौशल द्वारा हजारों सर्जरी करके तमाम लोगों को लाभ पहुंचाया जा चुका है व डॉ कौशल द्वारा निर्धन कमजोर लोगों के लिए समय-समय पर सैकड़ों की संख्या में भव्य स्तर पर शिविर आयोजित करके तमाम बड़े स्तरीय डॉक्टरों व स्वयं द्वारा कई हजारों की संख्या में मरीजों को निशुल्क परामर्श, दवा व चिकित्सीय सहायक वस्तुएं उपलब्ध कराई जा चुकी है जिससे उनकी सामाजिक ख्याति बढ़ती जा रही है जिसके चलते कुछ अराजक तत्वो द्वारा ईर्ष्या भाव से उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

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