उज्जैन : महाशिवरात्रि कामना परक पर्व है, कोई व्यक्ति अपनी कामना पूरी करने को लेकर भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं तो महाशिवरात्रि पर सभी काम पूरे होते हैं. विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व की शुरुआत 9 दिन पहले होती है. जिसे शिव नवरात्रि के रूप में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. पूरे देश में महाशिवरात्रि एक मार्च 2022 को मनाई जाएगी. रविवार को शिव नवरात्रि का सातवां दिन था.
महाकाल मंदिर में सातवें दिन शिव का होल्कर महाराजा के रूप में श्रृंगार किया गया, वहीं शिव नवरात्रि के पहले दिन माता पार्वती और बाबा का चंदन रूप से श्रृंगार किया गया था. दूसरे दिन बाबा ने शेष नाग का रूप धारण किया था. शिव नवरात्रि (shiv navratri rituals) के तीसरे दिन बाबा जटाओं को खोल निराकार से साकार रूप में आए थे और घटाटोप रूप में दर्शन दिए थे. चौथे दिन बाबा का छबिना रूप में श्रृंगार किया गया था. पांचवें दिन शिव का मनमहेश रूप में श्रृंगार किया गया, वहीं छठवें दिन यानी की शनिवार को भगवान उमा महेश के रूप में दर्शन दिए थे. रविवार को भी भगवान को विभिन्न प्रकार के भोग लगाए गए और हर रोज की तरह शिव पार्वती को कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुंड माल छत्र आदि भी अर्पित किया गया.
महाशिवरात्रि और नवरात्रि में संबन्ध
पंडित विष्णु राजोरिया के मुताबिक यह कामना परक पर्व है, कोई व्यक्ति अपनी कामना पूरी करने को लेकर भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं तो महाशिवरात्रि पर सभी काम पूरे होते हैं. महाशिवरात्रि इसलिए अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि वर्ष में तीन रात्रि बहुत महत्वपूर्ण होती है कालरात्रि, मोहरात्रि और महारात्रि. कालरात्रि दुर्गा सप्तमी की रात्रि होती है, मोहरात्रि दीपावली की अमावस्या की रात्रि होती है, महारात्रि महाशिवरात्रि को होती है महाशिवरात्रि में दिन और रात भगवान शिव की आराधना की जाती है.
शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर– शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर होता है. शिवरात्रि हर महीने होती है, जबकि महाशिवरात्रि साल में एक बार आती है. शिवरात्रि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर आती है, और महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आती है. एक साल में 12 शिवरात्रि होती हैं. इस दिन भगवान भोलेनाथ की उपासना की जाती है. माना जाता है भगवान शंकर को पूजने से भक्त की हर मनोकामना जल्द पूरी हो जाती है.
शिव-पार्वती का विवाह– ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती और शिवजी का विवाह हुआ था. भगवान भोलेनाथ के विवाह के रूप में भी शिवरात्रि मनाई जाती है. यही वजह है कि कई शिवालयों में शिवभक्त भगवान शिव की बारात निकालते हैं. जिसमें कई झांकियां होती है.
शिव-शक्ति के मिलन की रात– महाशिवरात्रि का महत्व इसलिए है क्योंकि यह शिव और शक्ति के मिलन की रात मानी जाती है. आध्यात्मिक रूप से इसे प्रकृति और पुरुष के मिलन की रात के रूप में बताया गया है. शिवभक्त इस दिन व्रत रखकर अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. मंदिरों में शिवलिंग का जलाभिषेक दिनभर होता है.
शुभ मुहूर्त : महाशिवरात्रि एक मार्च को सुबह 3:16 मिनट से शुरू होकर दो मार्च को सुबह 10 तक रहेगी. शिवरात्रि की रात को पूजा चार पहर में की जाती है. पहले पहर की पूजा शाम 6:21 बजे से रात्रि 9:27 बजे के बीच की जाएगी. दूसरे पहर की पूजा रात 9:27 बजे से 12: 33 बजे के बीच, तीसरे पहर की पूजा रात 12:33 बजे से सुबह 3:39 बजे के बीच और चौथे पहर की पूजा 3:39 बजे से 6:45 बजे के बीच की जाएगी. महाशिवरात्रि के दिन सुबह 11.47 से दोपहर 12.34 तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा. इसके बाद दोपहर 02.07 से लेकर 02.53 तक विजय मुहूर्त रहेगा. पूजा या कोई शुभ कार्य करने के लिए ये दोनों ही मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ हैं. शाम के समय 05.48 बजे से 06.12 बजे तक गोधूलि मुहूर्त रहने वाला है