शहर में लैनगंज तो है मगर माइनर नहीं
भास्कर समाचार सेवा
मैनपुरी। शहर के भीड़भाड़ वाले इलाके से गुजरने वाला माइनर अब जमीन से बरसों पूर्व लापता हो चुका है। छह किलोमीटर लंबी लैंसडाउन माइनर भले ही हकीकत से दूर हो, परंतु नहर विभाग हर वर्ष इसकी सफाई के नाम पर लाखों रुपए का खेल कर लेता है। नहर विभाग द्वारा जहां सफाई दिखाई जाती है, वहां आलीशान बंगले और दुकानें बन चुके हैं। परंतु नहर विभाग के इतिहास में आज भी 4 फुट चौड़ा 12 फुट का यह माइनर घंटाघर के तालाब को लगातार पानी देता है। जबकि न तो घंटा घर में तालाब है और ना ही पानी।
लोअर गंग नहर के मानपुर फाटक से निकले नगरिया रजवाड़े के औडेण्य मंडल पुल और सिरसागंज मार्ग पर लालपुर के समीप से निकली 6 किलोमीटर लंबा एक बम्बा जो कभी नवीन मंडी के किनारे होकर गिहार बस्ती, राजकीय इंटर कॉलेज के किनारे रामलीला मैदान, ईदगाह के पीछे बाल्मीकि बस्ती और कृष्णा टॉकीज के पीछे से गुजरती हुई घंटाघर स्थित तालाब में गिरने के अवशेष आज भी इस जनपद में मौजूद है। परंतु नहीं है तो यह लैंनगंज माइनर नाम का रजवाहा। नहर विभाग के बड़े अधिकारी के नाम पर बनाई गई यह पानी भरी बंबिया जमीन से पूरी तरह लापता हो चुकी है। इसके 12 फुट चौड़े फाट पर सैकड़ों लोग अवैध कब्जा कर मकान बना चुके हैं इस संबंध में पूर्व जिलाधिकारी और नहर अधिकारी को भी जानकारी देकर इस माइनर के पास से अवैध कब्जे हटवाने की गुजारिश की गई। परंतु नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा। पता चला है कि नहर बंबा सफाई के नाम पर इस लैंसडाउन माइनर की हर वर्ष सफाई की जाती है। परंतु इस धनराशि का बंदरबांट करने वालों को यह नहीं मालूम कि अब केवल लैंनगंज पुराना तहसील रोड रह गया है। पर लैंसडाउन माइनर हो गया लापता। पत्रावली में यह माइनर घंटाघर में कभी स्थापित रहे विशाल तालाब को भरने के लिए बनाया गया था। तालाब के चारों और आज भी उसके गुंबद दिखाई देते हैं पर तालाब नहीं।
सिरसागंज मार्ग भी है लापता
जमीनों पर फर्जी पत्रावली के जरिए कब्जा करने वालों ने नगला रते के समीप से गुजर कर लालपुर मार्ग को मिलाने वाला करीब 3 किलोमीटर लंबा सिरसागंज मार्ग भी धरातल से लापता कर दिया गया है। इसको लेकर प्रशासन ने कई बार कार्यवाही भी की। नाला भी खुदवाया, परंतु मकानों के नीचे दबा सिरसागंज मार्ग आज तक जिला प्रशासन और हलके का लेखपाल नहीं तलाश पाया है।