नई दिल्ली। दिल्ली में देशभर से आए हजारों किसानों ने शुक्रवार को अपनी कवायद तेज कर दी है। इसके तहत ‘किसान मुक्ति मार्च’ के बैनर तले किसानों ने रामलीला मैदान से संसद भवन की ओर कूच शुरू कर दिया है। हालांकि कुछ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि किसानों को जंतर-मंतर पर ही रोक दिया जाएगा। इसके लिए मद्देनजर पुलिस काफी मुस्तैद है।
जंतर-मंतर पर किसानों का होगा जमावड़ा
। ‘किसान मुक्ति मार्च’ के लिए जंतर-मंतर पर एक स्टेज बनाया गया है। यहां से आगे किसानों को नहीं जाने दिया जायगा। यहीं से किसान नेता अपनी मांग लोगों के सामने रखेंगे।
किसानों को मिली संसद तक जाने की अनुमति
। दिल्ली के रामलीला मैदान में देशभर के हजारों किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर से पहुंच गए हैं। दिल्ली पुलिस ने किसानों को संसद तक जाने की अनुमति दे दी है। पुलिस ने यातायात और सुरक्षा-व्यवस्था के लिहाज से कड़े प्रबंध किए हैं।
दरअसल, किसान आंदोलन के आयोजकों ने कहा था कि शुक्रवार को रामलीला मैदान से संसद तक पैदल मार्च करेंगे जबकि दिल्ली पुलिस उन्हें किसी तरह रामलीला मैदान में ही रोके रखने की कोशिश कर रही थी। मगर पुलिस और किसानों के प्रतिनिधियों के बीच इसे लेकर काफी देर तक हुई बातचीत के बाद पुलिस ने संसद तक जाने की अनुमति दे दी।
उल्लेखनीय है कि संसद का विशेष सत्र बुलाकर फसलों के उचित दाम की गारंटी देने का कानून बनाने और देशभर के किसानों का कर्ज एकमुश्त माफ करने के लिए संसद में कानून पास करने जैसी दो बड़ी मांगों को लेकर किसान दिल्ली पहुंचे हैं।
इस आंदोलन को पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने भी समर्थन दिया है। उन्होंने ने कहा है कि वो किसानों का दर्द समझते हैं। वो भी किसान के बेटे हैं। सरकारों को समझना चाहिए कि बिना किसान की मदद के कोई भी पार्टी सत्ता में नहीं आ सकती है।
बताते चले बड़ी संख्या में किसान देश की राजधानी में दाख़िल हुए हैं. व्यस्त ट्रैफिक वाली सड़कों पर पैदल मार्च किया है और कर रहे है. उन्हें इस बात का भी अंदाजा है कि इस वजह से आम शहरी जो कि अपनी नौकरी या कामकाज पर जा रहा है उसे दिक्कत हुई होगी. ट्रैफिक पुलिस ने कुछ रास्ते बंद कर दिए होंगे और कुछ रास्तों पर ट्रैफिक की गति कम हो गई होगी.
और इस वजह से किसानों ने दिल्ली वालों के नाम एक खुला पत्र जारी किया है जो पर्चे की शक्ल में हैं और पिछली रात से ही सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
इससे पहले कि हम आपको ये बताएं कि इस पर्चे में क्या लिखा हुआ है. कुछ याद करवाना ज़रूरी है. इसी साल मार्च में हज़ारों किसान पुणे से मुम्बई पैदल मार्च करके पहुंचे थे. मुम्बई में उन्हें विधानसभा भवन के पास पहुंचना था. लेकिन जब किसानों को मालूम चला कि अगले दिन बच्चों की परीक्षाएं हैं तो उन्हें रात में ही चलने का फैसला किया. लगभग दो सौ किलोमीटर की पैदल यात्रा कर चुके हज़ारों किसान पूरी रात चले और मुम्बई में अपने लिए तय स्थान पर पहुंचे ताकि अगली सुबह जिन बच्चों को परीक्षा में शामिल होना है उन्हें कोई दिक्कत ना हो.
हां, तो अब उस पर्चे की बात जो दिल्ली में आ चुके किसानों ने दिल्ली वालों के लिए जारी किया है. पर्चे में सबसे पहले तो शहरी लोगों से माफ़ी मांगी गई है. लिखा गया है, ‘माफ़ कीजिए! हमारे इस मार्च से आपको परेशानी हुई होगी.’
पर्चे में आगे यह समझाने की कोशिश की गई है कि किसान किसी को परेशान करने की नियत से दिल्ली में दाख़िल नहीं हुए हैं. चूंकि वो खुद परेशान हैं इसलिए अपनी परेशानी सरकार को सुनाने-बताने यहां आए हैं.
आप ये पूरा पर्चा यहाँ पढ़ सकते हैं.
गूगल से मिली जानकारी के मुताबिक़
पिछले साल नवंबर में भी देश के कुछ इलाक़ों से किसान दिल्ली के संसद मार्ग पर जमा हुए थे. तब किसान संसद आयोजित किया गया था. कुछ प्रस्ताव पास हुए थे. दिन भर का आयोजन था. शाम तक संसद मार्ग ख़ाली हो गया था. पिछले कुछ दिनों में राजस्थान के सीकर, मध्य प्रदेश के मंदौर, तामिलनाडु और यूपी में किसानों का प्रदर्शन होता रहा है. कहीं सड़कों पर दूध बहाया गया तो कहीं विधानसभा के आगे किसानों ने आलू डाल दिया.
ऐसे में सवाल उठता है कि किसानों की समस्या कितनी बड़ी है जिसके बारे में सरकार का दावा है कि पिछली सरकार में किसानों को जितना मिल रहा था, उससे ज़्यादा मिल रहा है. सालों तक खेती-किसानी और गांव की पत्रकारिता करने वाले वरिष्ठ पत्रकार पी. साईनाथ के मुताबिक़ अब ये समस्या केवल किसानों की नहीं रही. सामाजिक बन चुकी है. एक मीडिया चैनल से बात करते हुए वो कहते हैं, ‘सरकार द्वारा जारी आकड़ों के मुताबिक़ पिछले बीस साल में तीन लाख से ज़्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं. अब बताइए, ये कितनी बड़ी बात है कि हमारे देश में तीन लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं और समाज में सब सही चल रहा है. किसी को कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ रहा है.’