लखीमपुर: निघासन में निर्माणाधीन गौशाला का औचक निरीक्षण करने पहुंचे एसडीएम

लखीमपुर । जनपद लखीमपुर की नगर पंचायत निघासन में योगी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत आवारा गौवंशीय पशुओं के संरक्षण के लिए करोड़ों रुपयों की लागत से बनाई जा रही कान्हा गौशाला के निर्माण में घटिया सामग्री का प्रयोग किए जाने की खबरों का संज्ञान लेकर तकनीकी टीम के साथ एसडीएम के रात में अचानक निर्माणाधीन गौशाला पहुंचने पर गौशाला के निर्माण स्थल पर अफरा तफरी मच गई।

भ्रष्टाचार का यह मामला नगर पंचायत निघासन के पटेल नगर वार्ड का है, जहां एक करोड़ बयासी लाख की लागत से बन रही कान्हा गौशाला में ठेकेदार के द्वारा जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। निर्माण में लगने पीला दोमा ईंट का प्रयोग किया जा रहा है, वहीं पूरे निर्माण में मौरंग की जगह बालू का प्रयोग किया जा रहा है, जहां सभासद के पति ने खराब निर्माण को लेकर नाराजगी जताते हुए ईंटों की गुणवत्ता का रियल्टी चेक करते हुए ईट तोड़ने और खराब मसाले का वीडियो भी वायरल किया था, जिसकी गुणवत्ता को लेकर 23 अक्टूबर को दैनिक भास्कर लखनऊ संस्करण लखनऊ में खबर को प्रमुखता से प्रकाशित भी किया।

 प्रकाशित खबर का संज्ञान लेकर गुरुवार की रात तकनीकी टीम के साथ एसडीएम राजीव निगम ने गौशाला कार्यस्थल का औचक निरीक्षण किया, जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ, वायरल वीडियो में स्वयं एसडीएम ईंटों सहित पुरानी दिवाल में लगे मसाले की गुणवत्ता को चेक किया, निर्माण कार्य में मानकों की अनदेखी की पुष्टि के चलते निर्माण में प्रयोग किए गए ईंट और मसाले का सैंपल एक बोरी में भरकर सील करते हुए लैब में जांच के लिए भेज दिया।

जांच के दौरान, सभासद पति अमित भार्गव ने जेई अरविंद यादव पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि उन्होंने बाउंड्री वॉल की नींव में घटिया ईंट का प्रयोग किया है, जिसका सैंपल अभी नहीं लिया गया है।

अब सवाल यह उठता है कि जब कार्यों में तकनीकी जांच के लिए जेई को मौके पर जाकर कार्य की गुणवत्ता जैसे ईंट, सरिया, मौरंग सीमेंट आदि का चुनाव स्वयं करना होता है, तो शासन प्रशासन की आंखों में धूल झोंक कर ठेकेदार इतना बड़ा गोलमाल कैसे करते हैं, क्या इस भ्रष्टाचार में ठेकेदार से लेकर जेई, अधिशाषी अधिकारी सब शामिल हैं। अब यह जांच का विषय है।

मामले में एसडीएम राजीव निगम ने बताया कि जिलाधिकारी के आदेश पर तकनीकी जांच के लिए जेई के साथ कार्यस्थल पर जाकर निर्माण सामग्री का सैंपल लेकर जांच के लिए लैब भेज दिया गया है। जांच रिपोर्ट आने पर ठेकेदार के खिलाफ कार्यवाही किए जाने का आश्वासन दिया।

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