आज धनतेरस और रूप चतुर्दशी दोनों पर्व हैं। ज्योतिषियों के मुताबिक रविवार का सूर्योदय त्रयोदशी तिथि में हुआ इसलिए आज भी धनतेरस रहेगी। आज शाम 6 बजे के बाद चतुर्दशी तिथि शुरू हो जाएगी, जो सोमवार को शाम करीब 5 बजे तक रहेगी। इसके बाद अमावस्या शुरू होगी। दीपावली सोमवार को ही मनेगी।
इसे छोटी दिवाली भी कहते हैं। पुराणों के मुताबिक इसी दिन श्रीकृष्ण ने नरकासुर को मारा था। कुछ ग्रंथों के अनुसार इस चतुर्दशी की आधी रात में हनुमान जी का जन्म हुआ था। नवरात्रि के बाद इसी चतुर्दशी पर बंगाल में काली पूजा होती है।
आज शाम यम के लिए दीपदान और कल सुबह मालिश, उबटन और स्नान के साथ रूप चतुर्दशी मनेगी। स्कंद पुराण के मुताबिक चतुर्दशी तिथि के दौरान शाम को यमराज के लिए दीपदान देने से अकाल मृत्यु नहीं होती।
दक्षिण दिशा में लगाएं दीपक
काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी का कहना है कि रूप चौदस पर सूर्यास्त के बाद घर के बाहर दक्षिण दिशा में दीपदान करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। यम प्रसन्न होते हैं। आरोग्य और लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है। परिवार में किसी भी तरह की परेशानी नहीं आती।
भविष्य और पद्म पुराण का कहना है कि चतुर्दशी तिथि में सूर्योदय से पहले उठकर शरीर पर तिल के तेल की मालिश कर के, उबटन लगाकर औषधियों मिले पानी से नहाना चाहिए। ऐसा करने से सेहत अच्छी रहती है। उम्र और सौंदर्य बढ़ता है। इसलिए इसे रूप चतुर्दशी कहा गया।
खासतौर से होता है तिल का इस्तेमाल
पुरी के डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि इस दिन तिल के तेल में लक्ष्मी और तिल वाले पानी में विष्णु रहते हैं। इसलिए सुबह तिल का तेल लगाने के बाद तिल मिले पानी से नहाने की परंपरा है। पुराणों का कहना है कि ऐसा करने से लक्ष्मीजी खुश होती हैं और समृद्धि बढ़ती हैं। शाम को यम के लिए और मंदिरों में तिल के तेल से दीपक लगाए जाते हैं। इससे रोग, दोष और बीमारियां दूर होती हैं।