
नई दिल्ली। बेरोजगार युवाओं,किसानो ,प्रवासी मजदूरों एवं महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से उत्तराखंड सरकार ने मुख्यमंत्री सौर ऊर्जा स्वरोजगार योजना चलाई है। इसमें अपना रोजगार विकसित करने वालों को सरकार की ओर से आर्थिक सहायता दी जाती है। इसी सिलसिले में मंगलवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने LED लाइट निर्माण से जुड़ी स्वयं सहायता समूहों के लिए 50-के रिवॉल्विंग फंड की घोषणा की। इसका लाभ महिलाओं को होगा, क्योंकि वो छोटे समूहों में एलईडी बल्ब बनाने का काम करती हैं।
LED ग्राम लाईट योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण प्राप्त स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को सीएम रावत ने “एनर्जी वॉरियर्स” के रूप में सम्मानित भी किया। राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए “ऊर्जा दक्ष ग्राम” के प्रधानों से बातचीत की एवं उन्हें प्रशस्ति पत्र दिए।
क्या है योजना
मुख्यमंत्री सौर ऊर्जा स्वरोजगार योजना का मकसद प्रदेश के बेरोजगारों, उद्यमियों और ऐसे प्रवासियों को आर्थिक सहायता देना है जो कोविड—19 महामारी के चलते घर वापस आ गए हो। इस स्कीम में महिलाओं एवं लघु एवं सीमान्त कृषकों को भी खास तवज्जो दी जाती है। इसमें उन्हें सोलर पावर प्लांट लगाकर आय के साधन विकसित करने एवं सौर ऊर्जा संबंधित उपकरण तैयार करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है।
स्कीम के फायदे
1.इस योजना में लाभार्थी परियोजना लागत की 70 प्रतिशत राशि राज्य व जिला सहकारी बैंक से आठ प्रतिशत ब्याज की दर से ऋण के रूप में ले सकता है।
2.इस योजना के अंतर्गत डेढ़ से ढाई लाख रुपए तक की पूंजी लगाकर व्यक्ति सरकार के सहयोग से परियोजना लगाकर स्वरोजगार कर सकता है।
3.उत्तराखंड सौर ऊर्जा स्वरोजगार योजना के तहत 15 साल की अवधि हेतु ऋण दिया जाता है।
4.इस योजना के अंतर्गत राज्य के सीमांत जिलों में यह अनुदान 30 प्रतिशत तक होगा और पर्वतीय जिलों में 25 प्रतिशत तक और अन्य जिलों में 15 प्रतिशत तक ही होगा।















