शरद पवार से बगावत के बाद एनसीपी के नेता अजित पवार को पार्टी के विभिन्न पदों से हटा दिया गया है। महाराष्ट्र के नव-निर्वाचित उप-मुख्यमंत्री अजित पवार ने पार्टी के मुखिया शरद पवार से अलग रुख अख्तियार करते हुए अपने धड़े के साथ भाजपा को समर्थन दे दिया। वो एनसीपी के लेजिस्लेटिव समिति के अध्यक्ष थे। उन्हें पार्टी ने तत्काल प्रभाव से अपदस्थ कर दिया है। हालाँकि, अजित पवार को अभी तक पार्टी से नहीं निकाला गया है। शरद पवार ने भी अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पार्टी नियमानुसार उनके ख़िलाफ़ एक्शन लेगी।
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— LatestLY (@latestly) November 23, 2019
अजित पवार अपने धड़े के साथ भाजपा से मिल गए और इस तरह देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में दोबारा शपथ ली। शुक्रवार की रात तक एनसीपी और कॉन्ग्रेस के समर्थन से शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने की बात कही जा रही थी और ख़ुद शरद पवार ने कहा था कि उद्धव के नाम पर सहमति बन गई है। सुबह फडणवीस और अजित पवार के शपथ लेने के साथ ही महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन का भी अंत हो गया। ख़बरों के अनुसार, अजित पवार ने 54 एनसीपी विधायकों का समर्थन-पत्र राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को सौंपा।
शुक्रवार की रात को भी अजित पवार ने एनसीपी, कॉन्ग्रेस और शिवसेना की बैठक में हिस्सा लिया था। संजय राउत ने फडणवीस के शपथग्रहण पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रात की बैठक के दौरान भी अजित पवार का रुख कुछ अलग-अलग लग रहा था और वो राउत से नज़रें नहीं मिला पा रहे थे। राउत ने कहा कि अजित पवार बैठक में दिलचस्पी नहीं ले रहे थे। रात को बैठक में हिस्सा लेने वाले अजित पवार का सुबह भाजपा के साथ मिल जाना अभी भी चर्चा का वषय बना हुआ है।