लखनऊ औलाद की तरक्की हर बाप की ख्वाहिश होती है । फिर चाहे औलाद नेता की हो यहां बाहुबलियों की वो सोचता है की उसकी औलाद कामयाब हो। मगर जरायम की दुनिया में बाप से दस कदम आगे निकल गई औलाद । चालीस बरस पहले जिस बाप ने पहली हत्या को अन्जाम देकर डगमगाते कदमों से अपराध की दुनिया में प्रवेश किया था । उसकी औलाद ने दिनदहाड़े सड़क पर गोलियों की बरसात कर देश व प्रदेश की सांसे रोक दी । सैकड़ों अपराध को अन्जाम देने के बाद भी अतीक अहमद चकिया पांच लाख इनाम के आसपास भी नही पहुंच पाया लेकिन उसके साहबजादे अशद ने दिनदहाड़े दस गोलियां बरसा कर नया इतिहास लिख डाला। उत्तर प्रदेश में यदि जरायम की दुनिया की बात की जाए तो अशद अतीक ने ददुआ, ठोकिया, निर्भय गुजर से अधिक पांच लाख का इनाम अपने सर मड़ लिया ।
माँ की गोद से अपराध का पाठ पढ़ने वाला अशद 24फरवरी को फिल्मी अंदाज में उमेशपाल की हत्या को साथियों के साथ अन्जाम देने के बाद न तो पुलिस के हत्थे चढ़ा न पुलिस को उसकी परछाईं की खबर है। पुलिस की टीमें अलग-अलग राज्यों और पड़ोसी देश की गली मोहल्लों में अपराधियों की तलाश में खाक छान रही है। हत्याकांड में अशद के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देशी बमों की बौछार कर रहा गुड्डू मुस्लिम जो प्रयागराज में (चिपाबाज) यानी देशी बमों को निशाने पर फेकने वाले के लक्ब जाना जाता है।
अब तक इनामियां बदमाशों की इतिहास में बात करे तो बुंदेलखंड के बीहड़ों पर राज करने वाले कुख्यात डकैत शिवकुमार उर्फ ददुआ जिस पर दस लाख का इनाम घोषित था मगर चार सौ से अधिक मामले दर्ज होने के बाद वहीं अंबिका उर्फ ठोकिया जो खूखांर डकैत था जिस पर छां लाख का इनाम घोषित हुआ था तथा यूपी -मध्य प्रदेश में करीब साठ मामले दर्ज थे। इसी तरह निर्भय गुजर पर पांच लाख का इनाम था । मगर अतीक अहमद चकिया के साहबजादे अशद ने अपराधियों के सारे रिकॉर्ड तोड़कर इतिहास रच डाला ।