लखनऊ । लखनऊ कैंट सीट पर सोमवार को हुए उपचुनाव में महज 29.55 प्रतिशत मतदान के बाद सियासी दल पशोपेश में पड़ गए हैं। लखनऊ कैन्टोनमैन्ट में 2012 में 50.56 और 2017 के विधानसभा चुनाव में 50.77 प्रतिशत मतदान हुआ था। उपचुनाव होने के बावजूद किसी भी दल को इतने कम मतदान की उम्मीद नहीं थी। मंगलवार को मतदान के दूसरे दिन सभी राजनीतिक दलों के कार्यालयों में इसकी चर्चा होती रही।
मतदान कम होने से सपा उम्मीदवार मेजर आशीष का मानना है कि समीकरण गड़बड़ा सकते हैं। उनके मुताबिक मतदान कम होने से कुल जीत का अंतर कम हो गया है। हालांकि उनके पक्ष में अधिक मतदाताओं ने अपना मत दिया है, लेकिन कम मतदान से चिंता बराबर बनी हुई है। जीत हार का अंतर बेहद कम हो सकता है। पूर्व विधायक भाजपा उम्मीदवार सुरेश तिवारी का मानना है कि मतदान अपेक्षा से बेहद कम हुआ है। हम लोग मान कर चल रहे थे कि कुल मतदान 50 प्रतिशत से ज्यादा होगा। जो 30 प्रतिशत भी नहीं हो सका है। बहुत सारे मतदाता मत देने नहीं निकले जिसमें भाजपा के भी समर्थित मतदाता हैं।
भाजपा के समर्थकों का भी मानना है कि मतदान कम होने से यहां पार्टी की जीत का अंतर कम हो जाएगा। हालांकि उनका दावा है कि कैण्ट में कमल का फूल ही खिलेगा और सुरेश तिवारी फिर से विधायक बनेंगे। बूथ स्तर पर प्रबंधन और महिला, युवा मतदाताओं के भरपूर मतदान करने से वह जीत जाएंगे। कांग्रेस के उम्मीदवार दिलप्रीत सिंह और उनके समर्थकों में बेहद उत्साह है, वे अपनी जीत को सुनिश्चित मान रहे हैं। लखनऊ कैंट सीट पर कांग्रेस की जीत के इतिहास को बताते हुए वे पुन: जीत के प्रति आश्वासत हैं। हालांकि सभी दलों और उम्मीदवारों की अपनी अटकलों के बीच हकीकत 24 अक्टूबर को मतगणना के बाद ही सामने आयेगी।