पसगवाॅ खीरी। ब्लॉक क्षेत्र में पंचायत भवनों की स्थिति ठीक नहीं है। क्योंकि जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते अधिकतर पंचायत भवन बंद रहते हैं। सहायक पंचायत इसमें बैठते नहीं हैं। जिसके चलते ग्रामीणों की प्राथमिक स्तर की अधिकांश समस्याओं का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। ऐसे में उन्हें लंबी दूरी तय कर ब्लॉक के चक्कर लगाना मजबूरी बन गया है।
ब्लॉक पसगवाॅ के पनई, उकुरमुहा, रामपुर ग्रंट, किशनपुर जमुनी, उचौलिया, आदि दर्जनों ग्राम पंचायतों में इनके बंद रहने से ग्राम वासियों को इनका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
यहां के ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत भवन पर हमेशा ताला लटका रहता है। पंचायत भवन पर न तो विकास कार्यों को लेकर कभी बैठक की जाती है, न ही ग्रामीणों को प्राथमिक स्तर की सुविधाएं मिल पाती है। ऐसे में ग्रामीणों को कई किलोमीटर की दूरी तय कर ब्लॉक कार्यालय दौड़ना पड़ता है।
ग्राम पंचायत पनई के ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत भवन में कर्मचारियों के न जाने से हमेशा ताला लटका रहता है। कागज पर सभी ग्राम सभाओं में पंचायत सहायकों की तैनाती कर दी गई है। कार्य करने के लिए उन्हें प्रशिक्षण दिया गया है। लेकिन ग्राम पंचायत में में इनके न बैठने से ग्रामीणों को ब्लॉक मुख्यालय जाना पड़ता है।
सरकार ने ग्राम पंचायत भवनों को मिनी ग्राम सचिवालय के रूप में विकसित किया है। ग्राम सचिवालयों में ग्राम पंचायत सचिव, स्थानीय लेखपाल, कम्प्यूटर ऑपरेटर, बैंक सखी, ग्राम विकास अधिकारी, रोजगार सेवक, मनरेगा के कर्मचारी, स्वच्छ भारत मिशन से जुड़े स्वच्छता गृही आदि की तैनाती है। जिससे ग्रामीणों की समस्या का समाधान अब ग्राम पंचायत स्तर पर सचिवालय में हो जाए।
योगी सरकार का सपना पंचायतों के समग्र विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना स्मार्ट विलेज को साकार करने का था। सरकार ने हर ग्राम पंचायत में ग्राम सचिवालय बनाये। सरकार ग्राम पंचायतों के माध्यम से विकास के कार्यों के साथ गांव के प्रत्येक नागरिक को प्रदेश सरकार की सभी समस्याओं का समाधान गांव में कराने की योजना पर काम कर रही है। लेकिन निचले स्तर के कर्मचारियों की लापरवाही ग्राम पंचायत के सभी नागरिक भुगत रहे है।
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इस संबंध में बीडीओ मोहित कौशिक से जानकारी लेने पर उन्होंने बताया है कि जिस ग्राम पंचायत में सचिवालय बंद रहते हैं उन पर कार्यवाही की जाएगी।