लखीमपुर खीरी : गंगा में विसर्जन के इंतजार में अस्थि कलश, श्राद्ध पिंडदान से पितृ होते हैं मुक्त

गोला गोकर्णनाथ खीरी। पुराणों में पितरों की मुक्ति के लिए अस्थियों का गंगा जी में विसर्जन के पश्चात गया धाम में श्राद्ध पिंडदान करने के लिए कहा गया है किंतु छोटी काशी के लगभग तीन सौ वाशिंदे अपने पूर्वजों की अस्थियां कलश में संजोकर मुक्तिधाम में भूल गए हैं, यह अस्थि कलश गंगा में विसर्जन के लिए अपने भगीरथ का इंतजार कर रहे हैं।

धार्मिक ग्रंथो और प्राचीन मान्यताओं के अनुसार मृतकों के शव के दाह संस्कार के तीसरे दिन गो दुग्ध और गंगाजल छिड़क कर अस्थियों को चुनकर कलश में सुरक्षित कर गंगा जी में विसर्जित कर दिया जाता है ,लेकिन भौतिकता, धनोपार्जन, कामकाज की व्यस्तता में अब काफी लोग अपने परिवार के मृतकों का अंतिम संस्कार तो कर देते हैं लेकिन उनके अस्थि कलश को मुक्ति धाम में बने कमरे में रख कर भूल जाते हैं। मुक्ति धाम में 4 वर्षों में ऐसे अस्थि कलशों की संख्या बढ़ते बढ़ते लगभग 300 हो गई है।

नगर के साहित्यकार पत्रकार लोकेश कुमार गुप्त और सामाजिक कार्यकर्ता महेश कुमार पटवारी बताते हैं कि वर्ष 2019 के कोरोना काल में उनके जन जागरण से बाथम वैश्य महासभा के अध्यक्ष राजेश गुप्ता गुड्डन ने अपने साथियों के साथ लगभग 350 अस्थियों का विसर्जन सर्व पितृ अमावस्या को फर्रुखाबाद में गंगा जी में किया था ,इससे पहले वर्ष 2013 में रोटरी क्लब सेंट्रल के अध्यक्ष मुकेश राठी ने अपने साथियों के सहयोग से गायत्री परिवार के लोगों के साथ लगभग 2500 अस्थियों का विसर्जन गंगा जी में करवाया था।

इसके बाद प्रतिवर्ष पितृपक्ष के प्रारंभ होने से पूर्व लोकेश कुमार गुप्ता और महेश कुमार पटवारी इस संबंध में जन जागरण करते रहते हैं और तमाम लोगों को अपने पितरों की अस्थियां गंगा जी में विसर्जन करने के लिए प्रेरित करते रहते है।

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