देवउठनी एकादशी पर जग जाएंगे भगवान श्रीविष्णु, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को लोग देवउठनी एकादशी के नाम से जानते हैं। मान्यता है कि क्षीर सागर में चार महीने की योगनिद्रा के बाद भगवान विष्णु इस दिन उठते हैं। इस बार देवउठनी एकादशी 08 नवंबर को पड़ रही है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी देवउठनी या देवोत्थान एकादशी पर श्रीविष्णु की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है।

धर्मग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास की शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु ने दैत्य शंखासुर को मारा था। भगवान विष्णु और दैत्य शंखासुर के बीच युद्ध लम्बे समय तक चलता रहा। युद्ध समाप्त होने के बाद भगवान विष्णु बहुत अधिक थक गए। तब वे क्षीरसागर में आकर सो गए और कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को जागे। तब सभी देवी-देवताओं द्वारा भगवान विष्णु का पूजन किया गया। इसी वजह से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की इस एकादशी को देवप्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। इस साल देवउठनी एकादशी 8 नवंबर को पड़ रही है। इस दिन तुलसी विवाह की भी परंपरा है। भगवान शालिग्राम के साथ तुलसी जी का विवाह होता है।

इसके पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसमें जालंधर को हराने के लिए भगवान विष्णु ने वृंदा नामक विष्णु भक्त के साथ छल किया था। इसके बाद वृंदा ने विष्णु जी को श्राप देकर पत्थर का बना दिया था, लेकिन लक्ष्मी माता की विनती के बाद उन्हें वापस सही करके सती हो गई थीं। उनकी राख से ही तुलसी के पौधे का जन्म हुआ और उनके साथ शालिग्राम के विवाह का चलन शुरू हुआ। देवश्यनी एकादशी के बाद से सभी शुभ कार्य बंद हो जाते हैं। जो की देवउठनी एकादशी पर ही आकर फिर से शुरू होते हैं। इन चार महीनों के दौरान ही दिवाली मनाई जाती है, जिसमें भगवान विष्णु के बिना ही मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

लेकिन देवउठनी एकादशी को भगवान विष्णु जी के जागने के बाद देवी-देवता भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की एक साथ पूजा करके देव दिवाली मनाते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से परिवार पर भगवान की विशेष कृपा बनी रहती है। इसके साथ ही मां लक्ष्मी घर पर सदैव धन, संपदा और वैभव की वर्षा करती हैं। तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त 8 नवंबर को शाम 7:55 से रात 10 बजे तक रहेगा।

इस बार इस अवसर पर सुंदर संयोग बन रहा है, जो भी वर-वधू का जोड़ा परिणय सूत्र में बंधता है उसका गृहस्थ जीवन सुखमय रहेगा। इसलिए 8 नवंबर को विवाह करना अत्यधिक शुभ है। इस दिन से अन्य शुभ काम भी प्रारंभ हो जाएंगे। कार्तिक मास में अन्य शुभ वैवाहिक मुहूर्त भी है। जिसमें विवाह करना मंगलमय और शुभ रहेगा। 19, 20, 21, 22, 23, 28 व 30 नवंबर को विवाह के शुभ मुहूर्त हैं।

मंत्रोच्चारण-
भगवान को जगाने के लिए इन मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए-
उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये। त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्॥
उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव। गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः॥
शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव।

देवउठनी एकादशी के दिन जरूर करें ये उपाय 
* देवउठनी एकादशी के दिन आप सूर्य उदय होने से पहले जल्दी उठकर स्नान करले और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें और इसके आलावा रात में भगवान विष्णु का जागरण और कीर्तन कीजिये |
* इस दिन भगवान विष्णु नींद से जागते है इसलिए घर में दीपक जलाकर भगवान विष्णु जी का स्वागत कीजिये |
* इस दिन मंदिर में तुलसी का विवाह शालिग्राम से करने से भगवान विष्णु अति प्रसन्न होते है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है |
* यदि आप इस दिन व्रत कर रहे है तो आप निर्जल व्रत करें यदि आप ये व्रत नहीं कर सकते है तो आप साधारण व्रत भी कर सकते  है | व्रत के दौरान आप नमक का सेवन बिलकुल भी न करें |
* इस दिन आप पूजा के दौरान भगवान विष्णुजी के मंत्रो का अधिक से अधिक उच्चारण करें | ऐसा करने से आपको भगवान विष्णुजी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होगा |
* देवउठनी एकादशी के दिन आप भगवान विष्णु जी को जगाने के लिए घंटा जरूर बजाये | गाय को भोजन कराएं और ब्राह्मण को दान दक्षिणा जरूर दें |
भगवान विष्णुजी की को जगत का पालनहार कहा जाता है | जिन लोगो के ऊपर भगवान विष्णु जी की कृपा होती है उन लोगो के जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते है | यदि आप भी भगवान विष्णुजी का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते है तो ऊपर बताएं गए उपाय जरूर करें उन उपायों को करने से भगवान विष्णु आपसे अति प्रसन्न होंगे |

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