महराजगंज : नेपाल बॉर्डर के रास्ते हो रही खाद की तस्करी, जिम्मेदार कौन?

  • कृषि विभाग के पास न तो सुरक्षा के इंतजाम हैं और न ही तस्करों से लड़ने की ताकत, फिर भी सौंपी गई है जिम्मेदारी ।
  • भारत-नेपाल सीमा पर तैनात एसएसबी और पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल।
  • खाद तस्करी रोकने के मामले में पुलिस सिर्फ कृषि विभाग के माथे पर फोड़ रही खिपड़ा।

महराजगंज। खाद तस्करी रोकने और बॉर्डर की सुरक्षा का दायित्व निभाने के लिए प्रदेश और केंद्र सरकार द्वारा भारी भरकम पुलिस के अलावा एस एस बी की तैनाती कर रखी है, फिर भी तस्करी अनवरत जारी है, तो आखिरकार इसका जिम्मेदार कौन है ? यह यक्ष प्रश्न हर साल अखबारों की सुर्खियां बनती है, लेकिन उसका निराकरण जिला प्रशासन हो या पुलिस प्रशासन आज तक नहीं कर पाईं।

देखने में अक्सर आता है कि बॉर्डर के रास्ते हो रही खाद की तस्करी को लेकर बॉर्डर पर तैनात पुलिस महकमा सिर्फ कृषि विभाग के माथे पर खिपड़ा फोड़ अपने दायित्वों से इतिश्री कर लेती हैं। जबकि सूत्रों की माने तो बीते दिनों में कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा बॉर्डर पर स्थित खाद के दुकानदारों के खिलाफ किसी भी तरह की कोई शिकायत मिलने पर स्थानीय थाने पर जाकर मुकदमा दर्ज काराये जाने का प्रार्थना पत्र देकर बाहर निकलते ही उक्त थाने से कुछ प्रभावशाली लोगों को सुचना दे दी जाती है। ऐसे में सवाल उठता है कि कृषि विभाग द्वारा थाने पर दिए गए प्रार्थना पत्र की सूचना मुकदमा दर्ज करने के पहले किसके द्वारा सार्वजनिक किया जा रहा है यह जांच का विषय है।

अगर थाने पर तैनात कुछ जिम्मेदार लोगों का मोबाइल से हुई बातचीत को खंगाला जाय तो कई लोगो का तस्करों के साथ सांठ-गांठ के सम्बन्ध सामने आ जाएगा। उल्लेखनीय है कि भारत-नेपाल सीमा पार खाद की तस्करी रोकने के लिए कृषि विभाग को ही जिम्मेदार ठहराया जाता है। खाद पकड़ी गई तो भी कृषि विभाग के अधिकारियों की जवाबदेही तय होती है, या खाद मिलती नहीं तो भी कृषि विभाग का ही नाम सुर्खियों में शुमार होता है। जबकि इनके पास न तो सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजामात हैं और न ही तस्करों से लड़ने की इनके पास कोई ताकत है। यहां यह कहना गलत न होगा कि जब खाली हाथ कृषि विभाग की फौज है, तो खाद की तस्करी रोकने की जंग सिर्फ कृषि उप निदेशक संजीव कुमार और जिला कृषि अधिकारी शैलेन्द्र प्रताप सिंह के भरोसे कैसे संभव है। यह एक विचारणीय प्रश्न है। हालांकि भारत नेपाल सीमा पर तस्करी और तस्करों पर नकेल कसने के लिए पुलिस और एसएसबी की भारी भरकर फौज तैनात हैं। फिर तस्करी खुलेआम हो रही है।

यह बात पुलिस प्रशासन को कटघरे में खड़ा करती है। जबकि जिलाधिकारी संतोष कुमार शर्मा और पुलिस अधीक्षक सोमेन्द्र मीना ने सख्त फरमान जारी किया है कि यूरिया खाद की तस्करी किसी कीमत पर भी संभव नहीं है। तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए सभी उप जिलाधिकारी, सीमावर्ती क्षेत्रों के सभी थाना प्रभारियों और पुलिस चौकी इंचार्जों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। बावजूद हर रोज सीमा पार यूरिया की बड़ी खेप पहुंच रही है, आखिरकार इसका जिम्मेदार कौन?

यह भी पढ़े : Breaking : उत्तरकाशी के बाद अब पौड़ी में फटा बादल, कई लोग घायल

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

थाईलैंड – कंबोडिया सीमा विवाद फिर भड़का तारा – वीर ने सोशल मीडिया पर लुटाया प्यार हिमाचल में तबाही, लापता मजदूरों की तलाश जारी न हम डरे हैं और न यहां से जाएंगे एयर इंडिया विमान हादसे पर पीएम मोदी की समीक्षा बैठक