
नीरज वर्मा
महोली (सीतापुर) कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में 18 वर्षीय तरुणी की गांव के ही एक युवक द्वारा उसकी आबरू लूट ली गयी। पुलिस ने खानापूर्ति करते हुए आरोपित को गिरफ्तार कर छेड़छाड़ के मुकदमें में जेल भेज दिया। पुलिस की इस कार्यशैली से एक तरफ जहां पीड़िता को इंसाफ नही मिला, वहीं महोली पुलिस उंगलियां उठनी शुरू हो गयी हैं।
इस जघन्य अपराध को लेकर ‘दैनिक भास्कर’ की टीम ने पीड़िता व उसके परिजनों से हकीकत जानी। पीड़िता व उसकी मां ने कहां कि गांव के ही श्यामजी द्वारा उसकी इज़्ज़त लूट ली गयी। उन्होंने पुलिस को इस घटनाक्रम के सम्बंध में अवगत कराया तो पुलिस ने दबाव बनाकर आरोपी पर छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया।
युवती का मेडिकल परीक्षण क्यों नही कराया
पुलिस ने आनन फानन में सीएचसी महोली में महिला का मेडिकल क्यों कराया। जबकि ऐसे केस के लिए युवती का मेडिकल महिला चिकित्सालय में कराया जाना चाहिए। क्या पुरुष एमओ युवती की मेडिकल जांच के लिए अधिकृत हैं। पुलिस भी जानती है। सीएचसी महोली में किसी महिला एमओ की तैनाती नही है। बावजूद इसके पुलिस द्वारा सीएचसी से मेडिकल कराया जाना कहाँ तक न्याय संगत है।
पुलिस की कहानी में पेंच ही पेंच
पुलिस ने पीड़िता व उसके परिजनों पर दबाव बनाकर अपने मनमाफिक तहरीर ले ली। स्क्रिप्ट के अनुसार सीएचसी में पुरुष डॉक्टर द्वारा मेडिकल कराया। अपनी बचत के लिए उसी को आधार बनाकर छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज कर दिया। महिला के साथ संदिग्ध मामले में महोली पुलिस ने महिला अस्पताल में मेडिकल करना उचित क्यों नही समझा। बहरहाल, शासन लाख प्रयास क्यों न कर ले जब तक जिम्मेदार लोग निष्ठा से कार्य नही करेंगे तब तक महिलाएं न सिर्फ इंसाफ से वंचित रहेंगी। बल्कि इसी तरह अपराधियों के हौसलें बुलन्द होते रहेंगे।











